Move to Jagran APP

Chandigarh News: गुरुग्राम जमीन विवाद में तीसरे जज के फैसले के खिलाफ भूपेंद्र सिंह हुड्डा, खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

गुरुग्राम में विवादास्पद भूमि सौदों की जांच के लिए गठित टीम की निरंतरता के मुद्दे पर स्पष्ट राय न होने चलते हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुरुग्राम में विवादास्पद भूमि सौदों की जांच मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर चल रहा है। हुड्डा ने दलील दी कि आयोग पर तीनों जज की राय अलग है। इसलिए स्पष्ट राय के लिए नए सिरे से निर्णय की आवश्यकता है।

By Dayanand Sharma Edited By: Deepak Saxena Updated: Wed, 05 Jun 2024 07:29 PM (IST)
Hero Image
गुरुग्राम जमीन विवाद में तीसरे जज के फैसले के खिलाफ भूपेंद्र सिंह हुड्डा।
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े गुरुग्राम में विवादास्पद भूमि सौदों की जांच के लिए गठित जांच आयोग की निरंतरता के मुद्दे पर तीसरे न्यायाधीश की राय में कोई स्पष्टता नहीं होने का दावा करते हुए स्पष्ट राय के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

हुड्डा के अनुसार, इस मामले पर स्पष्ट रूप से तीनों जजों ने अलग-अलग राय रखी है इसलिए इस पर नए सिरे से निर्णय की आवश्यकता है। हुड्डा मुख्य रूप से जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की संवैधानिक वैधता और मामले में आगे की जांच जारी रखने के संबंध में एक खंडपीठ के विपरीत निष्कर्षों पर अपनी राय देते हुए जस्टिस खेत्रपाल द्वारा पारित नौ मई के आदेश से व्यथित हैं।

जस्टिस खेत्रपाल के फैसले पर हुड्डा ने उठाए सवाल

इस मामले में जस्टिस खेत्रपाल के फैसले पर सवाल उठाने वाली अपनी याचिका में हुड्डा ने अब कहा है कि जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने दूसरे जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की राय से स्पष्ट रूप से सहमति व्यक्त की है, हालांकि उसी फैसले में उन्होंने पहले जज अजय कुमार मित्तल द्वारा अपनाए गए इस तर्क का सहारा लेने की राय दी है कि आयोग को जांच आयोग अधिनियम की धारा 8 बी के तहत नोटिस जारी करने के चरण से कार्यवाही शुरू करने की छूट होगी।

हुड्डा ने अपनी याचिका में कहा है कि क्योंकि जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल ने हरियाणा राज्य को केवल उसी विषय पर जांच आयोग नियुक्त करने की स्वतंत्रता दी है, क्योंकि ढींगरा आयोग की अवधि समाप्त हो जाने के कारण कानून में इसे जारी रखने की अनुमति नहीं थी।

तीन समान रूप से राय विभाजित

यह भी कहा गया है कि वास्तव में, तीसरे जज ने संदर्भ की शर्तों के अनुसार खंडपीठ के किसी भी जज से सहमति नहीं जताई है और एक स्वतंत्र राय बनाई है जो दोनों का मिश्रण है। इस तरह, जांच आयोग की रिपोर्ट को खारिज किए जाने के बाद भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई के मुद्दे पर तीन समान रूप से विभाजित राय हैं।

हाई कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट के नियमों के अनुसार, जांच आयोग की रिपोर्ट को खारिज किए जाने के बाद भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई का बिंदु इस मामले को अंतिम निर्णय के लिए एक या अधिक न्यायाधीशों के समक्ष प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है, क्योंकि मामले की सुनवाई करने वाले तीनों जज ने अलग-अलग और समान रूप से विभाजित राय व्यक्त की है और इस मुद्दे पर जजों के बीच बहुमत की राय का अभाव है।

ये 

ढींगरा आयोग की रिपोर्ट के अस्तित्व पर पूर्व में उठाए जा चुके सवाल

इससे पहले जनवरी 2019 में, हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने माना था कि गुरुग्राम में इन विवादास्पद भूमि सौदों की जांच करने वाले जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट 'नान-एस्ट' (अस्तित्व में नहीं है) है। हालांकि, इस मुद्दे पर खंडपीठ के दोनों जजों के अलग-अलग विचार होने के कारण कि क्या वही ढींगरा आयोग नए सिरे से रिपोर्ट तैयार करना जारी रखेगा या किसी अन्य आयोग को मामले की जांच करनी चाहिए, उनके विचार के लिए तीसरे जज को भेज दिया गया था।

अपना मत देते हुए हाई कोर्ट के तीसरे जज जज अनिल खेत्रपाल ने अब स्पष्ट किया है हरियाणा सरकार आयोग को फिर से जांच जारी रखने के लिए कह सकती है। यह आदेश पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की याचिका पर पारित किया गया, जिन्होंने ढींगरा आयोग की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। हालांकि, खंडपीठ ने इस मुद्दे पर अलग-अलग राय दी कि क्या ढींगरा आयोग जारी रह सकता है और एक नई रिपोर्ट तैयार कर सकता है या मामले की जांच के लिए कोई अन्य आयोग गठित किया जाना चाहिए। मामले की जांच के लिए ढींगरा आयोग को जारी रखने के मुद्दे को फिर तीसरे जज के पास भेज दिया गया था।

ये भी पढ़ें: Haryana Lok Sabha Chunav Result: बीजेपी के दिग्गज नेता अपने ही क्षेत्र में नहीं दिला पाए वोट, परफॉर्मेंस पर उठने लगे सवाल

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।