Haryana News: हरियाणा के 14 जिलों में GRAP लागू, नहीं चलेंगे जेनरेटर; सरकार ने किया भरपूर बिजली का इंतजाम
Haryana News हरियाणा के 14 जिलों में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू कर दिया गया है। इसके तहत एनसीआर के इन 14 जिलों में जेनरेटर नहीं चलाये जा सकेंगे। एनसीआर के जिलों में प्रदूषण को कम करने के लिए 500 वर्ग मीटर से ज्यादा एरिया में निर्माण व तोड़फोड़ के लिए डस्ट कंट्रोल एप पर रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। वहीं सरकार ने बिजली का भरपूर इंतजाम किया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल हरियाणा के 14 जिलों में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के नियम लागू हो गये हैं। इसके तहत एनसीआर के इन 14 जिलों में जेनरेटर नहीं चलाये जा सकेंगे।
केवल आवश्यक सेवाओं जैसे अस्पताल, मेडिकल उपकरण चलाने वाले संस्थान, सेना से संबंधित कार्यों और इमरजेंसी की स्थिति में ही जेनरेटर चलाने की इजाजत होगी। जहां पर पीएनजी की लाइन बिछ चुकी है, वहां पर कोयला, डीजल व जेनरेटर पर आधारित उद्योग नहीं चल सकेंगे। जहां पीएनजी की लाइन नहीं बिछ पाई है, वहां एक जनवरी 2024 से यह नियम लागू होगा।
डस्ट कंट्रोल एप पर रजिस्ट्रेशन जरूरी
एनसीआर के जिलों में प्रदूषण को कम करने के लिए 500 वर्ग मीटर से ज्यादा एरिया में निर्माण व तोड़फोड़ के लिए डस्ट कंट्रोल एप पर रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। पहली बार ग्रैप के तहत निर्देशित किया गया है कि एनसीआर में पेट्रोल के बीएस-3 और डीजल के बीएस-4 चार पहिया वाहन स्टेज-तीन लागू होने के बाद कतई नहीं चलें या वायु गुणवत्ता सूचकांक के 'गंभीर' श्रेणी में पहुंचते ही इन पर सख्ती से रोक लगा दी जाएगी।
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ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के नियम लागू होने से एनसीआर के उद्यमियों को आने वाली बिजली संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए सरकार ने एक्शन प्लान तैयार कर लिया है।
एनसीआर के शहरों में 24 घंटे की जा रही बिजली सप्लाई
प्रदेश के बिजली मंत्री रणजीत चौटाला ने दावा किया कि पहले से एनसीआर के प्रमुख शहरों में 24 घंटे बिजली की सप्लाई की जा रही है। ग्रैप के नियम लागू होने के बाद अब यह अच्छी तरह से सुनिश्चित किया जाएगा कि उद्यमियों को किसी तरह की बिजली संबंधी परेशानी का सामना ना करना पड़े। ग्रैप के नियमों का सही ढंग से अनुपालन हो रहा है या नहीं, इस पर हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बारीक निगाह रहेगी।
नियमों का अनुपालन करने के लिए किया गया प्रेरित
एक अक्टूबर से चूंकि ग्रैप के नियम लागू हुए हैं, इसलिए बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव ने पूरे एनसीआर में घूम-घूमकर उद्यमियों को इन नियमों की जानकारी दी तथा उन्हें ग्रैप के नियमों का अनुपालन करने के लिए प्रेरित किया है। राघवेंद्र राव ने हाल ही में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से ग्रैप के नियमों को लेकर प्रदेश के जिला उपायुक्तों व संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी। उन्होंने कहा कि वायु की गुणवत्ता के आधार पर ग्रैप को अलग-अलग चार स्टेज में विभाजित किया गया है।
क्लीन फ्यूल के प्रयोग पर दिया जा रहा बल
एक्यूआई अर्थात एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 से ऊपर पहुंचने पर पहली स्टेज खराब की होगी। 300 से ऊपर दूसरी स्टेज ज्यादा खराब, एक्यूआई 400 से ऊपर जाने पर स्टेज तीन गंभीर और एक्यूआई 450 से ऊपर जाने पर स्टेज चार ‘वैरी सीवियर‘ (अति गंभीर) की होगी। पी राघवेंद्र राव का कहना है कि ग्रैप लागू होने पर उद्योगों में क्लीन फ्यूल के प्रयोग पर बल दिया जा रहा है।
जिन उद्योगों में पीएनजी गैस की सप्लाई है, वे अपने यहां गैस का प्रयोग करेंगे और जिन उद्योगों में गैस की आपूर्ति अभी तक नहीं हो पाई है, वे बायोमास का प्रयोग फ्यूल के तौर पर करें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ढाबा, होटल और रेस्टोरेंट में कोयले के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना सुनिश्चित करें।
इसके साथ ही कहा कि सभी जिलों में एक जिला पर्यावरण योजना (डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान) तैयार किया जाए। वायु प्रदूषण की रोकथाम में लिए विशेष मानीटरिंग टीमों का गठन करने और रात को पेट्रोलिंग करवाने के साथ आकस्मिक तौर पर चेकिंग करवाने की हिदायत भी दी गई है।
हरियाणा के 14 जिले यानी 64 प्रतिशत एरिया एनसीआर में
हरियाणा के यह 14 जिले गुरुग्राम, फरीदाबाद, भिवानी, चरखी दादरी, झज्जर, जींद, करनाल, रेवाड़ी, पानीपत, महेंद्रगढ़, नूंह, पलवल, रोहतक और सोनीपत एनसीआर में शामिल हैं। हरियाणा में कुल 22 जिले हैं। इनमें से 14 जिले एनसीआर में आने का मतलब है कि करीब 64 प्रतिशत एरिया नियम व प्रतिबंधों की जद में शामिल है।
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प्रदेश सरकार कई बार यह कोशिश कर चुकी है कि हरियाणा के आधे से ज्यादा जिलों के एनसीआर के दायरे से बाहर निकलवाया जाए, क्योंकि उन्हें लाभ कम और नुकसान अधिक हो रहा है। पी राघवेंद्र राव का कहना है कि मौसम विभाग की तरह इंडियन इंस्टीट्यूट आफ ट्रापिकल मेटिरियोलाजी वायु की गुणवत्ता के बारे में तीन दिन पहले ही पूर्व अनुमान बताएगा।
पहले वायु को लेकर जानकारी उसी दिन मिलती थी, लेकिन अब लोगों को पहले से ही प्रदूषण स्तर की जानकारी मिल सकेगी। इसका लाभ ये रहेगा कि प्रदूषण से बचने के लिए लोग पहले ही तैयारी कर सकेंगे।