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'ऐसा नहीं हुआ तो दावेदारी कमजोर पड़ेगी', हरियाणा की नई विधानसभा के लिए जमीन के विरोध में बोले भूपेंद्र हुड्डा

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य के मौजूदा विधानसभा भवन पर दावेदारी छोड़कर किसी नये स्थान पर विधानसभा का भवन बनाने का प्रबल विरोध किया है। उनका कहना है कि ऐसा करने से राजधानी चंडीगढ़ पर हरियाणा की दावेदारी कमजोर पड़ेगी। हुड्डा ने विधानसभा के मौजूदा भवन के विस्तार अथवा उसी के बगल में नये भवन के निर्माण की अनुमति प्राप्त करने की जरूरत पर जोर दिया है।

By Anurag Aggarwa Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 15 Nov 2024 08:36 PM (IST)
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Haryana News: कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्य के मौजूदा विधानसभा भवन पर दावेदारी छोड़कर किसी नये स्थान पर विधानसभा का भवन बनाने का प्रबल विरोध किया है।

हुड्डा ने कहा कि ऐसा करने से राजधानी चंडीगढ़ पर हरियाणा की दावेदारी कमजोर पड़ेगी। हुड्डा ने विधानसभा के मौजूदा भवन के विस्तार अथवा उसी के बगल में नये भवन के निर्माण की अनुमति प्राप्त करने की जरूरत पर जोर दिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली में जमीन बहुत अधिक महंगी है। विधानसभा के नये भवन की जमीन के बदले हरियाणा सरकार द्वारा 12 एकड़ जमीन दिये जाने का कोई औचित्य नहीं है।

हरियाणा की नई विधानसभा के लिए चंडीगढ़ द्वारा रेलवे स्टेशन से आइटी पार्क को जाने वाली सड़क के पास 10 एकड़ जमीन दी जा रही है। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद चंडीगढ़ इस जमीन को देने के लिए तैयार हुआ है।

12 एकड़ जमीन चंडीगढ़ को दी जानी है

इसके बदले में हरियाणा से 12 एकड़ जमीन ली जाएगी। पंचकूला के मनसा देवी कॉम्पलेक्स के पास जो 12 एकड़ जमीन चंडीगढ़ को दी जानी है, वह इको सेंसेटिव जोन में आती है। इस पर केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर बदलाव कर दिए हैं।

चंडीगढ़ में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि यह बात सही है कि राजधानी की अधिकतर इमारतें हैरीटेज (विरासत) की श्रेणी में आती हैं। लेकिन बहुत से भवन ऐसे हैं, जिनमें हैरीटेज होते हुए भी बदलाव किये गये हैं।

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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का भवन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। केंद्र सरकार से विशेष अनुमति प्राप्त कर विधानसभा के मौजूदा भवन का विस्तार किया जाना चाहिये।

चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा का 60-40 के अनुपात में हिस्सा है, लेकिन पंजाब ने विधानसभा के रूप में रूप में सिर्फ 30 प्रतिशत हिस्सा दिया हुआ है। इसमें भी तीन प्रतिशत हिस्से पर पंजाब का कब्जा है और हरियाणा के पास मात्र 27 प्रतिशत हिस्सा है, जो कि उसे कई सालों से कम पड़ रहा है।

किस बात के लिए दें जमीन: भूपेंद्र सिंह हुड्डा

भूपेंद्र हुड्डा के अनुसार यदि हरियाणा सरकार ने मौजूदा विधानसभा भवन पर अपना कब्जा अथवा दावेदारी छोड़ दी तो एक दिन ऐसा भी आएगा, जब हरियाणा को उसका मौजूदा सचिवालय खाली करने के लिये कह दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जब चंडीगढ़ राज्य पंजाब व हरियाणा दोनों का हिस्सा है तो फिर यहां पर नई विधानसभा का भवन बनाने के लिए हम 12 एकड़ जमीन किस बात की दें।

उन्होंने कहा कि पंजाब लंबे समय से हरियाणा के लोगों के साथ अन्याय कर रहा है। सतलुज यमुना लिंक नहर का पानी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं दिया जा रहा है। पंजाब को हरियाणा के हिंदी भाषी क्षेत्र भी लौटाने पर विचार करना चाहिये।

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