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Gift of Aravalli : दिल्ली-एनसीआर के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं अरावली , कहा जाता है आक्सीजन की फैक्टरी

Gift of Aravalli अरावली पहाड़ दिल्ली - एनसीआर के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है। इसे दिल्ली सहित पूरे एनसीआर के लिए आक्सीजन की फैक्ट्री भी कहा जाता है। लेकिन अवैध कब्जों और गैरकानूूनी खनन करनेवालों की बुरी नजर इसे नुकसान पहुंंचा रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sun, 31 Jul 2022 03:34 PM (IST)
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Gift of Aravalli: अरावली पर्वत दिल्ली - एनसीआर के लिए संजीवनी बूटी की तरह है। (फाइल फोटो)
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। Gift of Aravalli: अरावली पर्वत दिल्ली सहित पूरे एनसीआर के लिए जीवनदायनी की तरह है। यहां की हरियाली को दिल्ली व एनसीआर के लिए आक्सीजन की फैक्ट्री माना जाता रहा है। पर्यावरणविद् तो विज्ञानी आधार पर यह भी कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के दौर में इस क्षेत्र के लिए अरावली संजीवनी बूटी से कम नहीं है।

अरावली पर 1990 से 1997 तक हुआ था मेगा प्लांटेशन, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रुका अवैध खनन

1990 से 1997 के बीच अरावली में यूरोपियन यूनियन के सहयोग से मेगा प्लांटेशन हुआ। इस क्षेत्र की हरियाली को मानव के लिए अहम माना गया है। इस सबके बावजूद अरावली की पहाड़ियाें में हुए बेतरतीब खनन तब तक नहीं रुका जब तक देश की शीर्ष अदालत ने सख्त टिप्पणी के साथ आदेश नहीं दिया।

पर्यावरणविद् ने अरावली के लिए जनांदोलन की बताई जरूरत

पर्यावरणविद् चेतन अग्रवाल कहते हैं कि अरावली के लिए शासन-प्रशासन की असंवेदनशीलता से उन्हें बहुत दुख पहुंचता है। कई बार गलत तथ्यों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जब सरकार का पक्ष रखा जाता है तो लगता है कि अब अरावली के लिए जनांदोलन होना चाहिए। इसका कारण यह है कि अवैध खनन के अलावा इसे उजाड़ने को अवैध खनिर्माण भी हो रहे हैं। पहले ही अवैध खनन से बने गड्ढों में बरसाती पानी एकत्र हो जाता है। इससे मैदानी क्षेत्र का भूजल रिचार्ज नहीं होता।

दक्षिण हरियाणा के 35 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के 80 फीसद क्षेत्र में बढ़ी हरियाली

पर्यावरणविद् बताते हैं कि 35 देशों की यूरोपियन यूनियन ने अरावली के 35 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण कराया। इससे इसके 80 फीसद क्षेत्र में हरियाली बढ़ी। इसका फायदा यह हुआ कि राजस्थान के रेगीस्तान से आने वाली धूल भरी आंधियों के घुमेरी से दिल्ली एनसीआर को छुटकारा मिल गया।

अरावली पर हरियाली से आंंधियोंं की धुमेरी कम हुई 

1990 से पहले दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद तक धूल भरी आंधियों की धुमेरी देखने को मिलती थी। अरावली में हरियाली बढ़ी तो इसमें वन्य जीव भी बढ़ने लगे। 2017 में अरावली में 31 तेंदुए थे तो अब इनकी संख्या 50 से ऊपर बताई जा रही है। चेतन अग्रवाल का कहना है कि सिर्फ इतना ही नहीं अरावली को दिल्ली एनसीआर के लिए संजीवनी बूटी कहने के और भी कई कारण हैं।

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अरावली को संजीवनी बूटी कहने के आधार- 

  • - अरावली की हरियाली से बरसात ज्यादा होना। बरसाती पानी पहाड़ से गुजरता हुआ जब नीचे पहुंचता है तो इसमें मिनरल और बढ़ जाती है।
  • - ज्यादा बरसात होने से अरावली के आसपास के क्षेत्रों में भूजल स्तर बढ़ता है।
  • - ग्लोबल वार्मिंग के चलते बढ़ रहे तापमान को अरावली की हरियाली संतुलित करती है।
  • - अरावली की ऊंची पहाड़ियां और हरियाली रेगीस्तान की धूल भरी आंधियां रोकने का काम करती हैं।
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केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की जंगल सफारी योजना से होगा अरावली का संरक्षण

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने अरावली के 10 हजार एकड़ में जंगल सफारी बनाने की योजना तैयार की है। इसको लेकर पर्यावरणविदों में मतभेद है। पर्यावरणविद चेतन अग्रवाल कहते हैं कि जंगल सफारी बनने के बाद इस क्षेत्र में कंकरीट के जंगल बसाने के षड़यंत्र बंद हो जाएंगे। सेवानिवृत्त वन अधिकारी डाक्टर आरपी बालवान कहते हैं कि जंगल सफारी में पर्यटकों की सुविधा के लिए पार्किंग, सड़क आदि विकसित करने से भी अरावली का मूल रूप क्षतिग्रस्त होगा।

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