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हरियाणा में निजी नौकरियों में 75 फीसद आरक्षण को अदालत में चुनौती, औद्योगिक संस्था ने दायर की याचिका

Haryana Job Reservation हरियाणा में स्‍थानीय युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी नौकरी के कानून को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। एक औद्योगिक संस्‍था ने इस आरक्षण के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में य‍ाचिका दायर की है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Fri, 12 Mar 2021 08:19 AM (IST)
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हरियाणा में नौकरियों में 75 फीसद आरक्षण एक्‍ट को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। (फाइल फोटो)
चंडीगढ, जेएनएन। Haryana Job Reservation: हरियाणा में राज्‍य के लोगों को निजी क्षेत्र की नौकरी में 75 प्रतिशत आरक्षण को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। एक औद्योगिक संस्‍था ने भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार के हरियाणा स्टेट इंप्लायमेंट आफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। औद्योगिक संस्था ने आशंका जताई कि इस कानून के लागू होने से हरियाणा से इंडस्ट्री का पलायन हो सकता है तथा यह वास्तविक कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन है।

याचिका में आरोप, योग्यता के बदले रिहायशी आधार पर नौकरी देने की होगी परंपरा शुरू

मैसर्स एके आटोमैटिक पंचकूला ने हाई कोर्ट में इस संबंध में दायर याचिका में इस एक्ट पर रोक लगाने की मांग की है। याचिकामें कहा गया है कि हरियाणा सरकार का यह फैसला योग्यता के साथ अन्याय है। ओपन की जगह आरक्षित क्षेत्र से नौकरी के लिए युवाओं का चयन करना एक प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। सरकार का यह फैसला अधिकार क्षेत्र से बाहर का व सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के खिलाफ है। इसलिए इसे रद किया जाए।

कानून योग्य लोगों के खिलाफ, केंद्र की एक भारत श्रेष्ठ भारत की नीति के विपरीत

याचिका में कहा गया है कि  हरियाणा सरकार ने जिस तरह से निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्‍यवस्‍था की है वह नियोक्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। निजी क्षेत्र की नौकरियां पूर्ण रूप से योग्यता व कौशल पर आधारित होती हैं। याचिका के अनुसार यह कानून उन युवाओं के संवैधानिक अधिकार के खिलाफ है जो शिक्षा के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने की योग्यता रखते हैं।

इंडस्ट्री हो सकती है स्थानांतरित, हरियाणा सरकार के एक्ट को रद करने के लिए याचिका

याचिका में कहा गया है कि यह कानून योग्यता के बदले रिहायशी आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए पद्धति को शुरू करने का एक प्रयास है। यह हरियाणा में निजी क्षेत्र में रोजगार संरचना में अराजकता पैदा करेगा। यह कानून केंद्र सरकार की एक भारत श्रेष्ठ भारत की नीति के विपरीत है। कोविड -19 से प्रभावित बाजार को कुछ राहत की जरूरत है लेकिन यह कानून जो निजी क्षेत्र के विकास को भी बाधित करेगा और संभावना है कि इसी कारण राज्य से इंडस्ट्री स्थानांतरित भी हो सकती है।

इसलिए दी गई सरकार के नए कानून को चुनौती

हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने एक कानून बनाकर राज्य में निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण हरियाणा के रिहायशी प्रमाणपत्र धारकों के लिए जरूरी कर दिया। यह आरक्षण 50 हजार रुपये मासिक से कम वेतन की नौकरियों के लिए है। राज्य में चल रही निजी क्षेत्र की उन कंपनियों, सोसायटी, ट्रस्ट, साझेदारी फर्म पर यह कानून लागू होगा, जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी हैं।

नए एक्‍ट के अनुसार, एसडीएम या इससे उच्च स्तर के अधिकारी कानून लागू किए जाने की जांच कर सकेंगे और कंपनी परिसर में भी जा सकेंगे। कानून के विभिन्न नियमों का उल्लंघन करने पर नियोक्ता पर 25 हजार रुपये से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान किया गया है।

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