प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री को बताया कि तिब्बती लोगों ने चीनी कम्युनिस्ट सरकार के क्रूर दमन के बावजूद पिछले 74 वर्षों से शांतिपूर्ण प्रतिरोध को जारी रखा है और चीन के औपनिवेशिक कब्जे को सहन कर रहे हैं। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि तिब्बती नागरिक के तौर पर हमारी स्थिति और अधिकारों को मान्यता दी जाए और उनकी पुनः पुष्टि की जाए।
By Sudhir TanwarEdited By: Mohammad SameerUpdated: Sat, 02 Dec 2023 05:00 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ः
निर्वासित तिब्बत संसद के सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज और विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता से मिला। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल में शामिल नामग्याल डोल्कर, सेरता तसुल्ट्रीम और लामा रिचंदन तसुल्ट्रीम ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि चीन तिब्बती लोगों के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन कर रहा है। तिब्बत की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान पर खतरा मंडरा रहा है।
प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री को पुस्तक माई लैंड एंड माई पीपुल भेंट करते हुए कहा कि सात दशकों से तिब्बत में स्थिति बद से बदतर होती गई है। तिब्बत और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण सह-अस्तित्व और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का हजारों सालों का इतिहास रहा है। तिब्बत और भारत समृद्ध, प्राचीन और समकालीन सभ्यताओं वाले पड़ोसी देश रहे हैं।
भारत और चीन के बीच कभी भी किसी भी प्रकार की सीमा नहीं मिलती थी। हालांकि चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे के बाद से भारत और चीन के बीच सीमा अस्तित्व में न केवल आ गई है, बल्कि वह विवाद का विषय भी बनी हुई है। इन सीमाओं के पीछे हमारे तिब्बती भाई-बहन हैं।
इन पर चीन का आधिपत्य कायम है और चीनी दमनकारी नीतियों के तहत तिब्बती लोगों का उत्पीड़न जारी है।
प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री को बताया कि तिब्बती लोगों ने चीनी कम्युनिस्ट सरकार के क्रूर दमन के बावजूद पिछले 74 वर्षों से शांतिपूर्ण प्रतिरोध को जारी रखा है और चीन के औपनिवेशिक कब्जे को सहन कर रहे हैं।
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ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि तिब्बती नागरिक के तौर पर हमारी स्थिति और अधिकारों को मान्यता दी जाए और उनकी पुनः पुष्टि की जाए। इस पर गृह मंत्री ने तिब्बत संसद के सदस्यों से कहा कि तिब्बत विवाद के बारे में केंद्र सरकार की ओर से कार्रवाई की जाती है और इस बारे उन्हें संबंधित केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करनी चाहिए।
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