सख्ती का असर: हरियाणा के कई इलाकों की हवा में सुधार, पर 5 शहरों का एक्यूआई 200 के पार, पराली जलाने के मामलों में कमी
हरियाणा के कई शहरों में हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है लेकिन पांच शहरों का एक्यूआई अभी भी 200 से ऊपर है। पराली जलाने पर सख्ती का असर दिख रहा है। प्रदूषण कम होने से लोगों को राहत मिली है। शुक्रवार को पराली जलाने के तीन मामले दर्ज किए गए। प्रदेश में अब तक 689 जगह पर पराली जलाने के मामले सामने आए हैं।
जागरण संवाददाता, हिसार। प्रदेश के काफी शहरों की आबोहवा में थोड़ा सुधार हुआ है। अभी हरियाणा के पांच शहर ऐसे है जिनका एक्यूआई 200 पार चल रहा है। पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों पर की गई सख्ती का असर प्रदेश में दिखा है। प्रदूषण कम होने से लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है।
पराली के केस भी कम होने लगे हैं। शुक्रवार को पराली जलाने के तीन मामले दर्ज किए गए। प्रदेश में अभी तक 689 जगह पर पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। प्रदेश में तेजी से पराली जलने के कारण एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) बिगड़ने लगा था। शुक्रवार को कुछ शहरों का दिन के समय एक्यूआई 300 पार कर गया था। मगर पांच शहरों की औसत 200 पार कर खराब श्रेणी में एक्यूआई पहुंच गया है।
बाकी जगह पर एक्यूआई 100 से 200 के बीच में रहा हैं। एक्यूआई को सुधारने के लिए लगातार पराली जलाने वाले किसानों पर मामले दर्ज करने के साथ उन पर जुर्माना लगाया जा रहा है। साथ ही बाकी किसानों को जागरू करने के लिए लगातार रैली निकाली जा रही है।
बढ़ेगा प्रदूषण, सतर्कता बरतें बच्चे और बुजुर्ग
त्योहारी सीजन के दौरान कई शहरों मेंढ़ते बवायु प्रदूषण से चिंतित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम जनता, खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों को सावधान रहने और खुली हवा में नहीं जाने की सलाह दी है। मंत्रालय ने लोगों से कहा है कि आने वाले दिनों में प्रदूषण और बढ़ने की आशंका है। इसे देखते हुए लोग सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें और अत्यधिक भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से बचें। इस सिलसिले में स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को परामर्श भी जारी किया है।
गौरतलब है कि एक दिन पहले ही प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि बढ़ते प्रदूषण के चलते आजकल मैंने सुबह टहलना बंद कर दिया है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डा. अतुल गोयल ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अपनी तैयारियां बढ़ाने का आग्रह किया है।
इसमें उन्होंने पराली और अपशिष्ट जलाने को हतोत्साहित करने तथा त्योहारों के दौरान पटाखे कम चलाने, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने, डीजल आधारित जनरेटर पर निर्भरता सीमित करने और धूमपान पर अंकुश लगाने के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने की सलाह दी है।
डा. गोयल ने कहा है कि बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पहले से ही बीमारियों का सामना कर रहे लोगों पर प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिलता है। यातायात पुलिस व नगरपालिका कर्मचारी भी प्रदूषित हवा के संपर्क में ज्यादा देर तक रहते हैं।इसलिए उन्हें विशेष तौर पर सतर्कता बरतनी चाहिए। लोगों को सलाह दी जानी चाहिए कि वे प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से बचें। बाहर निकलने से पहले मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से वायु गुणवत्ता सूचकांक पर नजर रखी जा सकती है।
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