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नायब सरकार के पहली नियुक्ति पर घमासान, मंत्रियों के विरोध के बाद आधी रात को वापस लेना पड़ा फैसला

हरियाणा में नई सरकार के गठन के बाद पहली नियुक्ति पर घमासान मच गया है। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राजेश खुल्लर को मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव लगाए जाने तक तो बात ठीक थी लेकिन उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने की अधिसूचना जारी होते ही घमासान मच गया। पार्टी के कई नेताओं तथा तीन वरिष्ठ मंत्रियों ने इतना विरोध किया कि सरकार को नियुक्ति का आदेश वापस लेना पड़ा।

By Sudhir Tanwar Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Sat, 19 Oct 2024 08:06 PM (IST)
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नायब सिंह सैनी सरकार की पहली नियुक्ति पर हरियाणा में घमासान मच गया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में नई सरकार के गठन के बाद हुई पहली नियुक्ति पर ही घमासान मच गया है। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राजेश खुल्लर को मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव लगाए जाने तक तो बात ठीक थी, लेकिन उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने की अधिसूचना जारी होते ही घमासान मच गया।

पार्टी के कई नेताओं तथा तीन वरिष्ठ मंत्रियों ने इतना विरोध किया कि सरकार द्वारा शुक्रवार की रात आठ बजे जारी नियुक्ति आदेश रात बारह बजे वापस लेने पड़े।

सूत्रों का कहना है कि नियुक्ति आदेशों में कैबिनेट रैंक और पोस्ट का पीरियड (अवधि) मुख्यमंत्री के साथ ही जोड़ने की वजह से पेंच फंसा है। जिस समय यह नियुक्ति आदेश जारी हुए, उस समय मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी नई दिल्ली में थे।

कौन हैं IAS अधिकारी राजेश खुल्लर?

राजेश खुल्लर 1988 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री तथा केंद्रीय बिजली व शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल की ‘गुड बुक’ में शामिल राजेश खुल्लर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के पहले कार्यकाल में भी मुख्य प्रधान सचिव थे।

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इससे पहले वे मनोहर लाल के प्रधान सचिव और मुख्य प्रधान सचिव रहे हैं। हरियाणा में यह पहला मौका था जब किसी ब्यूरोक्रेट्स को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। पंजाब में कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में ऐसा हो चुका है।

तीन मंत्रियों ने कैबिनेट दर्जे का किया विरोध 

सचिवालय के सूत्रों की मानें तो जब देर शाम उनकी नियुक्ति के आर्डर जारी किए गए तो कैबिनेट के तीन सीनियर मंत्रियों ने इस पर ऑब्जेक्शन कर दिया। तीनों मंत्रियों ने राजेश खुल्लर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने पर विरोध जताया।

उनका कहना था कि हम चुनाव जीतकर आए हैं, जबकि अधिकारी को बैठे-बिठाए ही यह दर्जा दिया जा रहा है। इसके बाद आदेश वापस ले लिए गए।

नए सिरे से जारी हो सकते हैं आदेश 

दूसरी ओर राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारों में यह चर्चा भी है कि देर-सवेर खुल्लर के आदेश नए सिरे से जारी होंगे। इन आदेशों में कैबिनेट रैंक नहीं देने का बदलाव भले ही हो जाए।

खुल्लर के अलावा सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, अतिरिक्त प्रधान सचिव, उपप्रधान सचिव, ओएसडी और एडवाइजर सहित कई नियुक्तियां होनी हैं।

वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों को भी अगर सीएमओ में रखा जाता है, तो इसके लिए नए सिरे से आदेश जारी करने होंगे।

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