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Haryana News: पुलिस निरीक्षक से DSP पद पर पदोन्नति के लिए करना पड़ेगा इंतजार, हाई कोर्ट में मामला लंबित

पुलिस निरीक्षक से पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) पद पर पदोन्नति में आरक्षण देने पर प्रभावित निरीक्षकों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि एससी और एसटी के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता का निर्धारण करने के लिए संख्यात्मक डेटा का संग्रह पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है जिसका यहां अनुपालन नहीं हो रहा है।

By Dayanand SharmaEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Wed, 08 Nov 2023 03:49 PM (IST)
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पुलिस निरीक्षक से DSP पद पर पदोन्नति के लिए करना पड़ेगा इंतजार।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा पदोन्नति में दिए जाने वाले आरक्षण का मामला खटाई में पड़ गया है। बुधवार को हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में आश्वासन दिया है कि वह अगली सुनवाई तक पुलिस निरीक्षक से डीएसपी पद पर पदोन्नति के लिए डीपीसी की बैठक आयोजित नहीं करेगी।

इस मामले में पुलिस निरीक्षक से पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के पद पर पदोन्नति में आरक्षण देने के हरियाणा सरकार के फैसले के खिलाफ राज्य पुलिस में सेवारत कुछ पुलिस निरीक्षकों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि एससी और एसटी के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तात का निर्धारण करने के लिए संख्यात्मक डेटा का संग्रह पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है, जिसका यहां अनुपालन नहीं किया जा रहा है।

कनिष्ठों के पदोन्नत कर डीएसपी बनाने को मांगे नाम

याचिका में हाई कोर्ट को बताया गया कि हरियाणा सरकार ने शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार डेटा एकत्र किए बिना पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के निर्देश जारी किए हैं। याचिका में सरकार के 25 अक्टूबर के उस पत्र को रद्द करने की मांग की गई है, जिसके माध्यम से याचिकाकर्ताओं के कनिष्ठों को पदोन्नति में आरक्षण प्रदान कर डीएसपी के पद पर पदोन्नति के लिए उनके नाम मांगे गए हैं।

सिरसा निवासी कमलजीत सिंह और राज्य पुलिस बल में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका के मद्देनजर हाई कोर्ट के समक्ष पहुंचा है।

ए और बी पदों पर आरक्षण के निर्देश जारी

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने इंस्पेक्टर के रूप में आवश्यक वर्षों की सेवा पूरी कर ली है और डीएसपी पद पर पदोन्नत होने के पात्र हैं। 27 सितंबर को डीजीपी हरियाणा ने डीएसपी के पद पर पदोन्नति के लिए इंस्पेक्टरों के केस मांगे, जिसमें याचिकाकर्ताओं के नामों का भी उल्लेख किया गया था। हालांकि, याचिकाकर्ताओं की पदोन्नति के आदेश पारित होने से पहले राज्य सरकार ने मुख्य सचिव के माध्यम से 25 अक्टूबर को राज्य सरकार की सेवाओं में समूह ए और बी के पदों पर अनुसूचित जाति को पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के निर्देश जारी किए।

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उसके बाद 25 अक्टूबर को सरकार ने एक आदेश जारी किया, जिसके माध्यम से अनुसूचित जाति से संबंधित इंस्पेक्टरों के मामले को डीएसपी के पद पर पदोन्नति के लिए बुलाया गया जो याचिकाकर्ताओं से जूनियर हैं।

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, ये निर्देश शीर्ष अदालत द्वारा पारित फैसले का उल्लंघन हैं, जिसमें कहा गया था कि अगर एससी और एसटी को पदोन्नति में आरक्षण प्रदान किया जाता है तो राज्य को अनुसूचित जाति के पिछड़ेपन को दर्शाने वाला संख्यात्मक डेटा एकत्र करना होगा।

सरकार के निर्देशों को किया रद्द

याचिकाकर्ताओं के अनुसार, इससे पहले भी हरियाणा सरकार ने 16 मार्च 2006 को इस तरह निर्देश जारी किए थे, जिसके तहत हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग के कर्मचारियों को त्वरित वरिष्ठता प्रदान की थी। उसके बाद 2016 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने प्रेम कुमार वर्मा और अन्य बनाम हरियाणा राज्य नामक मामले में सरकार के निर्देशों को रद्द कर दिया था।

याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट से मांग की है कि गृह विभाग हरियाणा अनुसूचित जाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का कोई लाभ दिए बिना वरिष्ठता-सह-योग्यता के आधार पर डीएसपी के पद पर पदोन्नति करे।

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