हरियाणा में अब एकजुटता का संदेश देंगे कांग्रेस दिग्गज, राहुल गांधी की मध्यस्थता के बाद हुड्डा और SRK गुट में दिखा परिवर्तन
हरियाणा के पार्टी नेताओं ने एक दूसरे का हाथ पकड़ने के लिए अपनी तरफ से पहल आरंभ कर दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मध्यस्थता के बाद ये सकारात्मक असर दिखाई दिया। हुड्डा गुट की जन आक्रोश रैलियों में भी विरोधी गुट के नेताओं पर सीधे हमला नहीं बोला जा रहा है। हुड्डा व एसआरके गुट के समर्थक अपने-अपने नेता के मुख्यमंत्री बनने के नारे लगा रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मध्यस्थता का यह असर हुआ कि हरियाणा के पार्टी नेताओं ने एक दूसरे का हाथ पकड़ने के लिए अपनी तरफ से पहल आरंभ कर दी है। राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा का गुट विधायकों के साथ जन आक्रोश रैलियां, जिला कार्यकर्ता सम्मेलन व राज्य स्तरीय समारोहों का आयोजन कर रहा है। एसआरके गुट के नाम से मशहूर कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी की तिकड़ी पूरे राज्य में कांग्रेस संदेश यात्रा निकाल रही है।
आरंभ में जब इस संदेश यात्रा का खाका तैयार किया गया था, तब यह संदेश गया कि एसआरके गुट की तरफ से हुड्डा गुट के खिलाफ इस संदेश यात्रा का माहौल बनाया जा रहा है। हो सकता है कि यह बात ठीक भी हो, लेकिन अपनी संदेश यात्राओं में एसआरके गुट के तीनों नेताओं का फोकस राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को मजबूत करने के साथ ही केंद्र व राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाने के तरीकों पर रहा है।
बीजेपी और जजपा गठबंधन पर बोला जा रहा हमला
इसके लिए एसआरके गुट के नेता न केवल राहुल गांधी के संघर्ष को याद कर रहे हैं, बल्कि राज्य में कांग्रेस के 10 साल के राज की उपलब्धियां गिनाने के साथ ही भविष्य का एजेंडा भी पेश कर रहे हैं। यही स्थिति हुड्डा गुट के कार्यक्रमों व जन आक्रोश रैलियों की है, जिसमें भाजपा व जजपा गठबंधन की सरकार पर हमला बोला जा रहा है।ये भी पढ़ें: Haryana Politics: जींद की 'बदलाव रैली' में बोले केजरीवाल मेरी ये पांच मांग पूरी कर दो मैं राजनीति छोड़ दूंगा
दोनों गुट एक-दूसरे पर नहीं कर रहे विवादित टिप्पणी
हुड्डा गुट का कोई नेता एसआरके गुट पर किसी तरह की विवादित टिप्पणी नहीं कर रहा है। हुड्डा व एसआरके गुट के कार्यक्रमों की खास बात यह है कि सभी के समर्थक अपने-अपने नेता के मुख्यमंत्री बनने के नारे लगा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसे सहज और स्वाभाविक प्रक्रिया मानते हैं। हुड्डा का कहना है कि हर कार्यकर्ता की भावना होती है कि उसका नेता मुख्यमंत्री बने।
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