सादगी भरा जीवन...इंदिरा गांधी के खास, 3 बार संभाला मुख्यमंत्री का पद, ऐसे थे हरियाणा के पूर्व CM बंसीलाल चौधरी
Chaudhary Bansi Lal Birth Anniversary हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके चौधरी बंसीलाल का आज जन्मदिन है। बंसीलाल का जन्म 26 अगस्त 1927 को हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ था। वह जाट परिवार से थे। उन्होंने हरियाणा में तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभाला है। एक समय तक हरियाणा की राजनीति बंसीलाल के परिवार के ही इर्द-गिर्द घूमती थी।
पंचकूला, ऑनलाइन डेस्क। Chaudhary Bansi Lal Biography: सादगी से भरा जीवन और उच्च विचार रखने वाले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल का आज जन्मदिन है। काम के बल पर आमजन से विकास पुरुष व आधुनिक हरियाणा के निर्माता जैसा उपनाम पाने वाले चौधरी बंसीलाल का आज ही के दिन यानी 26 अगस्त 1927 को हरियाणा के भिवानी जिले में जन्म हुआ था। वह जाट परिवार से थे। हरियाणा की राजनीति में इनका ही सिक्का चलता था या यूं कहें कि हरियाणा की राजनीति बंसीलाल के परिवार के ही इर्द-गिर्द घूमती थी।
हरियाणा को शराब से दिलाई मुक्ति
बंसीलाल न केवल एक राजनेता थे, बल्कि वह भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और समाज सुधार में भी अहम भूमिका निभाई है । चौधरी बंसीलाल ही वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने हरियाणा को शराब से मुक्ति दिलाई थी। उन्होंने हरियाणा में शराब पर प्रतिबंध लगा दिया था।
बंसीलाल ने शराबबंदी का मुद्दा उठाते हुए ही चुनाव लड़ा था और वह चुनाव जीत भी गए थे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान हरियाणा को शराब मुक्त कर भी दिया था, लेकिन बाद में शराब की तस्करी बढ़ने लगी थी। जिससे उनकी सरकार गिर गई थी।
1957 में रखा राजनीति में कदम
बंसीलाल साल 1957 में बार काउंसिल के अध्यक्ष चुने गए थे, इसके बाद ही उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। साल 1959 में पूर्व सीएम ने जिला कांग्रेस कमेटी हिसार के अध्यक्ष का पदभार संभाला। इसके बाद से ही उनकी ख्याती बढ़ने लगी थी।
बंसीलाल कांग्रेस वर्किंग कमेटी और कांग्रेस संसदीय बोर्ड के मेंबर बने। हरियाणा के अलग राज्य बनने के बाद बंसीलाल की किस्मत को चार चांद लग गए थे।
कब-कब सीएम बने बंसीलाल
1967 में बंसीलाल पहली बार विधायक चुने गए थे और विधायक चुने जाने के कुछ दिन बाद ही वह सीएम भी बन गए थे। बंसीलाल ने तीन अलग-अलग अवधियों 1968-1975, 1985-87 एवं 1996-99 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वह 1975 तक दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री चुने गए थे।
हालांकि, इसके बाद उन्हें सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। साल 1985 में उन्होंने फिर से सत्ता में वापसी की और सीएम का पद संभाला पर दो साल बाद उनकी सरकार गिर गई। वहीं, 1996 में बंसीलाल ने कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा विकास पार्टी का गठन किया और बीजेपी के सहयोग के साथ हरियाणा में सरकार बनाई, पर तीन साल बाद सरकार गिर गई थी।
आपातकाल में इंदिरा गांधी के थे विश्वासपात्र
बंसीलाल इंदिरा गांधी के भी करीबी माने जाते थे। 1975 में लगे आपातकाल के दौरान भी इंदिरा गांधी के लिए बंसीलाल और उनके बेटे संजय गांधी विश्वासपात्र माना जाते थे। यही वजह है कि दिसंबर 1975 से मार्च 1977 तक उन्होंने रक्षा मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी।
1975 में केंद्र सरकार में बिना विभाग के मंत्री के रूप में उनका एक संक्षिप्त कार्यकाल भी संभाला था। बंसीलाल रेलवे और परिवहन विभाग में भी सेवाएं दे चुके हैं। लाल सात बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए थे।
हरियाणा के विकास के लिए किया काम
हरियाणा की राजनीति का जाना-माना चेहरा रहे चौधरी बंसीलाल ने पहली पारी में कई बड़ी उपलब्धियां अपने नाम की थी। बंसीलाल ने हरियाणा के विकास के लिए कई कार्य किए। उन्होंने हरियाणा के दूर-दराज के क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने का काम किया था।
उनके कार्यकाल के दौरान हरियाणा के कुछ गांवों में बिजली की सुविधा उपलब्ध हो गई थी। वहीं, पश्चिमी व दक्षिणी हरियाणा में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करने में भी बंसी की अहम भूमिका रही थी। जेएलएन जैसी नहरी प्रणाली उन्हीं की देन है।
सिर पर पहनते थे गांधी टोपी
चौधरी बंसीलाल सादगी भरा जीवन जीते थे। उनके बारे में यह भी किस्सा है कि सीएम होने के बाद भी वे कई बार बिना प्रेस किए हुए कपड़े पहन लेते थे। इस बारे में उनसे सवाल किए जाने पर वह कहते थे कि अगर बिना प्रेस वाले कपड़े पहनूंगा तो क्या आप मुझे सीएम नहीं मानेंगे? सफेद रंग का साधारण कुर्ता-पायजामा पहनते थे। वे अक्सर सिर पर गांधी टोपी भी धारण करते थे।