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Farmers Protest: खनौरी बॉर्डर पर 152 दिनों से डटे किसान बना रहे आगे की रणनीति, बढ़ने लगी भीड़, ट्रैक्टरों की लगी लंबी लाइन

Farmers Protest लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे किसान अब आगे की रणनीति बना रहे हैं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद बॉर्डर पर भीड़ बढ़ने लगी है। ट्रैक्टरों की लंबी लाइन लगनी शुरू हो गई है। धरना दे रहे किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था की गई है। पंजाब के गांव शेरगढ़ के ग्रामीणों व किसानों द्वारा 13 फरवरी से लगातार लंगर चलाया जा रहा है।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Mon, 15 Jul 2024 04:17 PM (IST)
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Farmers Protest: अगली रणनीति बनाने में जुटे किसान, बॉर्डर पर जुटने लगी भीड़।

महासिंह श्योरान, नरवाना (जींद)। दातासिंह वाला-खनौरी बार्डर पर 152 दिनों से डटे पंजाब के किसान रणनीति बनाने में जुट गए हैं। हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद एक बार फिर से यहां भीड़ बढ़ने लगी है। जहां तक नजर जाती है, ट्रैक्टर-ट्रालियों की दो किमी लंबी लाइनें दिखाई देती हैं। किसानों ने सीमेंट के बैरिकेड से लगभग 50 मीटर दूर टीन से पक्का मोर्चा बनाया हुआ है।

दूसरी ओर, बैरिकेड्स के पार पुलिस व अर्ध सैनिक बल तैनात हैं। सुबह 10 बजे आसपास के गांवों के व दातासिंह वाला बॉर्डर पर डटे किसान वहां इकट्ठे होकर बैठ जाते हैं। मंच पर वक्ता आते रहते हैं। तीन घंटे तक मंच से भाषण चलने के बाद दोपहर एक बजे धरने को समाप्त किया जाता है।

धरना समाप्त होने के बाद किसान लंगर लेते हैं। फाइव रीवर हार्ट एसोसिएशन द्वारा डा. सवाईमान यूएसए के तत्वाधान में 13 फरवरी से किसानों के स्वास्थ्य की जांच के लिए निश्शुल्क कैंप लगाया गया है। उनको दवाइयां निश्शुल्क दी जाती हैं।

दोनों तरफ कच्चे रास्तों में बड़े-बड़े गहरे गड्ढे

नहर के दोनों तरफ कच्चे रास्ते भारी व छोटे वाहनों के आवागन के कारण टूट चुके हैं। बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके हैं, जिस कारण मोटरसाइकिल निकालने में परेशानी होती है। वाहनों के कारण दिनभर उड़ती धूल के कारण आस-पास खेतों में काम करने वाले किसानों को भी परेशानी हो रही है। वहीं मार्केटिंग बोर्ड द्वारा बनाई सड़क भी नहर से गांव दातासिंह वाला जाने वाली भी सड़क टूट चुकी हैं। जिससे वाहनों बहुत धीमी गति से निकलते हैं।

लगातार चल रही लंगर की सेवा

लंगर लगातार चल रहे हैं। पंजाब के गांव शेरगढ़ के ग्रामीणों व किसानों द्वारा 13 फरवरी से लगातार लंगर चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक आंदोलन चलता रहेगा, उनका रोटी-सब्जी, चाय का लंगर चलता रहेगा। वहीं आसपास के गांवों के किसान व ग्रामीण थोड़ी-थोड़ी दूरी पर लंगर की सेवा करते नजर आते हैं।

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