Haryana News: लोकसभा चुनाव की मेहनत बनेगी विधानसभा में टिकटों का आधार, कार्यकर्ताओं पर निगरानी के लिए BJP का ये है प्लान
देश की तरह ही प्रदेश में भी भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी ने हर लोकसभा क्षेत्र में अपनी पार्टी के अंदरुनी सेल सक्रिय कर दिए हैं। लोकसभा चुनाव में कार्यक्रमों को लेकर टिकट के दावेदारों पर बारीकी से निगाह रखी जा रही। बता दें एक विधानसभा क्षेत्र में टिकट के लिए चार से पांच पार्टी के कार्यकर्ता दावेदार हैं।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हरियाणा में लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने सभी मंत्रियों, विधायकों और पूर्व विधायकों के साथ उन नेताओं की जिम्मेदारी तय कर दी है, जो इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों के हक में टिकट के दावेदारों द्वारा की गई मेहनत ही विधानसभा चुनाव में उनके टिकट का आधार बनेगी।
करनाल संसदीय क्षेत्र समेत विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा ने ऐसे सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं पर निगाह रखने के लिए सेल गठित कर दिया है। जो विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार हैं। टिकट के दावेदार इन नेताओं की हर रोज की कार्य प्रणाली पर निगाह रखी जा रही है। एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन नौ विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं।
एक विधानसभा क्षेत्र में टिकट के लिए चार से पांच मजबूत दावेदार हैं। प्रत्येक दावेदार के काम का इस हिसाब से आकलन हो रहा है कि वह संबंधित लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवार के हक में कितनी प्रचार सभाओं का आय़ोजन करा रहा है। इससे टिकट के दावेदारों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड भी लगी हुई है।
भाजपा ने इस बार लोकसभा चुनाव में पांच टिकट बदले हैं। हिसार में बृजेंद्र सिंह के स्थान पर रणजीत चौटाला, सिरसा में सुनीता दुग्गल के स्थान पर डा. अशोक तंवर, सोनीपत में रमेश कौशिक की जगह मोहन लाल बडौली, अंबाला में रतन लाल कटारिया के निधन के बाद उनकी धर्मपत्नी बंतो कटारिया और करनाल में संजय भाटिया के स्थान पर पूर्व सीएम मनोहर लाल को टिकट दिए गए हैं।
कुरुक्षेत्र में नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बनने की वजह से यह सीट उद्योगपति एवं पूर्व सांसद नवीन जिंदल को दी गई है। लोकसभा चुनाव की तर्ज पर विधानसभा चुनाव में भी भाजपा करीब दो दर्जन विधायकों के टिकट काट सकती है।
विधायकों के टिकट कटने का अंदाजा संबंधित विधानसभा क्षेत्रों के उन सभी दावेदारों को है, जो टिकट की लाइन में लगे हैं। भाजपा ने इन सभी दावेदारों का राजनीतिक रूप से सही इस्तेमाल करने की कार्य योजना के तहत उन्हें हर रोज कम से कम चार से पांच कार्यक्रम आयोजित कराने की जिम्मेदारी सौंपी है।
हर दावेदार का पूरा रिकार्ड तैयार किया जा रहा है, ताकि विधानसभा में टिकट की दावेदारी करते समय लोकसभा चुनाव में उनके काम का आकलन किया जा सके। हालांकि इसी तरह का पैमाना कांग्रेस में तैयार किया जा सकता है, लेकिन कांग्रेस का टिकट देने का तरीका ही अलग है।
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