Haryana: फसल बीमा पर भिड़े कृषि मंत्री जेपी दलाल और किरण चौधरी, तीखी बहस के बीच एक-दूसरे का मांगा इस्तीफा
Haryana Politics कांग्रेस विधायक शुक्रवार को बाढ़ और जलभराव ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बोल रहीं थी। इसी दौरान उन्होंने किसानों को मुआवजा न मिलने का मुद्दा उठाते हुए फसल बीमा योजना पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि मुआवजा खाली कागजों में ही दिया जा रहा है। कृषि मंत्री ने जवाब दिया कि फसल बीमा योजना स्वैच्छिक है। कांग्रेस विधायक सदन को गुमराह कर रही हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर कृषि मंत्री जेपी दलाल और कांग्रेस विधायक किरण चौधरी सदन में भिड़ गए। कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया कि बीमा कंपनियों द्वारा जबरन किसानों से प्रीमियम काटा जा रहा है। वहीं कृषि मंत्री ने जवाब दिया कि बीमा स्वैच्छिक है। जो किसान करवाना चाहता है, उसका ही प्रीमियम काटा जाता है।
तीखी बहस हुई
हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में फसल बीमा योजना के मुआवजे और प्रीमियम की राशि काटने को लेकर कृषि मंत्री जेपी दलाल और विधायक किरण चौधरी के बीच तीखी बहस हुई। नौबत यहां तक आ गई की दोनों ने एक-दूसरे का इस्तीफा तक मांग लिया। दरअसल, कांग्रेस विधायक शुक्रवार को बाढ़ और जलभराव ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बोल रहीं थी।
इसी दौरान उन्होंने किसानों को मुआवजा न मिलने का मुद्दा उठाते हुए फसल बीमा योजना पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि मुआवजा खाली कागजों में ही दिया जा रहा है। कृषि मंत्री ने जवाब दिया कि फसल बीमा योजना स्वैच्छिक है। कांग्रेस विधायक सदन को गुमराह कर रही हैं।
दलाल यहीं नहीं रुके। उनका कहना था कि सदन की कमेटी गठित की जाए और किसानों कर तथ्यों का पता लगाया जाए कि कौन झूठ बोल और और कौन सच। जो झूठा पाया गया, उसे अपनी सदस्यता छोड़नी होगी। दोनों के बीच तीखी बहस हुई। विस उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा ने बीच-बचाव किया। फिर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बचाव करते हुए स्पष्ट किया कि यह बिल्कुल सही है कि ऋणधारक किसानों से बैंक प्रीमियम शेयर काटते हैं।
मुख्यमंत्री का यह तर्क सुनते ही कांग्रेस विधायकों ने तुरंत ही कृषि मंत्री से इस्तीफे की पेशकश की। इसके बाद कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्री को टोकते हुए कहा कि यदि कोई किसान बैंक को लिखकर देता है कि वह प्रीमियम नहीं कटवाना चाहता है, तो प्रीमियम नहीं काटा जा सकता है।
नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तर्क दिया कि फसल बीमा योजना को प्राइवेट कंपनियों की बजाय नेशनल कंपनियों के जरिये करवाना चाहिए। हालांकि संसदीय कार्य मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने आरोप लगाया कि विपक्ष बीमा योजना पर किसानों को गुमराह कर रहा है।