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Old Pension Scheme: पुरानी पेंशन और ठेका कर्मियों के हक के लिए दिल्ली में जुटेंगे कई राज्यों के कर्मचारी

पुरानी पेंशन योजना व आउटसोर्स ठेका कर्मियों के नियमितीकरण की मांग को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारी आंदोल शुरू करेंगे। इसके लिए नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 8 दिसंबर को राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया गया है।

By Jagran NewsEdited By: Kamlesh BhattUpdated: Tue, 29 Nov 2022 05:05 PM (IST)
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पुरानी पेंशन योजना के लिए दिल्ली में जुटेंगे कई राज्यों के कर्मचारी। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पुरानी पेंशन बहाल करने व आउटसोर्स ठेका कर्मियों की नियमितीकरण समेत कई मांगों को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारी राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंप्लाइज फेडरेशन के प्रधान सुभाष लांबा ने आंदोलन की घोषणा के लिए आठ दिसंबर को तालकटोरा स्टेडियम नई दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया है।

सम्मेलन में कर्मचारियों को जुटाने के लिए आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंप्लाइज फेडरेशन व कानफेडरेशन आफ सेंट्रल गवर्नमेंट इंप्लाइज एंड वर्कर्स के वरिष्ठ पदाधिकारी सभी राज्यों का दौरा कर रहे हैं। सुभाष लांबा ने दावा किया कि दोनों संगठनों से जुड़े केंद्र एवं राज्य सरकारों के पांच हजार से ज्यादा पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेंगे। हरियाणा से राष्ट्रीय सम्मेलन में सबसे अधिक हाजिरी रहेगी।

उन्होंने कहा कि केंद्र एवं अधिकतर राज्य सरकारें कर्मचारियों की मांगों की अनदेखी कर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय पूंजी द्वारा संचालित नव उदारीकरण की नीतियों को तेजी से लागू कर रही हैं। सुभाष लांबा ने आरोप लगाया कि ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले किए जा रहे हैं, जिसको लेकर कर्मचारियों में आक्रोश निरंतर बढ़ रहा है।

राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले आंदोलन की प्रमुख मांगों में पेंशन फंड रेगुलेटरी डवलपमेंट एक्ट (पीएफआरडीए) रद कर जनवरी 2004 से सेवा में आए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम में शामिल करने की मांग की जा रही है। इसके अलावा, ठेका प्रथा समाप्त कर सभी दैनिक वेतनभोगी, आउटसोर्स, अनुबंध व तदर्थ कर्मचारियों को पक्का करने, पक्का होने तक उन्हें समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने की मांग सम्मेलन में की जाएगी।

सुभाष लांबा ने बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकारों में रिक्त पड़े करीब 60 लाख पदों को पक्की भर्ती से भरा जाना चाहिए। नेशनल मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं विभागों के निजीकरण पर रोक लगाने की मांग सम्मेलन में होगी।

लेबर कोड्स को समाप्त कर ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करने, आठवें वेतन आयोग का गठन करने, कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के 18 महीने के बकाया डीए का भुगतान करने, एक्सग्रेसिया रोजगार स्कीम में लगाई गई शर्तों को हटाकर मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी देने की मांगें भी आंदोलन का हिस्सा हैं।

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