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Haryana News: 'अमित शाह के फेंके जाल में फंसकर भ्रमित हो गए दुष्यंत चौटाला के वोटर', JJP ने असेंबली चुनाव को लेकर कही बड़ी बात

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने जब यह कहा था कि जजपा (JJP) से हमारी कोई नाराजगी नहीं है और वह आज भी एनडीए का हिस्सा है तो इस बात का लोकसभा चुनाव में जजपा को काफी नुकसान हुआ। इस बात के बाद दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) की जजपा को लोकसभा चुनाव में काफी नुकसान झेलना पड़ा। हालांकि जजपा ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं।

By Anurag Aggarwa Edited By: Deepak Saxena Updated: Wed, 12 Jun 2024 10:36 PM (IST)
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अमित शाह के फेंके जाल में फंसकर भ्रमित हो गए दुष्यंत चौटाला के वोटर (फाइल फोटो)।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में भाजपा व जजपा का गठबंधन टूटने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जब यह कहा था कि जजपा से हमारी कोई नाराजगी नहीं है और वह आज भी एनडीए का हिस्सा है तो इस बात का लोकसभा चुनाव में जजपा को काफी नुकसान हुआ। जजपा कार्यकर्ताओं के बीच यह संदेश गया कि भाजपा व जजपा के राजनीतिक रिश्ते अभी भी कायम हैं और आगे भी दोनों दलों के रिश्तों में मधुरता आ सकती है। इसलिए जजपा कार्यकर्ताओं ने अधिकतर स्थानों पर भाजपा उम्मीदवारों को वोट दे दिए।

जजपा ने 100 प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं से की चर्चा

जननायक जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं की चंडीगढ़ में बुधवार को हुई समीक्षा बैठक में यही निचोड़ निकलकर सामने आया। जजपा के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला ने करीब 100 प्रमुख नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी कार्यालय में लोकसभा चुनाव के नतीजों पर चर्चा की।

दिग्विजय ने सभी की राय जानी और लोकसभा चुनाव के नतीजों के संबंध में फीडबैक जाना। जजपा ने भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन किसी भी सीट पर जजपा उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सके। सोनीपत, कुरुक्षेत्र, रोहतक, अंबाला और फरीदाबाद लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां जजपा उम्मीदवार 10 हजार मतों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए। करनाल में 11 हजार 467, गुरुग्राम में 13 हजार 278, भिवानी-महेंद्रगढ़ में 15 हजार 265, सिरसा में 20 हजार 80 और हिसार में 22 हजार 32 वोट जजपा उम्मीदवारों को मिले हैं।

साल 2018 में इनेलो से अलग होकर जजपा अस्तित्व में आई

भिवानी-महेंद्रगढ़ से एक बार डॉ. अजय सिंह चौटाला और हिसार से स्वयं दुष्यंत चौटाला सांसद रहे हैं, लेकिन तब वे इनेलो के टिकटों पर सांसद रहे थे। 2018 में इनेलो से अलग होकर जजपा अस्तित्व में आई थी। राज्य में साढ़े चार साल तक भाजपा व जजपा का गठबंधन रहा। जजपा के इस समय 10 विधायक हैं, जिसमें से दो खुले तौर पर भाजपा के साथ चल रहे हैं, जबकि तीन कभी भाजपा व कभी कांग्रेस के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं।

भाजपा के साथ चल रहे दोनों विधायकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए जजपा ने विधानसभा स्पीकर को पत्र लिखा हुआ है। 2019 में आम आदमी पार्टी के साथ जजपा मिलकर चुनाव लड़ चुकी है, जबकि 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे पर जजपा का भाजपा से गठबंधन टूटा था।

जजपा ने भंग किया संगठन

जजपा में चुनाव के दौरान मची भगदड़ के बाद पार्टी का संगठन भंग कर दिया गया है। समीक्षा बैठक में संगठन में नई नियुक्तियां करने के साथ ही विधानसभा चुनाव की तैयारी आरंभ करने पर सहमति बनी। जजपा के प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला ने कहा कि जल्दी ही मजबूत संगठन तैयार कर प्रदेश के सुरक्षित भविष्य की लड़ाई लड़ी जाएगी।

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जजपा की जो कमियां रहीं विधानसभा में होंगी पूरी

लोकसभा चुनाव में जजपा की जो कमियां रहीं, उन्हें दुरुस्त किया जाएगा और विधानसभा चुनाव मजबूती से लड़ा जाएगा। भाजपा से नाराजगी के कारण लोकसभा चुनाव सिर्फ दो पार्टियों के बीच लड़ा गया। लोगों को मजबूरी में कांग्रेस व भाजपा को वोट डालने पड़े। विधानसभा के चुनाव लोकसभा के विपरीत होते हैं और इसमें स्थानीय मुद्दे हावी होते हैं।

दिग्विजय चौटाला बोले- भाजपा ने हमारे भरोसे का उठाया फायदा

दिग्विजय चौटाला का मानना है कि भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद उसके नेताओं ने जजपा को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची, जिसमें भाजपा कामयाब भी हुई। केंद्रीय मंत्री अमित शाह का बयान “जेजेपी-बीजेपी प्यार से अलग हुई” से जनता के बीच गलत संदेश गया। लोगों ने समझ लिया कि दोनों दल वापस एक साथ हो सकते है, लेकिन हमारा गठबंधन मुद्दों पर सहमति नहीं बनने के कारण टूटा था। भाजपा ने हमारे भरोसे का फायदा उठाया लेकिन हम ऐसी राजनीतिक सीख का विश्लेषण कर आगे बढ़ेंगे।

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