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Lok Sabha Election 2024: भारी न पड़ जाए मत प्रतिशत की अनदेखी, जानिए कैसा था पिछले लोकसभा चुनाव में वोटर्स का रुझान

महासमर 2024- हरियाणा में लोकसभा चुनाव के लिए 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए जनता तैयार है। राजनीतिक दलों ने अपना कैंडिडेट की घोषणा नहीं की लेकिन फिर भी जनता ने अपना मन बना लिया है कि किसे इस बार की जीत का ताज पहनाना है। तो इस लेख के जरिए जानते हैं हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर क्या रहता है वोट प्रतिशत?

By Jagran News Edited By: Deepak Saxena Updated: Tue, 05 Mar 2024 09:50 AM (IST)
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भारी न पड़ जाए मत प्रतिशत की अनदेखी।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर अपनी पसंद के उम्मीदवारों का चयन करने के लिए प्रदेश की जनता एक बार फिर तैयार है। राजनीतिक दलों ने हालांकि अभी तक अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं, लेकिन मतदाताओं के दिल और दिमाग में तय है कि उन्हें किसका साथ देना है। पिछले पांच सालों से मतदाता यही तो आंकलन करते चले आ रहे हैं कि उनके लिए स्थिर सरकार देने के साथ-साथ देश और प्रदेश के विकास में कौन-कौन मददगार हैं। इसके बावजूद सत्तारूढ़ दल की चुनौती कम नहीं है।

पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा एक भी लोकसभा सीट नहीं जीतने के बावजूद प्राप्त किए गए। वहीं, 28.51 प्रतिशत मत सत्तारूढ़ भाजपा की चुनौती बढ़ा रहे हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही थी। तब भाजपा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर का जबरदस्त फायदा मिला था।

बीजेपी ने 58.21 फीसदी वोट पाकर बनाया था रिकॉर्ड

भाजपा ने तब 58.21 प्रतिशत वोट प्राप्त कर एक रिकॉर्ड बनाया था, जो कि साल 2014 में भाजपा को सात सीटों के साथ मिले मतों से 23.51 प्रतिशत अधिक थे। कांग्रेस ने भी साल 2019 में सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस का मत प्रतिशत 28.51 था, जो कि साल 2014 में कांग्रेस को मिली एक लोकसभा सीट के साथ मिले मतों से 5.61 प्रतिशत अधिक रहा है। कांग्रेस इस बार पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ने के मूड में है। हालांकि भाजपा उससे कहीं अधिक तैयारी कर रही है।

ये रहा वोटों के प्रतिशत का समीकरण

लेकिन अति उत्साह में कांग्रेस को हलके में लेना सत्तारूढ़ दल भाजपा के उम्मीदवारों पर भारी पड़ सकता है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इनेलो के बिखराव के बाद जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने सात लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़कर 4.9 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, जबकि इनेलो 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 1.9 प्रतिशत वोट हासिल किए, जोकि साल 2014 में दो लोकसभा सीटों के साथ मिले मतों से 22.5 प्रतिशत कम हो गए। यह बेहद चौंकाने वाला आंकड़ा है, जिसका कारण इनेलो व जेजेपी का अलग-अलग चुनाव लड़ना रहा है। आज दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी एनडीए का हिस्सा है, लेकिन भाजपा ने कोई सीट नहीं छोड़ी है।

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नये गठबंधन पैदा करेंगे चुनौतियां

साल 2019 में बहुजन समाज पार्टी ने भी आठ लोकसभा सीटों पर ताल ठोंकते हुए 3.65 प्रतिशत मतों पर अपनी दावेदारी जताई थी, लेकिन साल 2014 की अपेक्षा 2019 में उसके मतों में 0.95 प्रतिशत की कमी आई है। साल 2019 के चुनाव में जेजेपी और आम आदमी पार्टी ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था।

जेजेपी सात और आम आदमी पार्टी तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जबकि बहुजन समाज पार्टी और पूर्व सांसद राजकुमार सैनी के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने आठ-दो सीटों पर चुनाव लड़ा था। तब यह गठबंधन कोई कमाल नहीं दिखा पाया था और आम आदमी पार्टी व लोक जनशक्ति पार्टी का मत प्रतिशत मात्र 1.07 ही पहुंच पाया था। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में नये गठबंधन बन रहे हैं।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं तो इनेलो व बसपा का गठबंधन होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। भाजपा व जेजेपी का गठबंधन पहले से है। ऐसे में किसी को हलके में लेकर पार्टी सिर्फ अपना ही नुकसान कर सकती है।

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