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Haryana Election: पहली बार ताल ठोकेंगे चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के पोते-पोतियां, पढ़िए किसे कहां से मिल सकता है टिकट

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। चुनाव से पहले उम्मीदवार उतारने के लिए सभी पार्टियों ने मंथन भी शुरू कर दिया है। इस बार के विधानसभा चुनाव में हरियाणा के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के पोते-पोतियां चुनाव में ताल ठोक सकते है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे देवी लाल चौधरी बंसी लाल और भजन लाल के पोते-पोतियां इस बार भाजपा से चुनाव लड़ सकते हैं।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sat, 31 Aug 2024 07:42 AM (IST)
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विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं लाल परिवारों के वारिस (फाइल फोटो)
सुधीर तंवर, चंडीगढ़। हरियाणा की राजनीति में कभी लाल परिवारों की तूती बोलती थी। मुख्यमंत्री से उपप्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे जननायक देवी लाल हों या फिर केंद्र सरकार में कद्दावर मंत्री और लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे चौधरी बंसी लाल और भजन लाल, तीनों लालों ने राष्ट्रीय राजनीति में हरियाणा को विशेष पहचान दिलाई।

अब इनके पोते-पोतियां भाजपा के झंडे तले विधानसभा चुनाव के रण में ताल ठोकने को तैयार हैं। प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री बने राव बीरेंद्र सिंह की तीसरी पीढ़ी भी पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में दिखाई दे सकती है।

मैदान में होंगे चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के पोते-पोतियां

यह पहला विधानसभा चुनाव होगा, जब चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के पोते-पोतियां मध्य और दक्षिण हरियाणा में कमल खिलाने के लिए जूझते नजर आएंगे। प्रदेश में लगातार तीसरी बार सत्ता में आने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में ही पूर्व मुख्यमंत्रियों के पोते-पोतियों पर दांव खेल सकती है।

चौधरी भजन लाल के पौत्र और आदमपुर से विधायक भव्य बिश्नोई को लगातार दूसरी बार टिकट पक्का है। बंसी लाल की पौत्री और राज्यसभा सदस्य किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को तोशाम से टिकट तय माना जा रहा है।

देवी लाल के पौत्र आदित्य देवीलाल को भाजपा डबवाली विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतार सकती है। इसके अलावा स्वर्गीय राव बीरेंद्र सिंह की पौत्री और केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव को महेंद्रगढ़ की अटेली विधानसभा सीट से टिकट दिए जाने की चर्चा है।

नामी परिवारों से माहौल बनाने की रणनीति

भाजपा पर गैर जाट की राजनीति करने के आरोप लगते रहे हैं। भजन लाल, देवी लाल और बंसी लाल के वारिसों को पार्टी में शामिल कर चुकी भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव में नामी परिवारों से जुड़े लोगों को मौका देकर माहौल बनाया जा सकता है।

इन परिवारों का हिसार, फतेहाबाद, भिवानी, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, सिरसा और जींद जिलों में खासा प्रभाव है, जबकि अहीरवाल में राव इंद्रजीत का दबदबा किसी से छिपा नहीं।

राजनीतिक दिग्गजों के वारिसों के चुनावी रण में उतरने का फायदा साथ लगती सीटों पर भी होगा। किरण चौधरी के भाजपा में आने से जाटों में भी अलग संदेश गया है।

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वारिसों के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं विधानसभा चुनाव

भाजपा ने अतीत में लाल परिवारों के साथ अलग-अलग समय पर गठबंधन कर चुनाव लड़े हैं और सरकार चलाई है। यह पहला मौका है, जब इन परिवारों के वारिस पूरी तरह भगवा रंग में रंगे हैं। विधानसभा चुनाव इन परिवारों के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होंगे।

चौधरी भजन लाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई को उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता है। विरोधियों का दावा है कि वे आदमपुर हलके तक सिमट गए हैं।

भाजपा प्रत्याशी रणजीत चौटाला खुद तो हारे ही, अपनी रानियां विधानसभा सीट से भी सिरसा के पार्टी उम्मीदवार अशोक तंवर को लीड नहीं दिला पाए। बंसी लाल के घराने का भी प्रभाव क्षेत्र सीमित हुआ है, जिसकी बानगी श्रुति चौधरी का लगातार दो बार लोकसभा चुनाव हारना है।

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