Haryana Election 2024: केजरीवाल की बेल बिगाड़ेगी कांग्रेस का 'खेल'? भाजपा के वोट बैंक में भी लगेगी सेंध
हरियाणा चुनाव (Haryana Assembly Election) में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की एंट्री से आम आदमी पार्टी को बल मिला है। जेल से रिहा होने के बाद केजरीवाल हरियाणा में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे। केजरीवाल के चुनावी रण में उतरने से कांग्रेस को नुकसान और भाजपा को फायदा हो सकता है। वहीं केजरीवाल एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर स्पष्ट नहीं हैं।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। दिल्ली के शराब नीति केस में जमानत पर बाहर आए आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को हरियाणा के चुनाव (Haryana Election) में राजनीति का सजा-सजाया मंच मिल गया है।कुछ दिन आराम करने के बाद अरविंद केजरीवाल हरियाणा के चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे।
केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद जहां आम आदमी पार्टी को चुनावी रण में थोड़ी ताकत मिल सकती है। वहीं उनका प्रचार राजनीतिक रूप से कांग्रेस के लिए नुकसानदायक और सत्तारूढ़ भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
आप-कांग्रेस गठजोड़ न होने से भाजपा को फायदा
कांग्रेस के साथ गठबंधन की बातचीत चलाने वाली आम आदमी पार्टी ने उसके फैसले का इंतजार किए बिना ही अपनी तरफ से गठजोड़ तोड़ दिया था, जिसका फायदा भी भाजपा को ही मिलने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की स्थिति में जिस वोट बैंक का नुकसान भाजपा को होता, वह अब इन दोनों दलों में बंटने की स्थिति बन चुकी है।आप के स्टार प्रचारक हैं केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम आम आदमी पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में सबसे ऊपर है। केजरीवाल जब जेल में थे, तब उनकी धर्मपत्नी सुनीता केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा में मोर्चा संभाले रखा। राज्यसभा सदस्य डॉ. संदीप पाठक और संजय सिंह ने उनका साथ दिया।विधानसभा चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर रैलियां कर चुकी है लेकिन यह रैलियां अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में हुई हैं। इन रैलियों में सुनीता केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, भगवंत मान, संदीप पाठक और संजय सिंह ने कार्यकर्ताओं को जोड़ने की पूरी कोशिश की है।
आप ने नहीं किया कांग्रेस के फैसले का इंतजार
केजरीवाल के चुनावी रण में नहीं होने की वजह से यह नेता अपने कार्यकर्ताओं के बीच वह करेंट नहीं बना पाए, जिसे बनाने की महारथ केजरीवाल में है। आप के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि केजरीवाल जेल से बाहर होते तो कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी का गठबंधन तय था।पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता, संजय सिंह और संदीप पाठक ने कांग्रेस के फैसले का इंतजार किए बिना ही अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर इस संभावित गठबंधन की भ्रूण हत्या कर दी।
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