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धारा को धरती पर लाने की कवायद: पवित्र नदी सरस्वती के पूरे प्रवाह क्षेत्र का होगा ड्रोन सर्वे, ये है वजह

पौराणिक नदी सरस्वती की धारा को धरती पर लाने की कवायद के बीच अब प्रदेश सरकार पवित्र नदी के पूरे प्रवाह क्षेत्र का ड्रोन से सर्वे कराएगी। सर्वे का काम तीन चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में सरस्वती के उद्गम स्थल आदिबद्री से लेकर कैथल तक करीब 200 किलोमीटर क्षेत्र में ड्रोन से सर्वे कराया जाएगा। ड्रोन 120 मीटर ऊंचा उड़ेगा।

By Sudhir Tanwar Edited By: Preeti Gupta Updated: Sat, 20 Jan 2024 04:46 PM (IST)
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पवित्र नदी सरस्वती के पूरे प्रवाह क्षेत्र का होगा ड्रोन सर्वे
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana News: पौराणिक नदी सरस्वती की धारा को धरती पर लाने की कवायद के बीच अब प्रदेश सरकार पवित्र नदी के पूरे प्रवाह क्षेत्र का ड्रोन से सर्वे कराएगी।

सरकारी एजेंसी 'ड्रोन इमेजिंग इंफार्मेशन सर्विसेस ऑफ हरियाणा लिमिटेड' (दृश्य) को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। सर्वे का काम तीन चरणों में पूरा होगा, जिसके लिए हरियाणा सरस्वती विरासत विकास बोर्ड ने प्रारूप तैयार कर लिया है।

सरस्वती नदी के पूरे प्रवाह क्षेत्र का ड्रोन से होगा सर्वे

पहले चरण में सरस्वती के उद्गम स्थल आदिबद्री से लेकर कैथल तक करीब 200 किलोमीटर क्षेत्र में ड्रोन से सर्वे कराया जाएगा। ड्रोन 120 मीटर ऊंचा उड़ेगा और सरस्वती के एक किलोमीटर से लेकर पांच किलोमीटर तक के दायरे में स्थित सभी आर्कियोलॉजिकल साइट्स, मंदिर, गुरुद्वारे और पर्यटक स्थलों के साथ ही पवित्र नदी के किनारे होने वाली तमाम गतिविधियों को नोट कर सरस्वती विरासत विकास बोर्ड को रिपोर्ट देगा। इसके आधार पर आगे की कार्ययोजना बनाई जाएगी।

कहां से कहां तक होगा नदी के प्रवाह क्षेत्र का सर्वे 

दूसरे चरण में कैथल जिले के अंतिम छोर से लेकर पंजाब के सागरा गांव, जहां घग्गर नदी सरस्वती में मिलती है और सिरसा जिले के ओटू हेड तक, जहां सरस्वती अन्य नदियों के साथ जाकर राजस्थान के बॉर्डर पर मिलती है, तक का सर्वे होगा। तीसरे चरण में राजस्थान के हनुमानगढ़-गंगानगर-अनूपगढ़ से होते हुए जयपुर तक लूनी नदी के पास सर्वे कराया जाएगा ताकि सरस्वती के प्रवाह क्षेत्र को गुजरात के रण आफ कच्छ तक ट्रेस करके बताया जा सके।

70% पुरातात्विक स्थल हैं सरस्वती नदी के किनारे 

सरस्वती विरासत विकास बोर्ड के चेयरमैन धुमन सिंह किरमच ने बताया कि देश में जितने भी पुरातात्विक स्थल हैं, उनमें से 70 प्रतिशत सरस्वती नदी के किनारे हैं। इसलिए इस सर्वे का महत्व और बढ़ जाता है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), सेंटर वाटर कमीशन, जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया सहित अन्य एजेंसियों को भी इस सर्वे का सीधा लाभ होगा।

प्राचीन धरोहरों का होगा कायाकल्प

बोर्ड के चेयरमैन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ड्रोन सर्वे का काम यथाशीघ्र पूरा किया जाए। प्रदेश सरकार की योजना सरस्वती नदी को फिर से धरातल पर प्रवाहित करने की है। इसके लिए कई योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।

सरस्वती नदी जहां से गुजरती है, उन स्थानों पर कई प्राचीन धरोहर और साइट्स चिन्हित की गई हैं। अलग-अलग चरणों में साइट्स और प्राचीन धरोहराें को विकसित किया जाएगा।

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नदी क्षेत्र में हुए बदलाव की मिलेगी जानकारी

सरस्वती नदी पर वर्तमान में जितने भी कार्य चल रहे हैं, उनका ड्रोन आधारित सर्वे कराया जाएगा। इससे पता चल सकेगा कि समय-समय पर सरस्वती नदी में क्या बदलाव हुआ है।

नदी के प्रवाह क्षेत्र में रिजर्व वायर बनाने, भूजल रिचार्जिंग और जंगल में पौधरोपण के साथ ही बाढ़ से किस तरह से सरस्वती क्षेत्र को बचाएं, जैसी जानकारियां ड्रोन सर्वे से जुटाई जा सकेंगी। इस सर्वे का व्यापक पैमाने पर लाभ मिलेगा। -धुमन सिंह किरमच, उपाध्यक्ष, हरियाणा सरस्वती विरासत विकास बोर्ड

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