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Chandigarh News: दूसरी शादी के बाद भी पहले पति की मौत के मुआवजे पर पत्नी का हक, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने कही ये बड़ी बात

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल रेवाड़ी द्वारा मृतक की विधवा को पुनर्विवाह के बाद भी मुआवजे के लिए हकदार मानने की चुनौती को खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि विधवा का दोबारा विवाह करना निजी निर्णय किसी को दखल का अधिकार नहीं है। इसके चलते पुनर्विवाह के बाद भी पहले पति की मौत के मुआवजे की पत्नी हकदार है।

By Jagran NewsEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Fri, 24 Nov 2023 10:35 PM (IST)
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हाईकोर्ट ने याचिका पर कहा- दूसरी शादी के बाद भी पहले पति की मौत के मुआवजे पर पत्नी का हक।

राज्य ब्यूरो,चंडीगढ़। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल रेवाड़ी द्वारा मृतक की विधवा को पुनर्विवाह के बाद भी मुआवजे के लिए हकदार मानने को चुनौती देने वाली बीमा कंपनी की याचिका को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि पति की मौत के बाद दोबारा विवाह करना पूरी तरह से पत्नी का निजी निर्णय है, जिसमें किसी को दखल का अधिकार नहीं है। पत्नी दूसरा विवाह करने के बाद भी पहले पति की मृत्यु के चलते मिलने वाले मुआवजे की हकदार है।

पुनर्विवाह के बाद भी पहले पति की मौत के मुआवजे की पत्नी हकदार

याचिका दाखिल करते हुए बीमा कंपनी व मृतक के अभिभावकों ने मोटर वाहन क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश में संशोधन की मांग की थी। याचिका में दलील दी गई थी कि स्कूल बस और मोटर साइकिल की टक्कर में जोगिंदर सिंह की 3 मार्च 2010 को मौत हो गई थी। इस मामले में एमएसीटी रेवाड़ी ने 18 लाख रुपये का मुआवजा तय किया और इसका 40 प्रतिशत मृतक की विधवा को देने का आदेश जारी किया। हाईकोर्ट में दलील दी गई कि दोबारा विवाह करने के बाद मृतक की पत्नी उस पर निर्भर नहीं थी और ऐसे में उसे मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए।

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मृतक के परिजनों और बीमा कंपनी की मांग की किया खारिज

हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि मृतक की विधवा ने 2013 में दोबारा विवाह किया था। पहले पति के जीवित रहते वह उसके साथ रहती थी और पूरी तरह से उस पर निर्भर थी। पति की मौत के बाद दोबारा विवाह करना उसका निजी निर्णय है जिसमें किसी को दखल का अधिकार नहीं है। दोबारा विवाह करने के बाद भी वह अपने पहले पति की मौत के लिए मिलने वाले मुआवजे से वंचित नहीं की जा सकती है। ऐसे में मृतक के परिजनों और बीमा कंपनी की इस मांग को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया।

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