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हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष के लिए ब्राह्मण चेहरे को दे सकती है भाजपा, राज्यसभा के लिए इन जातियों को साधने की तैयारी

भाजपा को नये प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा के लिए खाली एक सीट पर उम्मीदवारों की तलाश जारी है। प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी ब्राह्मण को तो वहीं राज्यसभा के लिए जाट या दलित चेहरे को मौका दे सकती है। रोहतक लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा के चुनाव जीतने की वजह से राज्यसभा की एक सीट खाली हुई है और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का पद महीनों से खाली है।

By Anurag Aggarwa Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sun, 16 Jun 2024 02:30 PM (IST)
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हरियाणा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों की तलाश जारी
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा भाजपा में इस समय एक साथ दो मोर्चों पर काम चल रहा है। राज्यसभा के लिए खाली हुए एक सीट पर काबिज होने के लिए जहां लाबिंग की जा रही है, वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जबरदस्त रस्साकसी चल रही है।

लोकसभा चुनाव में जिस तरह किसान खासकर जाट, ब्राह्मण और दलित मतदाताओं ने भाजपा उम्मीदवारों के प्रति बेरुखी दिखाई, उसके मद्देनजर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा की एक सीट के लिए इन समाज के दावेदारों को महत्व दिया जा सकता है।

दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा जाने के बाद खाली हुई है राज्यसभा की सीट

हरियाणा की रोहतक लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा के चुनाव जीतने की वजह से राज्यसभा की एक सीट खाली हुई है, जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का पद पिछले कई माह से खाली पड़ा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के नाते नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही लोकसभा चुनाव लड़ा गया है लेकिन अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिस तरह से मुख्यमंत्री नायब सैनी सरकार के काम को गति देने में व्यस्त हो गए हैं, उसे देखकर भाजपा संगठन को प्रदेश अध्यक्ष पद की खासी जरूरत महसूस हो रही है।

सीएम सैनी को संगठन में मजबूत सहयोगी की तलाश

मुख्यमंत्री नायब सैनी हर रोज प्रशासनिक सचिवों व प्रधान सचिवों के स्तर की दो से चार बैठकें कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद लोकसभा स्तर पर कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करने के लिए भी नायब सैनी को ही फील्ड में जाना पड़ रहा है।

भाजपा की सभी संगठनात्मक बैठकें नायब सैनी द्वारा ली जा रही हैं। ऐसे में संगठन के कार्यों में उनका हाथ बंटाने के लिए किसी मजबूत सहयोगी की जरूरत महसूस की जा रही है।

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने रोहतक से डा. अरविंद शर्मा और सोनीपत से मोहन लाल बडौली के रूप में दो ब्राह्मण नेताओं को मैदान में उतारा था लेकिन दोनों ही हार गए। सरकार और संगठन में भी ब्राह्मणों का उनकी जनसंख्या के हिसाब से उचित प्रतिनिधित्व नहीं है।

ब्राह्मण नेता को सौंपा जा सकता है प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी

भाजपा के इन दोनों उम्मीदवारों की हार को पार्टी के प्रति ब्राह्मणों की नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर किसी ब्राह्मण नेता को दायित्व सौंपा जा सकता है। भाजपा की निगाह ऐसे ब्राह्मण नेता पर है, जो सरकार और संगठन में समन्वय बनाकर चल सके।

गुरुग्राम में राव इंद्रजीत और फरीदाबाद में कृष्णपाल गुर्जर के रूप में दो ओबीसी चेहरों ने लोकसभा चुनाव जीत हासिल की है। दोनों मोदी सरकार में मंत्री बनाए जा चुके हैं।

मुख्यमंत्री नायब सैनी स्वयं ओबीसी हैं। अंबाला में बंतो कटारिया और सिरसा में डा. अशोक तंवर दोनों दलित चेहरे चुनाव हार गए हैं। हिसार में जाट चेहरे के रूप में रणजीत चौटाला चुनाव हारे हैं।

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राज्यसभा के लिए जाट या दलित चेहरों को किया जा रहा चिन्हित

करनाल लोकसभा सीट पर पंजाबी चेहरे के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल चुनाव जीतकर केंद्र में प्रभावशाली मंत्री बने हैं। भिवानी-महेंद्रगढ़ में चौधरी धर्मबीर सिंह (जाट) चुनाव जीते हैं।

ऐसे में भाजपा राज्यसभा की सीट पर किसी दलित अथवा जाट चेहरे को भेज सकती है। इसके लिए पार्टी में दलित व जाट चेहरों को चिन्हित किया जा रहा है, ताकि जातीय समीकरण साधते हुए विधानसभा चुनाव की तैयारी की जा सके।

इसके लिए पार्टी में व्यापक स्तर पर मंथन चल रहा है। उम्मीद की जा रही है कि अगले एक सप्ताह के भीतर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा की एक सीट के लिए नामों पर मुहर लग सकती है।

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