Move to Jagran APP

Haryana Election: सुबह संसद में भाषण...शाम को सड़कों पर पदयात्रा, चुनाव से पहले सक्रिय दिख रहे दीपेंद्र हुड्डा

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा पदयात्रा कर रहे हैं। दीपेंद्र हुड्डा की पदयात्रा से कार्यकर्ताओं और लोगों से सीधे सम्पर्क स्थापित कर रहे हैं। वो अब तक 30 विधानसभा क्षेत्रों में पदयात्रा कर चुके हैं। दीपेद्र हुड्डा की पदयात्रा से कांग्रेस में गुटबाजी भी हुई है। वहीं भाजपा भी दीपेंद्र की तरह यात्रा निकालने की बात कर रही है।

By Anurag Aggarwa Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 12 Aug 2024 09:58 AM (IST)
Hero Image
दीपेंद्र हुड्डा ने संसद सत्र के दौरान भी नहीं रोका पदयात्रा (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान के तहत राज्य में चल रही कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की पदयात्रा सुर्खियां बटोर रही है। कांग्रेस की राज्य स्तरीय चुनाव रणनीतिक कमेटी की बैठक में जहां इन पदयात्राओं का सिलिसला तेज करने पर सहमति बनी है।

वहीं भाजपा द्वारा प्रदेश की जनता से किये जा रहे वादों की पोल खोलने का भी निर्णय हुआ है। चुनाव रणनीतिक कमेटी की बैठक के बाद हरियाणा कांग्रेस कमेटी ने रविवार को सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की पदयात्राओं का अगला शेड्यूल घोषित कर दिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जहां पंचकूला, फरीदाबाद व करनाल में आयोजित तीन राज्य स्तरीय सम्मेलनों में भागीदारी करेंगे, जबकि दीपेंद्र हुड्डा पदयात्राओं को आगे बढ़ाएंगे।

अब तक इतने विधानसभाओं में कर चुके हैं पदयात्रा

कांग्रेस सांसद अभी तक राज्य के 30 विधानसभा क्षेत्रों को पदयात्राओं के माध्यम से कवर कर चुके हैं। इन पदयात्राओं की खास बात यह है कि वे लोगों व कार्यकर्ताओं के साथ अपना सीधे कनेक्शन स्थापित कर रहे हैं। किसी के भी घर, चौपाल और दुकान पर चले जाते हैं।

महिलाओं के साथ का बना देसी खाना खाते हैं और चौपाल पर बाल्टी व डोल्ली से दूध पीने लगते हैं। बरसात में भी दीपेंद्र हुड्डा पदयात्रा का सिलसिला नहीं थाम रहे हैं।

सियासत दो जगहों से चलती है। एक सड़क और दूसरा सदन। सदन चाहे विधानसभा का हो या संसद का। दीपेंद्र हुड्डा इस बात को बखूबी समझते हैं। इसलिए उन्होंने संसद सत्र के दौरान भी यात्रा को ब्रेक नहीं लगने दी।

संसद सत्र में भी दीपेंद्र हुड्डा ने नहीं रोकी पदयात्रा

दीपेंद्र सुबह संसद में भाषण देते नजर आए तो शाम को सड़क पर पदयात्रा करते दिखाई दिए। पिछले कुछ दिनों में दीपेंद्र ने संसद में कभी बजट, कभी खेल बजट, कभी अहीर रेजीमेंट, कभी बीसी-ए के आरक्षण तो कभी हरियाणा की अनदेखी जैसे मुद्दे उठाए।

सड़क पर उन्होंने बेरोजगारी, नशा, बढ़ते अपराध और जातिगत जनगणना के समर्थन में सरकार की घेराबंदी की। 12 अगस्त को दीपेंद्र की पदयात्रा इसराना व सफीदो में होगी, जबकि 13 अगस्त को उकलाना व फतेहाबाद, 14 अगस्त को रतिया व नलवा, 15 अगस्त को गोहाना, 16 को पेहवा और जगाधरी, 17 अगस्त को पूंडरी तथा लाडवा तथा 18 अगस्त को रादौर व अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्रों में पदयात्रा पहुंचेगी।

बीजेपी भी निकालेगी दीपेंद्र हुड्डा की तरह यात्रा

हरियाणा कांग्रेस के मीडिया एवं संचार प्रभारी चांदवीर हुड्डा के अनुसार 15 अगस्त को रोहतक में निकलने वाली प्रभात फेरी में भी सांसद शामिल होंगे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा 16 अगस्त को पंचकूला में होने वाले महिला सम्मेलन में भागीदारी करेंगे।

वह 17 अगस्त को फरीदाबाद के प्रवासी सम्मेलन तथा 18 अगस्त को करनाल में होने वाले राज्य स्तरीय पंजाबी महासम्मेलन में भागीदारी करेंगे। बता दें कि सांसद की यात्रा ने भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस के भीतर भी बड़ी हलचल पैदा की है।

इसी यात्रा के बाद सैलजा ने भी चुनावी कैंपेन की शुरुआत का जरिया यात्रा को ही बनाया है। अब बीजेपी भी प्रदेश में दीपेंद्र की तरह यात्रा निकालने की बात कर रही है।

हुड्डा की गिरफ्तारी पर भाजपा असमंजस में

सियासी गलियों में चर्चा यह भी है कि दीपेंद्र की यात्रा में लोगों के उत्साह को देखते हुए भाजपा को अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है। काफी समय से यह चर्चा है कि चुनाव से ठीक पहले ईडी भूपेंद्र सिंह हुड्डा को गिरफ्तार कर सकती है।

अनिल विज और अभय चौटाला लगातार इस तरह के बयान दे रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के राजनीतिक लोगों का मानना है कि दीपेंद्र की पदयात्राओं में उमड़ रहे समर्थकों के चलते सरकार द्वारा ऐसा कदम उठाया जाना मुश्किल है। क्योंकि अगर हुड्डा को जेल भेजा जाता है तो दीपेंद्र की लोकप्रियता में बढ़ोतरी हो सकती है।

यह भी पढ़ें- Haryana Election: कार्यकर्ताओं से पूछकर विधानसभा चुनाव के लिए टिकट देगी भाजपा, हर जिले में भेजे गए दो पर्यवेक्षक

दीपेंद्र की पदयात्रा से कमजोर हुई कांग्रेस की गुटबाजी

सांसद की यात्रा ने कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी को भी कमजोर किया है। एसआरके गुट टूटने के बाद अब एसआरबी के नाम से नया ग्रुप बनने की चर्चाएं थी, यानी सैलजा, रणदीप और बीरेंद्र सिंह।

जिस दिन ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान का एलान हुआ तो उस दिन बीरेंद्र सिंह खुद भूपेंद्र सिंह हुड्डा और चौधरी उदयभान के साथ मंच साझा करने पहुंच गए। अब इस ग्रुप से रणदीप सुरजेवाला ने भी किनारा कर लिया और उन्होंने अपने अलग कार्यक्रम चलाने का एलान किया है।

यह भी पढ़ें- Haryana News: संगठन मजबूत करने में जुटी JJP, 73 हलका प्रभारी और हलका अध्यक्ष किए घोषित

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।