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Haryana Doctor Strike: आज से डॉक्टर हड़ताल पर, मांगें नहीं मानी तो अनिश्चितकालीन बंद; सरकार से ये हैं प्रमुख मांगे

Haryana Doctor Strike हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में बुधवार से स्थिति काफी बिगड़ने वाली है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर बुधवार को हड़ताल पर रहेंगे। 29 दिसंबर से राज्य के सभी सरकारी चिकित्सक बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे। तब चिकित्सक न तो कोई आपरेशन करेंगे और न ही पोस्टमार्टम करेंगे। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन की मंगलवार को हुई बैठक में हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया।

By Jagran News Edited By: Monu Kumar JhaUpdated: Wed, 27 Dec 2023 09:52 AM (IST)
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Haryana Doctor Strike Update: आज से डॉक्टर हड़ताल पर। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में बुधवार से स्थिति काफी बिगड़ने वाली है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर बुधवार को हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान न तो किसी मरीज की जांच की जाएगी और न ही किसी मरीज की सर्जरी होगी। नये मरीजों को जनरल वार्ड में भी इलाज के लिए भर्ती नहीं किया जाएगा।

29 दिसंबर से राज्य के सभी सरकारी चिकित्सक बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे। तब चिकित्सक न तो कोई आपरेशन करेंगे और न ही पोस्टमार्टम करेंगे। फिलहाल चूंकि सर्दी का मौसम है और हर जगह सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं तो ऐसे में दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को अस्पतालों में समुचित इलाज मिल जाएगा, इसकी संभावना बिल्कुल भी नहीं रह गई है।

हरियाणा मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन मंगलवार को हुई बैठक में लिया था फैसला

हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन की मंगलवार को हुई बैठक में हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के बारे में पत्र भेजकर राज्य की स्वास्थ्य सचिव डा. जी अनुपमा को अवगत करा दिया गया है। स्वास्थ्य निदेशक, सभी जिला उपायुक्तों व सभी सिविल सर्जनों को हड़ताल के फैसले की जानकारी दे दी गई है।

एसोसिएशन के चिकित्सक मंगलवार को सरकार से बातचीत करने तथा डॉक्टरों की मांगों पर सकारात्मक प्रत्युत्तर मिलने का इंतजार करते रहे, लेकिन न तो सरकार झुकी और न ही डॉक्टरों ने अपना हड़ताल पर जाने का फैसला टाला। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के प्रधान डा. राजेश ख्यालिया, महासचिव डा. अनिल यादव, वरिष्ठ उप प्रधान डा. केशव शर्मा और उप प्रधान डा. वीरेंद्र ढांडा ने मंगलवार को बताया कि करीब दो साल पहले भी अपनी मांगों के लिए हड़ताल की थी।

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सरकार ने दिया था भरोसा समस्याओं का जल्दी होगा समाधान

लेकिन तब सरकार ने भरोसा दिलाया था कि समस्याओं का जल्दी समाधान कर दिया जाएगा, मगर दो साल बीत जाने के बाद भी समस्याएं ज्यों की त्यों बनी हुई है। 11 दिसंबर को सरकार को एक मांग पत्र भेजकर दोबारा से समस्याओं के समाधान की याद दिलाई गी, मगर उस पर भी सरकार ने कोई रुचि नहीं दिखाई है, जिस कारण डाक्टरों को हड़ताल पर जाने का फैसला लेना पड़ा है।

डा. राजेश ख्यालिया और डा. केशव शर्मा ने बताया कि बुधवार को सभी डाक्टर अपने-अपने कार्यालयों में हाजिरी लगाएंगे, मगर काम कोई नहीं करेगा। किसी प्रशिक्षण कार्यक्रम में भागीदारी नहीं करेंगे। इस दिन पोस्टमार्टम होंगे। लेबर रूम खुला रहेगा। डिलीवरी केस को छोड़कर कोई केस हेडिंल नहीं किया जाएगा।

29 दिसंबर को मरीजों की हालत होगी बद से बदतर

29 दिसंबर को न तो इमरजेंसी केस पकड़ा जाएगा और न ही डिलीवरी केस होगा और न ही पोस्टमार्टम किए जाएंगे। किसी भी मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज तक नहीं किया जाएगा। यह आंदोलन मांगें माने जाने तक जारी रहेगा। डाक्टर इससे पहले दो घंटे की सांकेतिक हड़ताल भी कर चुके हैं, मगर स्वास्थ्य विभाग पर उस सांकेतिक हड़ताल का कोई असर नहीं हुआ है।

किन-किन मांगों को लेकर नाराज चल रहे डॉक्टर?

डॉक्टरों के लिए एक विशेषज्ञ कैडर का गठन किया जाए। राज्य में सैकड़ों स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी है, जिसे दूर किया जाना है।

एसएमओ की सीधी भर्ती पर रोक लगाई जाए। अपने पूरे सेवा काल में सिर्फ पांच प्रतिशत मेडिकल आफिसर (एमओ) प्रमोट होकर सीनियर मेडिकल आफिसर (एसएमओ) बन पाते हैं। 95 प्रतिशत बिना एसएमओ बनते ही रिटायर हो जाते हैं। इसलिए राज्य सरकार को डायरेक्ट एसएमओ की भर्ती पर रोक लगानी चाहिए।

पीजी के लिए बांड राशि एक करोड़ से घटाकर 50 लाख की जाए।

एसीपी जल्द से जल्द लागू की जाए। पिछले कई सालों से एसीपी के लाभ नहीं दिए जा रहे हैं, वह दिए जाएं।

राज्य में डाक्टरों की भारी कमी है। उसे पूरा किया जाए।

केंद्र सरकार और बिहार की तर्ज पर हरियाणा में चार, नौ, 13 और 20 साल की सर्विस पर चार एसीपी नहीं दी जा रही है। फाइनेंस डिपार्टमेंट ने फाइल को अपने पास अटका रखा है।

सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की कमी दूर की जानी चाहिए। अस्पतालों में जरूरी सुविधाओं का बंदोबस्त किए जाने की मांग भी की है।

हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में जरूरी उपकरण नहीं हैं। जहां उपकरण नहीं हैं, वहां उन्हें चलाने वाला स्टाफ नहीं है।

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