Haryana News: प्रदेश में बसे बांग्लादेशी घुसपैठियों को नहीं है सरकार का डर, बनवा रखे हैं फर्जी आधार और वोटर कार्ड
हरियाणा में अधिक संख्या बांग्लादेशी घुसपैठी बसे हुए है। गृह विभाग के आंकड़े के अनुसार इन बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या पांच सौ के करीब है। इन घुसपैठियों ने फर्जी तरीके से अपने आधार कार्ड और वोटर कार्ड भी बनवा लिए है। प्रदेश सरकार इन बांग्लादेशियों को अपने राज्य से बाहर करना भी चाहती है लेकिन अभी तक ऐसा कर नहीं कर सकी है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के नूंह (मेवात), यमुनानगर, पानीपत, भिवानी, जींद, गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले ऐसे हैं, जहां बहुत अधिक संख्या में अवैध रूप से बांग्लादेशी घुसपैठिये बसे हुए हैं। इन अवैध घुसपैठियों में से कई ने सरकारी कर्मचारियों से मिलीभगत कर अपने आधार कार्ड व वोटर कार्ड तक बनवा लिए हैं।
कई घुसपैठियों के पास राज्य सरकार का प्रमुख दस्तावेज परिवार पहचान पत्र तक है। विश्व हिंदू परिषद समय-समय पर इन घुसपैठियों के विरुद्ध कार्रवाई कर उन्हें हरियाणा खासकर भारत से बाहर निकालने का दबाव भी बनाती रही है, लेकिन आज तक अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है।
गृह विभाग के रिकॉर्ड में हरियाणा में करीब पांच सौ बांग्लादेशी
प्रदेश के गृह विभाग के रिकॉर्ड में करीब पांच सौ बांग्लादेशियों के हरियाणा में होने की सूचना है। विश्व हिंदू परिषद यह संख्या हजारों में बताती है। पिछले दिनों नूंह में हुई हिंसा में इन बांग्लादेशी घुसपैठियों व रोहिंग्या मुस्लिमों का हाथ होने के प्रमाण विहिप व बजरंग दल के नेताओं की ओर से प्रशासन को सौंपे गए थे।प्रदेश सरकार इन बांग्लादेशियों को अपने राज्य से बाहर करना भी चाहती है। इसके लिए राज्य में कई बार सर्वे कराया गया, लेकिन राजनीतिक लाभ-हानि के चक्कर में कठोर फैसला लेने का साहस अभी तक किसी प्रशासनिक अधिकारी ने नहीं जुटाया है।
घुसपैठियों की पहचान करना सबसे बड़ा संकट
विश्व हिंदू परिषद के पास जो जानकारी है, उसके आधार पर कहा जा रहा है कि सबसे बड़ा संकट इन घुसपैठियों को पहचानने का है। चूंकि इन लोगों के पास डाक्यूमेंट उपलब्ध हैं तो उन्हें भारत या हरियाणा का नागरिक मानने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।यह अलग बात है कि फर्जी तरीके से मिलीभगत कर यह डाक्यूमेंट तैयार किए गए हैं, मगर राज्य में चुनाव नजदीक होने की वजह से प्रशासनिक अधिकारी कोई रिस्क लेने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं। बड़ी समस्या यह भी है कि यदि बांग्लादेशियों को चिन्हित कर लिया गया तो उन्हें कहां रखा जाएगा।सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक यदि उन्हें वापस डिपोर्ट किए जाने की स्थिति में उन्हें बांग्लादेश वापस लेने के लिए आसानी से तैयार नहीं होता है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।जींद और नारनौल जिले में हो चुकी है गिरफ्तारी
हरियाणा के मुख्यमंत्री की सीएम फ्लाइंग ने पिछले दिनों जींद जिले के पाजूखुर्द में 10 और पानीपत में चार बांग्लादेशियों को अवैध रूप से रहने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इनमें से कुछ ने आधार कार्ड तक बनवा रखे थे। अधिकतर लोग ईट-भट्ठों, पानीपत की ब्लीचिंग फैक्टरियों व रेहड़ी लगाने का काम करते हैं।करीब दो साल पहले नारनौल जिले से 17 बांग्लादेशियों को अवैध रूप से रहने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। उनकी 13 माह की सजा पूरी हो चुकी है, लेकिन अब उन्हें बांगलादेश वापस लेने को तैयार नहीं है। ऐसे में इन बांगलादेशियों को पकड़े जाने व गिरफ्तारी के बाद सजा के बावजूद कोई फायदा नहीं हुआ है।झारखंड हाईकोर्ट के इस फैसले से गरमाया घुसपैठियों का मुद्दा
झारखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को संताल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशियों की घुसपैठ पर रोक लगाने पर अहम निर्देश दिया था। अदालत ने राज्य सरकार से घुसपैठियों को चिह्नित कर वापस बांग्लादेश भेजने के लिए कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया और दो सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट भी मांगी है।अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठिये आपकी जमीन पर रह रहे हैं और तमाम सुविधाएं उठा रहे हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि विदेशी घुसपैठियों को भारत में प्रवेश करने से हर हाल में रोकना होगा। अदालत ने कहा यह किसी राज्य या जिले का नहीं है बल्कि देश का मुद्दा है। यह अति गंभीर मामला है और केंद्र सरकार को भी राज्य सरकार के साथ मिल कर काम करना चाहिए। अदालत ने जानना चाहा है कि केंद्र सरकार इस मामले में क्या-क्या कदम उठा सकती है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि घुसपैठ के मामले में केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अधिकार दिए हैं।यह भी पढ़ें- Faridabad Crime: परिचित ने की थी मुस्तकीन की हत्या, पुलिस ने आरोपित को दबोचामुंह में दही जमाकर न बैठें कथित सेक्युलर दल- विनोद बंसल
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि राज्य सरकारों की तुष्टिकरण की नीति राज्य के हितों पर इसी तरह भारी रही तो न केवल झारखंड बल्कि बाकी ऐसे राज्य भी, जिनमें बांग्लादेशी व म्यांमारी घुसपैठियों मौजूद हैं, जल्दी ही जिहादखंड बन जाएंगे।राज्यों में पिछले कुछ वर्गों में लव जिहाद, धार्मिक वैमनस्य और संगठित मजहबी उन्माद की घटनाएं बढ़ी हैं। बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। धर्मांतरण का नंगा नाच चल रहा है। सरकारों के साथ शासन-प्रशासन के लोग ऐसे घुसपैठियों को प्रश्रय दे रहे हैं। कथित सेक्युलर राजनीतिक दल व उनके नेता भी अपने मुंह में दही जमाए बैठे हैं। इससे पूर्व की जनता सड़कों पर उतरे, जन जागरण जरूरी है। माननीय झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा घुसपैठियों को अविलंब देश से बाहर खदेडने के आदेश का न केवल झारखंड बल्कि हरियाणा व दिल्ली समेत सभी राज्यों में सख्ती से अनुपालन होना चाहिए।यह भी पढ़ें- 'बांग्लादेशी घुसपैठिए आपकी जमीन पर...' झारखंड HC ने राज्य सरकार से दो हफ्ते में मांगी प्रोग्रेस रिपोर्ट