Haryana News: दीपेंद्र हुड्डा ने छेड़ी नई राजनैतिक बहस, बीसी-ए के लिए लोकसभा और विधानसभा सीटें आरक्षित करने की उठाई मांग
कांग्रेस से रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने लोकसभा और विधानसभा सीटों में एससी-एसटी की तरह अति पिछड़ा वर्ग (बीसी-ए) के तहत सीटें आरक्षित करने की मांग उठाई है। उन्होंने नई राजनीतिक बहस छेड़ते हुए कहा कि नए परिसीमन के बाद की व्यवस्था की जाए और सरकार जातिगत जनगणना शुरू करवाए। भविष्य में नया परिसीमन होने वाला है जिसमें इस विषय पर काम किया जाना चाहिए।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी-एसटी) की तरह लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में अति पिछड़ा वर्ग (बीसी-ए) के लिए सीटें आरक्षित करने की मांग कर नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है।
दीपेंद्र ने इसके लिए लोकसभा के नियम 377 के तहत स्पीकर से इस विषय पर चर्चा करने की अनुमति मांगी थी, जिसके बाद उन्होंने बीसी-ए वर्ग के लिए लोकसभा व विधानसभा सीटें आरक्षित करने का मुद्दा सदन में उठाया। कांग्रेस सांसद ने लोकसभा में बीसी-ए वर्ग के लिए लोकसभा व विधानसभा सीटें आरक्षित करने के पीछे दलील भी दी तथा इसे इंटरनेट मीडिया पर साझा किया, जिसके बाद जबरदस्त बहस चल पड़ी।
बीसी-ए वर्ग के लोगों को मिले लोकसभा और विधानसभा में जाने का अवसर
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि लोकसभा व विधानसभा सीटों पर बीसी-ए वर्ग को तभी आरक्षण मिल सकता है, जब जातिगत जनगणना हो, ताकि एससी-एसटी की तरह जातिगत आंकड़ों के आधार पर बीसी-ए वर्ग को भी अपनी पसंद के जनप्रतिनिधि चुनकर लोकसभा तथा विधानसभा में भेजने का अवसर मिल सके।बीसी-ए वर्ग का समाज के विकास में बड़ा योगदान- दीपेंद्र हुड्डा
उन्होंने कहा कि भविष्य में नया परिसीमन होने वाला है, जिसमें इस विषय पर काम किया जाना चाहिए। दीपेंद्र ने कहा कि बीसी-ए वर्ग मेहनतकश और हुनरमंद है। समाज के विकास में इनका बहुत बड़ा योगदान है। बीसी-ए वर्ग की संख्या बहुत अधिक मानी जाती है। यह हर गांव में रहते हैं। लेकिन किसी एक निर्वाचन क्षेत्र में इनकी संख्या इतनी नहीं होती कि वे अपने स्वयं के बलबूते पर लोकसभा या विधानसभा में चुनकर जा सकें। इसलिए उन्हें आरक्षण दिया जाना जरूरी है।
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बीसी-ए के तहत ये समाज होते हैं शामिल
बीसी-ए के तहत पारंपरिक शिल्पकार, दस्तकार और कलाकार आते हैं। जांगड़ा समाज, प्रजापति कुम्हार समाज, विश्वकर्मा समाज, पांचाल समाज, स्वर्णकार सोनी समाज, सेन समाज, कश्यप समाज, पाल गड़रिया समाज, जोगी समाज, तेली समाज, धोबी समाज, कंबोज समाज, धीमान समाज, छिंपा समाज, बैरागी समाज, रोहिला समाज और मनियार समाज इसी वर्ग में हैं। बीसी-ए को दूसरे कई प्रदेशों में अति पिछड़ा वर्ग के तौर पर जाना जाता है।
सांसद ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्री से कहा कि जातीय जनगणना कराने के बाद नये परिसीमन में बीसी-ए वर्ग के लिए उनकी संख्या के हिसाब से लोकसभा तथा विधानसभा सीटें आरक्षित करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
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