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Farmers Protest: दिल्ली कूच करने वाले हथियारों के साथ संसद का कर सकते हैं घेराव, HC में दाखिल रिपोर्ट पर उठे सवाल

Farmers Protest पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दिल्‍ली कूच करने वालों पर कई सवाल उठे हैं। हाई कोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में बेहद चौंकाने वाली जानकारी दी है। हरियाणा सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछला किसान आंदोलन न केवल हिंसक था बल्कि आंदोलनकारियों ने अपराध भी किए। इस बार भी किसान संगठनों का यह विरोध शांतिपूर्ण नहीं लग रहा है।

By Jagran News Edited By: Himani Sharma Updated: Thu, 15 Feb 2024 11:45 PM (IST)
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HC में दाखिल रिपोर्ट पर उठे सवाल (फाइल फोटो)

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। हरियाणा के गृह सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने पंजाब के किसान संगठनों के दिल्ली कूच के मद्देनजर हाई कोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में बेहद चौंकाने वाली जानकारी दी है। हरियाणा सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसके पास ऐसे इनपुट हैं कि हजारों की संख्या में आंदोलनकारी मोडिफाई ट्रैक्टर-ट्रालियों में हथियारों के साथ दिल्ली में डेरा डालने की व्यवस्था के साथ चल रहे हैं। ये संगठन संसद का घेराव कर सकते हैं।

आम नागरिकों को नुकसान

दावा किया है कि किसान संगठनों का यह विरोध शांतिपूर्ण नहीं है और पिछले अनुभव को देखते हुए यह आम नागरिकों के साथ-साथ संस्थानों को भी भारी नुकसान पहुंचाने वाला है। विदित हो कि इस मुद्दे पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं।

एक याचिका किसानों की ओर से सड़कों की गई नाकेबंदी के खिलाफ थी, तो दूसरी याचिका किसानों को रोकने लिए हरियाणा सरकार के बनाए अवरोधक के खिलाफ थी। पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने हरियाणा व पंजाब की सरकारों से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। गुरुवार को दोनों सरकारों ने स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत की।

पहले आंदोलनकारियों ने किए थे अपराध

हरियाणा सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पिछला किसान आंदोलन न केवल हिंसक था बल्कि आंदोलनकारियों ने अपराध भी किए। 26 जनवरी, 2021 को राष्ट्रीय राजधानी में हंगामा किया, लाल किले से तिरंगा हटा दिया था। हरियाणा में अपराध करने के लिए आंदोलनकारियों के खिलाफ 294 एफआइआर दर्ज की गईं, जिनमें 185 मामलों में चालान पेश हो चुका है। हरियाणा ने हत्या, सामूहिक दुष्कर्म, हत्या के प्रयास और हथियार लेकर चलने के मामलों समेत कई जघन्य अपराधों का हवाला दिया है।

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दलील दी कि अगर आंदोलनकारियों को हरियाणा के क्षेत्र से गुजरकर दिल्ली जाने और डेरा डालने की अनुमति दी गई तो हरियाणा के लोगों को सबसे अधिक नुकसान होगा।दिल्ली पुलिस ने भी हरियाणा से आग्रह किया थाहरियाणा ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली पुलिस से एक पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें हरियाणा पुलिस से अनुरोध किया गया था कि प्रदर्शनकारियों से दिल्ली में कानून-व्यवस्था और सुरक्षा स्थिति में व्यवधान पैदा करने की आशंका है। ऐसे में विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के इरादे से आने वाले सभी व्यक्तियों की पहचान की जाए और उन्हें दिल्ली में प्रवेश की इजाजत न दी जाए।

औद्योगिक संगठन और ग्राम पंचायतें आंदोलन के हक में नहीं

हरियाणा ने दावा किया कि बहादुरगढ़ चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री ने बताया कि पिछले आंदोलन से उनके कारोबार को भारी नुकसान हुआ था। कई ग्राम पंचायतों ने जिला प्रशासन को लिखकर दिया कि वे किसी भी तरह से आंदोलन का समर्थन नहीं करेंगे। इसलिए ऐसे आंदोलनों से आम जनता को बहुत असुविधा होती है। इसलिए इस पर रोक जरूरी है। हरियाणा ने सूचित किया कि प्रदेश के छह जिलों यमुनानगर, चरखी दादरी, कुरुक्षेत्र, झज्जर, पंचकूला व करनाल में पहले से ही कुछ स्थानों व क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है, जहां प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण आंदोलन कर सकते हैं।

पंजाब ने कहा, सीमाओं पर पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात

पंजाब के विशेष डीजीपी (कानून एवं व्यवस्था) अर्पित शुक्ला ने कोर्ट के समक्ष दायर स्टेटस रिपोर्ट में बताया कि आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए पर्याप्त पुलिस व्यवस्था की गई है। शंभू बार्डर पर एक डीआइजी, एक एसएसपी, चार एसपी, 10 डीएसपी और अन्य रैंकों सहित कुल 1760 पुलिसकर्मी तैनात हैं। संगरूर की खनौरी सीमा पर 1364 पुलिसकर्मी और ब¨ठडा सीमा पर 1068 पुलिसकर्मी तैनात हैं।

हाई कोर्ट ने किसान संगठनों के साथ सरकार की बैठक पर मांगी स्टेटस रिपोर्ट

खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों से किसानों के साथ उनकी होने वाली बैठक के आधार पर मंगलवार को एक हलफनामा प्रस्तुति करने को कहा है। एक याचिकाकर्ता उदयप्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर रबर पैलेट, आंसू गैस जैसे हथियारों का इस्तेमाल कर रही है। हरियाणा ने विरोध को अनधिकृत बताया तो पंजाब ने कहा कि स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है और चिकित्सा सुविधाओं सहित सभी इंतजाम किए गए हैं।

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केंद्र सरकार ने कहा कि अधिकार केवल शांतिपूर्वक विरोध करने का है। याचिकाकर्ता उदय प्रताप सिंह ने यूएनओ को पत्र लिखकर मामले में दखल देने की मांग की थी। इस पर हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई और कहा क्या आप मामले को यूनाइटेड नेशन ले जाना चाहते हैं। अदालत से बाहर मुद्दा उठाएंगे तो हाई कोर्ट कैसे सुनवाई करेगा।

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