Hariyali Teej 2023 हरियाणा में हरियाली तीज का खास महत्व है। आज भी पूरा हरियाणा हरियाली तीज में सराबोर है। तीज पर हरियाणा की महिलाएं पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं। वे 16 श्रृंगार करती हैं। महिलाएं हरे रंग के कपड़े और चूड़ियां पहनती हैं साथ ही मेहंदी लगाती हैं और सहेलियों के साथ झूला झूलती हैं।
By Preeti GuptaEdited By: Preeti GuptaUpdated: Sat, 19 Aug 2023 02:18 PM (IST)
पानीपत, जागरण संवाददाता। Hariyali Teej 2023: हिंदू धर्म में हरियाली तीज का विशेष महत्व है। यह महिलाओं के सजने संवरने और खुशियां मनाने का त्योहार है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हर साल हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।
इसी कड़ी में पानीपत में हरियाली तीज के उपलक्ष्य पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। सीएम मनोहर लाल ने भी कार्यक्रम में शिरकत की है। हरियाणा के विभिन्न जिलों में हरियाली तीज का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है।
पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं महिलाएं
पूरा हरियाणा अभी तीज के त्यौहार ने सराबोर है। हरियाली तीज मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा व दिल्ली में मनाया जाता है। तीज पर हरियाणा की महिलाएं पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती जैसा वैवाहिक जीवन प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखा जाता है।
16 श्रृंगार करती हैं महिलाएं
हरियाणा की महिलाएं तीज के त्यौहार पर 16 श्रृंगार करती हैं। महिलाएं हरे रंग के कपड़े और चूड़ियां पहनती हैं, साथ ही मेहंदी लगाती हैं। हंसी-ठिठोली करती हैं। इस दौरान महिलाएं तीज से जुड़े लोकगीत भी गाती हैं। हरियाणा में हरियाली तीज के दिन शादीशुदा बेटी व बहन के घर मायके से सिंधारा भेजा जाता है। इसे मायके का आशीर्वाद माना जाता है। इसलिए इसे सिंधारा तीज के रूप में भी जाना जाता है।
हरियाणा की पारंपरिक वेशभूषा पहनती हैं महिलाएं
हरियाली तीज के दिन महिलाएं हरे रंग के नए कपड़े या फिर हरियाणा की पारंपारिक वेशभूषा पहनती हैं।
सहेलियों के साथ झूला झूलती हैं महिलाएं
महिलाएं बड़े-बड़े पेड़ों पर अपनी सहेलियों के साथ झूला डालकर झूला भी झूलती हैं। कई महिलाएं अपने मायके में जाकर भी हरियाली तीज मनाती हैं या फिर ससुराल में रहकर भी तीज का व्रत करती हैं।
तीज की कोथली देने की है परंपरा
हरियाणा में खास तरीके से तीज का त्यौहार मनाया जाता है। वहां पर तीज की कोथली देने की परंपरा निभाई जाती है। इस दौरान किसी भी विवाहित स्त्री के मायके की तरफ से सावन के महीने में उसकी कोथली भेजी जाती है । इस कोथली में महिला के साथ साथ उसके ससुराल के लोगों के लिए कपड़े तथा फल तथा कुछ विशेष तरह के मिठाई भेजी जाती है । कोथली की मिष्ठान्न में विशेष तौर पर घेवर, फिरनी, आटे के बिस्कुट, बताशे, मठरी (मट्ठी) और मीठा सामान भेजा जाता है।
क्या खाती हैं महिलाएं?
महिलाएं रात में चांद देखने के बाद ही तीज का व्रत खोलती हैं। घेवर , नारियल के लड्डू, साबूदाना खीर , हलवा , मठरी का का सेवन करती हैं। वहीं, पति और रिश्तेदारों से उपहार भी प्राप्त करती हैं।
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