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Haryana News: कृषि आधारित व्यवसाय में लगे उद्यमी उठा सकेंगे विशेष छूट का लाभ, मिलेंगे ये ढेरों लाभ

हरियाणा में 30 जून तक खुली सभी औद्योगिक इकाइयों को कृषि व्यवसाय एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति 2018 का लाभ मिल सकेगा। स्टार्ट-अप मिनी फूड पार्क कोल्ड चेन सहित अन्य उद्योगों में लगे किसान उत्पादक संगठनों को सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। साथ ही सरकार की इस नीति से उद्यमियों को ढेरों लाभ मिलेंगे। इस पॉलिसी का लक्ष्य प्रोसेसिंग के लेवल को 10 फीसदी तक बढ़ाना है।

By Sudhir Tanwar Edited By: Deepak Saxena Updated: Mon, 08 Jul 2024 08:30 PM (IST)
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कृषि आधारित व्यवसाय में लगे उद्यमी उठा सकेंगे विशेष छूट का लाभ (सांकेतिक)।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में कृषि आधारित व्यवसाय, स्टार्ट-अप, मिनी फूड पार्क, कोल्ड चेन सहित अन्य उद्योगों में लगे किसान उद्यमियों को सरकार ने राहत दी है। उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने कृषि व्यवसाय एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति का लाभ लेने की समय सीमा को 30 जून तक बढ़ा दिया था। इस तरह पिछले महीने तक नई इकाइयां स्थापित करने वाले सभी किसान उत्पादक संगठन और उद्यमी विशेष अनुदान का लाभ उठा सकेंगे।

उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुण कुमार गुप्ता ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। कृषि एवं बागवानी क्षेत्र की चीजों को खराब होने से बचाने और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी के लिए वर्ष 2018 में कृषि व्यवसाय एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति शुरू की गई थी।

मार्केट फीस में छूट के साथ मिलेंगे ये लाभ

पॉलिसी में मार्केट फीस में छूट के साथ ही कौशल युक्त मानव श्रम, मजबूत आधारभूत संरचना, व्यापार के अनुकूल वातावरण, मिनी फूड पार्क स्थापित करने, कोल्ड चेन और मूल्य वर्धित बुनियादी ढांचे का विकास, कृषि एवं बागवानी क्षेत्र की वस्तुओं के उत्पादक किसान संगठनों को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

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प्रोसेसिंग के लेवल को 10 फीसदी तक बढ़ाना

पॉलिसी का प्राथमिक लक्ष्य फल, सब्जी, डेयरी व मछली पालन के क्षेत्र में प्रोसेसिंग के स्तर को 10 प्रतिशत तक बढ़ाना है क्योंकि यह चीजें जल्दी खराब हो जाती हैं। इस नीति में हरियाणा में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के क्षेत्र में व्यक्तिगत इकाई लगाने वाले उद्यमियों को कई वित्तीय प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।

किसानों को कई योजनाओं के तहत दी जा रही सब्सिडी

प्रदेश सरकार ने वर्ष 2030 तक वर्तमान में कुल फसल क्षेत्र के लगभग सात प्रतिशत के बागवानी क्षेत्र को 22 लाख एकड़ करने तथा उत्पादन को तीन गुणा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत सब्सिडी प्रदान की जा रही है।

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