किसानों के लिए अच्छी खबर, शिवालिक क्षेेेत्र में रेशम की पैदावार करेगा हरियाणा, 90 फीसद तक सब्सिडी
हरियाणा सरकार ने अंबाला पंचकूला व यमुनानगर के शिवालिक क्षेत्र को रेशम कीट पालन के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना है। रेशम कीट पालन पर सरकार 90 फीसद तक सब्सिडी देगी।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Thu, 09 Jul 2020 10:07 AM (IST)
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के शिवालिक एरिया में अब रेशम कीट पालन पर जोर दिया जाएगा। इसके लिए प्रदेश सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शिवालिक पहाड़ियों के दायरे में आने वाले अंबाला, पंचकूला और यमुनानगर जिलों को चुना है। रेशम कीट पालन करने वाले किसानों की आय बढ़ाने की मंशा से सरकार ने उन्हेंं 90 फीसद तक अनुदान देने का निर्णय लिया है।
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण तथा बागवानी विभाग की देखरेख में रेशम कीट पालन प्रोजेक्ट चलेगा। इसके लिए रेशम कीट पालन के इच्छुक किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी। हालांकि रेशम कीट पालन पर सब्सिडी केवल 60 फीसद तक है, लेकिन कृषि एवं बागवानी विभाग के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस सब्सिडी को बढ़ाकर 90 फीसद तक ले जाने की मंजूरी दे दी है। कृषि मंत्री जेपी दलाल और विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने दावा किया कि सरकार के इस फैसले से किसानों को फसल विविधिकरण खासकर बागवानी की तरफ मोड़ने में बड़ी मदद मिल सकेगी।
हरियाणा पानी की कमी वाला राज्य है। प्रदेश सरकार ने पानी की बचत के लिए किसानों को धान की खेती छोडऩे के लिए प्रेरित कर रखा है। अभी तक किसान एक लाख हेक्टेयर के आसपास जमीन में धान की खेती से तौबा कर चुके हैं। प्रदेश सरकार ने बागवानी व दलहनी फसलों के अलावा अब किसानों को रेशम कीट पालन के लिए भी प्रोत्साहित करना शुरू किया है।
राज्य रेशम अधिकारी डॉ. दिलबाग सिंह के अनुसार किसान अपने एक एकड़ के खेत में उसकी मेढ़ पर चारों तरफ शहतूत के छह बाई छह की दूरी पर 300 पौधे लगा सकते हैं। एक तैयार पौधे की कीमत चार से आठ रुपये में पड़ती है। एक एकड़ में पौधे रोपित करने के लिए सरकार की ओर से 90 फीसद तक यानी 12 हजार 600 रुपये का अनुदान मिलेगा।
बागवानी महानिदेशक डॉ. अर्जुन सैनी के मुताबिक अगले साल इन पौधों के रखरखाव पर साढ़े चार हजार रुपये किसान को दिए जाएंगे। 15 बाई 10 स्कवायर फीट का रेयरिंग हाउस ट्रे (जिसमें रेशम पैदा करने वाले कीट रखे जाते हैं) तैयार करने के लिए 78 हजार 500 रुपये का अनुदान मिलेगा। एक एकड़ के लिए प्रत्येक किसान को यह 50 रेयर हाउस बनाने होंगे।
किसान नर्सरी बनाने पर एक लाख 35 हजार रुपये का अनुदान देने का प्रस्ताव रखा गया है। एक किसान अधिकतम दो एकड़ में 600 शहतूत के पौधे लगा सकता है। रेशम बनाने का कीड़ा रेयरिंग हाउस में रखा जाता है, जहां शहतूत के पत्ते तोड़कर कीट को खिलाए जाते हैं। एक रेयरिंग हाउस ट्रे से करीब 400 से 700 ग्राम तक रेशम पैदा की जा सकेगी।
डॉ. दिलबाग सिंह ने बताया कि किसानों को वास्तविक लाभ दिलाने के लिए बागवानी विभाग ने उनकी ट्रेनिंग की व्यवस्था भी की है। एक कीट के वयस्क होने की आयु 35 से 40 दिन है, जिसके बाद पत्ते खाकर उत्पादन शुरू हो जाता है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल के अनुसार यदि कोई किसान पहले से यह कार्य कर रहा है तो उसे सब्सिडी का लाभ हासिल करने के लिए आगे आना चाहिए। इसके लिए बागवानी महानिदेशक कार्यालय में रेशम अधिकारी से संपर्क साधा जा सकेगा।
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