भूपेंद्र हुड्डा का कांग्रेस विधायक दल और विपक्ष का नेता बनना तय, पूर्व सीएम के सपोर्ट में 32 विधायक
चार विधायक कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा समर्थक चुनकर आए हैं। वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थन में 32 विधायक हैं। इस तरह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना जाना संभव है। इस बाबत आज बैठक हो रही है। बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 37 सीटें मिली थीं। वहीं बीजेपी ने 48 सीटें हासिल की।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के कांग्रेस विधायक दल की शुक्रवार को चंडीगढ़ में होने वाली बैठक में पूर्व मुख्मयंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का विधायक दल का नेता चुना जाना तय है। इस बार चुनाव जीतकर आए कांग्रेस के 37 विधायकों में 32 हुड्डा समर्थक हैं।
कुमारी सैलजा के समर्थन में कितने विधायक
चार विधायक कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा समर्थक चुनकर आए हैं, जबकि एक विधायक आदित्य सुरजेवाला कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला के बेटे हैं। दो दिन पहले हुड्डा अपने दिल्ली निवास पर 32 विधायक जुटाकर शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं।
कांग्रेस हाईकमान ने विधायक दल का नेता चुनने के लिए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस कोषाध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य अजय माकन तथा पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजपा को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।
तीन बजे हुई बैठक
चंडीगढ़ स्थित कांग्रेस कार्यालय में शुक्रवार दोपहर बाद तीन बजे से विधायक दल की बैठक हो रही है, जिसमें कांग्रेस विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा। कांग्रेस विधायक दल का नेता ही हरियाणा विधानसभा में विपक्ष का नेता होगा। विपक्षी दलों में सिर्फ इनेलो के दो विधायक चुनकर आए हैं, जबकि तीन निर्दलीय विधायक चुनाव जीते हैं, जिन्होंने पहले दिन ही भाजपा सरकार को अपना समर्थन दे दिया है।
कांग्रेस में गुटबाजी इस समय चरम पर है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच चल रहे टकराव की वजह से ही कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के अधिकतर नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय यादव के भी बृहस्पतिवार को पार्टी छोड़ने के बाद अब राज्य में सिर्फ चार प्रमुख नेता भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और चौधरी बीरेंद्र सिंह बचे हैं, जिनके कंधों पर पार्टी को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद इसका ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ा जा रहा है।
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