अनियोजित विकास में ब्लाक हो गया हरियाणा में शहर और कस्बों का ड्रेनेज सिस्टम
हरियाणा के शहरों और कस्बों में ड्रेनेज सिस्टम का बुरा हाल है। थोड़ी सी भी बारिश में जलजमाव से हालत बदतर हो जाती है। इसके लिए अनियोजित विकास जिम्मेदार है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Thu, 03 Sep 2020 11:18 AM (IST)
चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। हरियाणा में तेजी से हो रहे शहरीकरण और अनियोजित विकास में ड्रेनेज सिस्टम जवाब दे रहा है। शहर और कस्बों में बरसाती पानी की निकासी के लिए कुल 833 ड्रेन हैं। इनमें से 588 ड्रेनों की हालत खस्ता होने के कारण मानसून से पहले इनके जीर्णोद्धार के दावे किए गए, लेकिन पिछले दिनों हुई बरसात ने सारी पोल खोल दी। सैकड़ों करोड़ रुपये खचा्र करने के बावजूद जिस तरह कई शहरों में जलभराव हुआ, उससे ड्रेनेज सिस्टम को लेकर सवाल उठने लाजिमी हैं।
प्रदेश में कुल 833 ड्रेन हैं जिनमें से 588 ड्रेनों का हाल बुरा, कई जगह ड्रेन जामप्रदेश में संयुक्त पंजाब के समय का ही ड्रेनेज सिस्टम चला आ रहा है। पिछले पांच दशकों में आबादी तेजी से बढ़ी। शहरीकरण की दौड़ में शहरों पर दबाव बढ़ा। अवैध निर्माण होते गए, लेकिन बुनियादी सुविधाएं उसके समानांतर विकसित नहीं की गईं। पुराने ड्रेनेज सिस्टम को शहर और कस्बों के विस्तार के साथ अपडेट नहीं किया गया। नतीजन वही पुरानी प्रणाली अतिरिक्त बोझ को भी ढो रही है जिनकी असलियत जरा सी बारिश होते ही सामने आ जाती है।
शहर-कस्बों के विस्तार के अनुसार अपडेट नहीं हुआ ड्रेनेज सिस्टम, पुरानी प्रणाली पर बढ़ा दबावमानसून से पहले विभिन्न जिलों में 143 अल्पावधि योजनाओं पर 132 करोड़ रुपये खर्च भी हुए, लेकिन स्थिति नहीं सुधरी। डिस्पोजल सेंटरों की कम क्षमता, जाम पड़े ड्रेनेज सिस्टम, नालों की अधूरी सफाई और पंप सेटों की अधूरी मरम्मत से ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त होता रहा। यह स्थिति तब है जब ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए सिंचाई एवं जल संसाधन, शहरी स्थानीय निकाय, लोक निर्माण (भवन और सड़कें) और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने संयुक्त अभियान चलाया था।
जिन 18 ड्रेनों का प्रबंधन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) और रेलवे द्वारा किया जा रहा है, उनमें से भी अधिकतर की हालत कोई अच्छी नहीं। आधी योजनाएं ही निर्धारित समय तक सिरे चढ़ पाईं। अधिकतर स्थानों पर बरसाती नालों में खुली जगह से कचरा निकाल कर सफाई की खानापूर्ति कर दी गई।विडंबना यह कि कई स्थानों पर लोगों ने बरसाती नालों पर अवैध कब्जे जमा रखे हैं जिनसे पार पाने में स्थानीय प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। नालों पर कब्जों से बरसाती पानी की निकासी का रास्ता अवरुद्ध हो गया है। दूसरी तरफ अवैध कालोनियों को वैध घोषित करने की परंपरा हर सरकारें निभाती रही हैं। इनमें से ज्यादातर का ड्रेनेज सिस्टम वैध कालोनियों से जोड़ दिया जाता है। इससे पुराना ड्रेनेज सिस्टम जवाब दे जाता है और बारिश के दिनों में शहर नर्क बन जाते हैं।
मास्टर प्लान की नहीं परवाह
सबसे बड़ी समस्या शहरों के अनियोजित विकास की है। शहरों की प्लानिंग के समय किसी भी स्तर पर यह चिंता नहीं की जाती कि जिस भू-भाग पर कालोनियां बसाई जा रही हैं, उसका स्वाभाविक ढलान किस तरफ है। किस ओर पानी के स्रोत और निकास है। शहर नियोजन के स्तर पर अगर कुछ किया भी जाता है तो उस मास्टर प्लान पर सख्ती से अमल नहीं होता। ज्यादातर शहरों में निचले हिस्सों और तालाब के जलग्रहण क्षेत्र में निर्माण कर लिए गए हैं। पानी निकासी के रास्तों पर भी सड़क व दूसरे निर्माण कर दिए गए। निचले इलाकों में बस्तियां बनने से पानी का निकास नहीं होता।
स्थानीय स्तर पर ढूंढऩे होंगे व्यावहारिक हल
समस्या से निपटने के लिए हर शहर की जरूरत के अनुसार स्थानीय स्तर पर भी कुछ व्यावहारिक हल ढूंढऩे होंगे। तालाबों को गहरा किया जाए और नालों के पानी की निकासी की उचित व्यवस्था हो। शहरों का पानी बाहर डालने के लिए उचित जगह की तलाश की जाए जहां से इसका इस्तेमाल अन्य कार्यों के लिए किया जा सके। बारिश के पानी के लिए अलग से निकास प्रणाली (स्ट्रॉम ड्रेनेज) बनाई जा सकती है।
विजन-2030 के तहत शहरों का नियोजित विकास : सीएम
'' शहरी आबादी में वृद्धि और शहरों के विस्तार के मुताबिक ड्रेनेज सिस्टम विकसित करने के लिए पूरा खाका तैयार है। विजन-2030 में हमने शहरों के नियोजित विकास पर फोकस किया है जिससे यह समस्या खत्म होगी। मानसून से पहले ही ड्रेनों की मरम्मत, इनकी सफाई और गाद निकालने की मुहिम छेड़ दी थी। प्रदेश में 522 ऐसे अस्थायी स्थल हैं जहां मानसून में जलभराव होता है। इन स्थानों से पानी की निकासी के लिए पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं। कैथल, कुरुक्षेत्र एवं रतिया सहित अन्य क्षेत्रों, जहां जलभराव ज्यादा होता है, वहां रिचार्जिंग शाफ्ट के निर्माण के लिए व्यापक योजना बनाई गई है। इसके अलावा भी दूसरे कई अहम कदम उठाए गए हैं।
- मनोहरलाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा।
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