भाजपा काे 'सुधा' में 'सुषमा' की तलाश, हरियाणा की सुधा यादव को पार्टी में मिला अहम स्थान
Sudha Yadav हरियाणा की भाजपा नेता सुधा यादव को पार्टी में अहम स्थान मिला है। उनको भाजपा संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में शामिल कर पार्टी ने बड़ा संदेश दिया है। बड़ा सवाल है कि क्या भाजपा सुुधा यादव में नई सुषमा स्वराज तलाश रही है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Thu, 18 Aug 2022 08:01 PM (IST)
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Sudha Yadav: भाजपा ने हरियाणा की सुधा यादव काे पार्टी में अहम स्थान दिया है। इसके साथ ही पार्टी बड़ा संदेश दिया है कि साधारण से साधारण कार्यकर्ता भी शीर्ष पर पहुंच सकता है। सुधा यादव ने साबित किया है कि समर्पण, काम के प्रति ईमानदारी और संयम भाव हो तो पार्टी में सम्मान जरूर मिलता है। माना जा रहा है कि भाजपा सुधा में नई सुषमा स्वराज तलाश रही है।
हरियाणा की सुधा यादव को मिला संसदीय बोर्ड व चुनाव समिति में स्थान
भाजपा के संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल हरियाणा की सुधा यादव में समर्पण, काम के प्रति ईमानदारी और संयम तीनों चीजें हैं और इसका उन्हें ईनाम मिला है। हरियाणा भाजपा के प्रभारी रहते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब सुधा यादव को सक्रिय राजनीति में लेकर आए थे, तो उस समय वह मात्र एक गृहिणी थीं।
पति के बलिदान के बाद मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था, लेकिन मोदी ने राजनीति में आने को किया प्रेरित
पति बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट थे और कारगिल युद्ध में बलिदानी हो गए थे। इससे मुसीबतों का पहाड़ सिर पर टूट पड़ा था। परिवार को संभालने वाला कोई नहीं था, लेकिन ऐसी स्थिति में नरेन्द्र मोदी ने उन्हें (सुधा यादव को) राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। उन्हें समझाया कि आपकी जितनी जरूरत परिवार को है, उससे कहीं अधिक जरूरत देश को है। तब का समय और आज का समय, सुधा यादव ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
मोदी ने बनाया निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी और वसुंधरा से ऊंचा कदहरियाणा की राजनीति के जानकारों का कहना है कि यूं तो भाजपा के पास महिला चेहरों की कमी नहीं है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया समेत कई बड़े नाम हैं, लेकिन जिन्हें नजरअंदाज कर पार्टी ने सुधा यादव को संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में शामिल किया है।
उनके करीबियों का कहना है कि सुधा यादव का आज भाजपा में वही स्थान बन रहा है, जो कभी सुषमा स्वराज का हुआ करता था। सुषमा स्वराज भाजपा के संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य रह चुकी थीं। संयोग से सुषमा स्वराज हरियाणा से थीं और सुधा यादव भी हरियाणा से ही हैं। सुषमा स्वराज मूल रूप से अंबाला छावनी की रहने वाली थीं। खास बात यह है कि सुषमा स्वराज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की विश्वासप्राप्त नेता थीं, जबकि सुधा यादव प्रधानमंत्री मोदी की विश्वासपात्र हैं।
भाजपा की पिछड़े वर्ग के साथ-साथ सैनिक परिवारों को साधने की कोशिशअहीरवाल में रेवाड़ी जिले के गांव धामलावास की रहने वाली सुधा यादव पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके पति सुखबीर यादव सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के डिप्टी कमांडेंट के पद पर कार्यरत थे। 1999 में हुए कारगिल युद्ध में सीमा पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए उनका बलिदान हो गया था।कारगिल युद्ध के तुरंत बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को शिकस्त देने के लिए भाजपा को एक मजबूत उम्मीदवार की जरूरत थी। उस समय राव इंद्रजीत कांग्रेस के उम्मीदवार थे, जो अब भाजपा में हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री हैं। तब राव इंद्रजीत की लोकसभा सीट महेंद्रगढ़ हुआ करती थी। फिलहाल राव इंद्रजीत गुरुग्राम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं।
राष्ट्रीय राजनीति में हरियाणा के भाजपा नेताओं को मिला मजबूत पैरोकारप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 1999 में हरियाणा भाजपा के प्रभारी, ओमप्रकाश ग्रोवर प्रदेश अध्यक्ष और ओमप्रकाश धनखड़ प्रदेश महामंत्री हुआ करते थे। पार्टी प्रभारी के नाते मोदी को राव इंद्रजीत से मुकाबले के लिए सुधा यादव का नाम सुझाया गया। सुधा यादव तक जब यह बात पहुंची कि भाजपा उन्हें महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़वाना चाहती है तो उन्होंने परिवार को संभालने की बात कहते हुए मना कर दिया।
तब नरेन्द्र मोदी ने सुधा यादव से बात की और अपनी माता द्वारा दिए गए 11 रुपये सुधा यादव को भेंट करते हुए चुनाव लड़ने के लिए मना लिया। राव इंद्रजीत को पराजित कर सुधा यादव चुनाव जीत गई। आज भाजपा में सुधा यादव का बड़ा नाम है। भाजपा ने उन्हें संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में शामिल कर न केवल पिछड़े वर्ग का भरोसा जीतने की कोशिश की है, बल्कि सैनिक परिवारों का दिल भी जीत लिया है।हरियाणा में पार्टी के फैसलों में रहता है पूरा हस्तक्षेप
1987 में रुड़की आइटीआइ से स्नातक (रसायनशास्त्र) करने वाली सुधा यादव शिक्षिका भी रही हैं। फिलहाल वह भाजपा में राष्ट्रीय सचिव के पद पर कार्यरत हैं और पिछड़ा वर्ग का दायित्व संभाल चुकी हैं। 2004 में सुधा यादव को महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था।इसके बाद उन्होंने अगला चुनाव 2009 में गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र से लड़ा। मगर वहां भी सफलता नहीं मिली। 2015 में सुधा यादव को भाजपा ओबीसी मोर्चा का प्रभारी नियुक्त किया गया। हरियाणा में भाजपा के तमाम राजनीतिक फैसलों में सुधा यादव का हमेशा पूरा हस्तक्षेप रहा है। अब पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में हरियाणा के भाजपा नेताओं को अपना एक मजबूत पैरोकार मिल गया है।
नरेन्द्र मोदी की बातों ने बढ़ाया मनोबल तो राजनीति में आईं सुधासुधा यादव बताती है कि जब उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था तो उस दौरान हरियाणा के प्रभारी रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे बात की। उस समय मोदी ने सुधा से कहा था कि आपकी जितनी जरूरत आपके परिवार को है, उतनी ही जरूरत इस देश को भी है।सुधा बताती हैं कि पति की शहादत के बाद उनके लिए वह समय काफी मुश्किल भरा था, ऐसे में चुनाव लड़ने का विचार उनके मन में बिल्कुल नहीं था, लेकिन नरेन्द्र मोदी की बातों ने उनका मनोबल बढ़ाया और वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गईं। सुधा यादव कहती हैं कि पार्टी द्वारा उन्हें इतना बड़ा सम्मान देने का मतलब है कि साधारण से साधारण कार्यकर्ता को भी किसी भी समय असाधारण जिम्मेदारी मिल सकती है। बस अगर जरूरत है तो सिर्फ पार्टी के प्रति समर्पण और संयम से इंतजार करने की।
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