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जाट आरक्षण आंदोलन-2015 में से 407 केस सरकार ले रही वापस, HC ने कहा-SIT दो हजार केस कैसे करेगी जांच

Jat reservation Protest in Haryana हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के चलते मुरथल में सामूहिक दुष्कर्म व राज्य में हिंसा मामले की जांच की रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की गई। सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि इस मामले को लेकर कुल 2015 केस दर्ज हैं जिसमें से सरकार लगभग पांचवा हिंसा यानी 407 केस वापस लेना चाहती है।

By Dayanand Sharma Edited By: Preeti Gupta Updated: Fri, 09 Feb 2024 10:47 AM (IST)
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जाट आरक्षण आंदोलन - 2015 में से 407 केस सरकार ले रही वापस
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Jat reservation Protest in Haryana:  हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के चलते मुरथल में सामूहिक दुष्कर्म व राज्य में हिंसा मामले की जांच की रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की गई। पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने मामले की जांच के लिए गठित आइजी अमिताभ ढिल्लों की एसआइटी से मामले की स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी।

जाट आरक्षण आंदोलन - 2015 में से 407 केस सरकार ले रही वापस

बृहस्पतिवार को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि इस मामले को लेकर कुल 2015 केस दर्ज हैं जिसमें से सरकार लगभग पांचवा हिंसा यानी 407 केस वापस लेना चाहती है।

सभी पक्षों को सुनने के बाद कार्यवाहक चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया व जस्टिस लुपिता बनर्जी पर आधारित डिवीजन बेंच ने सवाल उठाया कि एक एसआइटी 2000 के करीब मामले कैसे जांच कर सकती है। कोर्ट ने सभी पक्षों को बहस के लिए चार सप्ताह का समय देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।

जाट नेताओं पर दर्ज मामले वापस ले सकती है सरकार

पिछले दिनों हरियाणा सरकार जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जाट नेताओं पर दर्ज मामले वापस लेने पर विचार कर रही थी और संभावना थी कि इस मामले की सुनवाई के दौरान सरकार अर्जी दायर कर कोर्ट से इस बाबत इजाजत लेगी।

आरोपित दिलावर सिंह ने HC में दायर की जमानत याचिका

हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के घर पर तोड़-फोड़ व वाहनों को जलाने के आरोपित दिलावर सिंह ने हाईकोर्ट में जमानत की याचिका दायर की थी, इस जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट इन मामलों का ट्रायल दिसंबर 2018 तक पूरा किए जाने का आदेश दे चुका है।

SC के आदेश के बाद भी केसों का ट्रायल नहीं हुआ पूरा 

फरवरी 2019 में हुई सुनवाई पर हाई कोर्ट ने जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी मामले में दिसंबर 2018 तक इन केस का ट्रायल पूरा करने के आदेश दिए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों के बावजूद भी इन केसों का ट्रायल पूरा नहीं हो पाया है।

हाईकोर्ट ने सीबीआई से किया सवाल

इस पर हाईकोर्ट ने सीबीआइ को ट्रायल कोर्ट में चल रहे मामलों के स्टेटस की जानकारी हाईकोर्ट को दिए जाने के आदेश दिए थे। साथ ही पूछा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ट्रायल पूरा किए जाने में देरी क्यों हो रही है। क्या इस देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट में कोई अर्जी दायर कर और समय की मांग की गई है या नहीं।

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2019 के बाद मामले में नहीं हुई कोई ठोस सुनवाई

लेकिन फरवरी 2019 के बाद इस मामले में हाईकोर्ट में कोई ठोस सुनवाई नहीं हो पाई। जाट आरक्षण आंदोलन के चलते मुरथल में सामूहिक दुष्कर्म व राज्य में हिंसा मामले में हाई कोर्ट 24 फरवरी 2016 को संज्ञान लेकर इस मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित कर जांच के आदेश दिए थे।

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