Haryana News: पराली जलाने वाले 939 किसानों का हुआ चालान, 25 लाख से अधिक का वसूला गया जुर्माना
एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष डा. एमएम कुट्टी की अध्यक्षता में शुक्रवार को वर्चुअल समीक्षा बैठक हुई। इस बैठक में बताया गया कि पराली जलाने वाले प्रदेश के 939 किसानों के चालान कर 25 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला गया है। साथ ही कैथल और करनाल में पराली 60 फीसदी कम जलाई गई। साथ ही कई अधिकारियों को निलंबित किया गया है।
By Sudhir TanwarEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Fri, 03 Nov 2023 11:10 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में पराली (धान के फसल अवशेष) जलाने वाले 939 किसानों के चालान कर 25 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला गया है। प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल की तुलना में 38 प्रतिशत की कमी आई है। खासकर कैथल और करनाल में 60 प्रतिशत पराली कम जली है।
वायु गुणवत्ता को लेकर हुई वर्चुअल समीक्षा बैठक
एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष डा. एमएम कुट्टी की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई वर्चुअल समीक्षा बैठक में हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि राज्य सरकार वायु गुणवत्ता सूचकांक को लेकर अत्यधिक सतर्क है। पराली जलाने के मामलों को ओर कम करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहें हैं।
वर्ष 2022 में राज्य में पराली जलाने के 2,083 मामले दर्ज किए गए थे जो इस साल घटकर 1,296 मामले रह गए हैं। वर्ष 2021 की तुलना में 2023 में पराली जलाने की घटनाओं में 57 प्रतिशत की कमी आई है। बैठक में सभी उपायुक्तों ने भी वर्चुअली भाग लिया।ये भी पढ़ें: Chandigarh News: भूपेंद्र हुड्डा मानने लगे मनोहर के डिजिटल हरियाणा का जलवा, सीएम के कॉर्डिनेटर ने कांग्रेस पर कसा तंज
पराली जलाने की घटनाओं में आई 60 फीसदी कमीडॉ. कुट्टी ने पिछले वर्ष की तुलना में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में 60 प्रतिशत से अधिक की कमी हासिल करने के लिए करनाल और कैथल के उपायुक्तों की सराहना की। उन्होंने कहा कि खेतों में पराली जलाने को नियंत्रित करने में हरियाणा ने बेहतर कार्य किया है, लेकिन वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार के लिए आगामी त्योहारी सीजन के दौरान कड़ी निगरानी और कड़े उपायों करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए 'हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट आ पैडी स्ट्रा - 2023' योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना का उद्देश्य बायोमास आधारित परियोजनाओं के लिए धान के भूसे की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
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