Move to Jagran APP

Haryana News: राज्यसभा चुनाव में हुड्डा की जोड़तोड़ चलेगी या फिर नायब का जलवा, अग्नि परीक्षा से गुजरेंगे कांग्रेस-भाजपा

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और भाजपा राज्यसभा चुनाव की अग्नि परीक्षा से गुजरेंगे। अब देखना है कि हुड्डा या नायब मैदान में कौन बाजी मारेगा। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद देश भर में राज्यसभा की 10 सीटें खाली हुई हैं। असम बिहार और महाराष्ट्र में दो-दो हरियाणा मध्य प्रदेश राजस्थान और त्रिपुरा में एक-एक राज्यसभा सीट खाली हुई है।

By Anurag Aggarwa Edited By: Himani Sharma Updated: Mon, 17 Jun 2024 05:34 PM (IST)
Hero Image
विधानसभा से पहले राज्यसभा चुनाव की अग्नि परीक्षा से गुजरेंगे कांग्रेस-भाजपा
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा और कांग्रेस को एक और सियासी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। यह चुनौती है राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल करने की। कांग्रेस के सामने जहां अपने हिस्से की राज्यसभा सीट को दोबारा अपने खाते में लाने की चुनौती होगी।

वहीं भाजपा के सामने अपने समर्थक विधायकों के संख्या बल के आधार पर राज्यसभा की इस सीट पर कब्जा करने की बड़ी चुनौती रहेगी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस चुनौती को कैसे अपने पक्ष में करते हैं, इस पर सभी राजनीतिक दलों की निगाह टिकी रहेगी।

राज्‍यसभा की 10 सीटें हुई खाली

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद देश भर में राज्यसभा की 10 सीटें खाली हुई हैं। असम, बिहार और महाराष्ट्र में दो-दो, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा में एक-एक राज्यसभा सीट खाली हुई है। जिन सात राज्यों की 10 सीटों पर रिक्तियों की अधिसूचना जारी हुई है, उनमें सात सीटें भाजपा, दो कांग्रेस और एक राष्ट्रीय जनता दल के पास थीं।

कांग्रेस और राजद दोनों ही आइएनडीआइए गठबंधन के प्रमुख घटक हैं। असम, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और त्रिपुरा जैसे राज्यों में भाजपा उम्मीदवारों के आसानी से जीत हासिल करने की संभावना है। हरियाणा में खाली हुई सीट को जीतने के लिए भाजपा को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा थे राज्‍यसभा सदस्‍य

हरियाणा से कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा राज्यसभा सदस्य थे, जो रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं। अब दीपेंद्र हुड्डा और उनके पिता भूपेंद्र हुड्डा पर अपनी इस सीट को दोबारा जीतकर कांग्रेस के खाते में पहुंचाने का दबाव है। हुड्डा को जोडतोड़ की राजनीति का जबरदस्त खिलाड़ी माना जाता है।

यह भी पढ़ें: ITI में दाखिला लेने वाली छात्राओं के लिए खुशखबरी, स्कॉलरशिप देने का किया एलान; महिला दिवस पर मिलेंगे 2500 रुपये

हुड्डा यदि राज्यसभा की यह सीट जीतने में कामयाब हो जाते हैं तो विधानसभा चुनाव से पहले इस गणित का भी खुलासा हो जाएगा कि जजपा, इनेलो और निर्दलीय विधायकों का भाजपा के प्रति कैसा रुख है। यदि हुड्डा चुनाव हारते हैं तो स्वाभाविक है कि भाजपा विपक्षी एकजुटता को छिन्न-भिन्न करने में कामयाब हो गई है।

भाजपा के पास 43 और कांग्रेस के पास 44 विधायकों का दावा

हरियाणा में 90 सदस्यीय विधानसभा अब 87 सदस्यों की रह गई है। भाजपा के पास अपने 41 विधायक हैं। उसे एक निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत और हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा का समर्थन हासिल है। इस तरह भाजपा के पास विधायकों की संख्या 43 हो गई। विपक्ष अपने साथ 44 विधायक होने का दावा करता दिखाई पड़ रहा है। इनमें कांग्रेस के 29 विधायक, जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 और तीन निर्दलीय विधायक रणधीर गोलान, धर्मपाल गोंदर और सोमबीर सांगवान शामिल हैं।

चौथे निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के अभय चौटाला की गिनती भी विपक्षी विधायकों में होती है। कांग्रेस को उम्मीद है कि अगर उसे सभी विपक्षी विधायकों का समर्थन मिला तो वह भाजपा से चुनाव जीत सकती है, हालांकि भाजपा इतनी आसानी से कांग्रेस को इन सभी विधायकों का समर्थन हासिल करने देगी, इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है।

10 सदस्यों वाली जजपा के विधायकों पर निर्भर करेगी हार-जीत

भाजपा की तरफ 43 और विपक्ष की तरफ 44 विधायकों के मामले में 10 विधायकों वाली जजपा की भूमिका काफी अहम हो सकती है। दुष्यंत चौटाला की पार्टी के कुछ विधायकों की नाराजगी की खबरें सामने आ रही हैं। जजपा के दो विधायक जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर रखी है।

यह भी पढ़ें: Eid Al-Adha 2024: देश में अमन चैन की दुआ के साथ उठे हाथ, हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा बकरीद का त्यौहार

जजपा ने स्पीकर डॉ. ज्ञानचंद गुप्ता को पत्र लिखकर इन दोनों विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग भी की है। एक विधायक देवेंद्र बबली ने लोकसभा चुनाव में सिरसा से कांग्रेस की उम्मीदवार कुमारी सैलजा को अपना समर्थन दिया था। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनावी शतरंज में बाजी हुड्डा मारते हैं या फिर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के शिष्ट सीएम नायब सैनी बाजी को पलट देने में कामयाबी हासिल करते हैं।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।