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'किसान आंदोलन की मिल रही सजा', धान की कम खरीद को लेकर सुरजेवाला का हरियाणा और पंजाब सरकार पर हमला

हरियाणा और पंजाब में धान की खरीद में भारी कटौती से किसान परेशान हैं। रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने केंद्र सरकार पर किसानों को किसान आंदोलन की सजा देने का आरोप लगाया है। पिछले साल के मुकाबले दोनों राज्यों में 82 लाख 88 हजार 450 टन कम धान खरीदा गया है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नहीं मिल पा रहा है।

By Sudhir Tanwar Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Tue, 29 Oct 2024 03:25 PM (IST)
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रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा और पंजाब सरकार पर हमला बोला है। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा और पंजाब में धान की कम खरीद पर कांग्रेस हमलावर हो गई है। पार्टी के राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि दोनों राज्यों के किसानों को किसान आंदोलन की सजा दी जा रही है।

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एसएसपी) नहीं देना पड़े, इसके लिए धान की खरीद और किसानों के रजिस्ट्रेशन में आधी से ज्यादा कटौती कर दी है।

केंद्र सरकार पर लगाए ये आरोप

सुरजेवाला ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने पिछले पांच साल फर्टिलाइजर, फूड और फ्यूल सब्सिडी में तीन लाख 30 हजार करोड़ रुपये की कटौती कर दी है। साल 2020-21 में सब्सिडी सात लाख 58 हजार 165 करोड़ रुपये थी, जिसे चालू बजट में चार लाख 28 हजार 423 करोड़ रुपये कर दिया गया है। पिछले दो साल में ही फूड सब्सिडी में 78 हजार करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई है। इसकी कीमत किसान व गरीब मजदूर को चुकानी होगी।

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कांग्रेस सांसद ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले पंजाब और हरियाणा में 82 लाख 88 हजार 450 टन धान की खरीद कम हुई है। हरियाणा में एमएसपी पर खरीद के लिए चार लाख 19 हजार 532 किसानों ने पंजीकरण कराया था, जिसमें केवल एक लाख 33 हजार 114 किसानों की फसल खरीद हुई है, जबकि दो लाख 86 हजार 418 किसान अभी तक वंचित हैं। प्रदेश में पिछले साल हुई 58.92 लाख टन धान की खरीद के मुकाबले इस साल अभी तक 37.23 लाख टन धान खरीदा गया है, जबकि धान खरीद 15 नवंबर को बंद हो जाएगी।

पंजाब सरकार पर भी उठाए सवाल

इसी तरह पंजाब में पिछले साल हुई 1.11 करोड़ टन धान खरीद के मुकाबले इस बार अभी तक 49.84 लाख टन धान खरीदा गया है। यानी कि पिछले साल के मुकाबले में अब तक आधी खरीद भी नहीं हुई। रजिस्टर्ड किसानों की संख्या भी सात लाख 98 हजार से घटकर तीन लाख 22 हजार रह गई है।

राष्ट्रीय स्तर की बात करें तो 19 प्रांतों में एमएसपी पर धान बेचने के इच्छुक किसानों की संख्या एक करोड़ 11 लाख से घटकर 51 लाख 20 हजार रह गई है। धान खरीद भी सात करोड़ 19 लाख टन के मुकाबले अभी तक 92 लाख 46 हजार टन हुई है। ऐसे में 15 दिन में बाकी की खरीद कैसे हो पाएगी।

'पीएम मोदी और सीएम सैनी का वादा हवा-हवाई'

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि साजिश के तहत आढ़ती का कमीशन ढाई प्रतिशत से काटकर 46 रुपया प्रति क्विंटल कर दिया गया है। हरियाणा-पंजाब में लगभग नौ हजार से अधिक राइस मिलर हैं। सरकारों ने अलग-अलग हाइब्रिड किस्म का धान किसान को बिकवाया। नार्म्स के मुताबिक राइस मिलर को पीडीएस का धान एक क्विंटल पर 67 प्रतिशत सरकार को देना है, पर राइस मिलर एसोसिएशन के मुताबिक यह 62 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता।

केंद्र सरकार ने धान के पूरे सीजन में इसका कोई हल नहीं निकाला व धान की बिक्री के बाद इसकी जांच को लेकर कमेटी बैठा दी। न रिपोर्ट आई, न गतिरोध समाप्त होगा और न ही किसान की फसल एमएसपी पर खरीदी जाएगी।

पीआर धान की 2300 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी की जगह किसान को 2000 से 2100 रुपये प्रति क्विंटल फसल बेचनी पड़ रही है। हरियाणा में चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री नायब सैनी ने वादा किया था कि आठ अक्टूबर के बाद धान 3100 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जाएगा। यह वादा हवा-हवाई साबित हुआ है।

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