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Haryana Congress Candidates List Release: कांग्रेस ने आठ सीटों पर उतारे उम्मीदवार, हुड्डा के पसंदीदा को मिला टिकट

Lok Sabha Election 2024 के लिए हरियाणा में कांग्रेस पार्टी के लिए इंतजार की घड़ी अब खत्म हो गई है। दस लोकसभा सीटों में से पार्टी ने आठ पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। खास बात ये है कि जिन आठ प्रत्याशियों पर कांग्रेस आलाकमान ने मुहर लगाई है। इनमें कुमारी सैलजा को छोड़कर बाकी सात सीटों पर पूर्व सीएम हुड्डा की पसंद के उम्मीदवार उतारे गए हैं।

By Anurag Aggarwa Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Fri, 26 Apr 2024 12:51 AM (IST)
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Congress Candidates List Release: सात सीटों पर हुड्डा की पसंद के उम्मीदवार पर हाईकमान की मुहर।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। (Haryana Congress Candidates List Release Hindi News) हरियाणा की आठ लोकसभा सीटों में से सात पर अपनी पसंद के उम्मीदवार घोषित करवाकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने कांग्रेस हाईकमान में अपनी मजबूत पकड़ का अहसास तो कराया ही, साथ ही राज्य में हुड्डा के विरुद्ध मोर्चा खोलकर रखने वाले कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी (एसआरके) गुट को तगड़ा झटका दिया है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हिसार टिकट पर किया बड़ा खेल

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हिसार में पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश जेपी को टिकट दिलवाकर और भाजपा (Haryana BJP) छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह (Brijendra Singh) का टिकट कटवाकर यह साफ कर दिया है कि इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी हुड्डा की चलने वाली है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हिसार (Hisar News) का टिकट आवंटन कराने में बड़ा खेल कर दिया।

बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल पूर्व केंद्रीय मंत्री के बेटे को नहीं मिली टिकट

हिसार में बृजेंद्र सिंह को टिकट नहीं मिलने का नुकसान पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह (Chaudhary Birendra Singh) को भी हुआ है। बृजेंद्र सिंह दावेदारी हिसार के साथ-साथ सोनीपत में भी थी। पिछले दिनों बीरेंद्र सिंह का एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह कहते सुनाई दे रहे थे कि सोनीपत (Sonipat Lok Sabha Seat) से अच्छा उनके लिए हिसार रहेगा, लेकिन हुड्डा ने ऐसा दांव खेला कि बीरेंद्र सिंह व उनके बेटे को न तो हिसार मिला और न ही सोनीपत में कोई जगह बन पाई।

बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को रोहतक सीट से दिलवाया टिकट

भूपेंद्र हुड्डा रोहतक (Rohtak Lok Sabha) में अपने बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा (Deependra Singh Hooda)  को टिकट दिलवाकर यह संदेश देने में कामयाब रहे कि कांग्रेस में उनके बेटे भविष्य की राजनीति के सरताज हैं। यानी विधानसभा चुनाव दीपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। कांग्रेस हाईकमान हालांकि नहीं चाहता था कि दीपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम पर रिस्क लिया जाए, क्योंकि वह मौजूदा राज्यसभा सदस्य हैं।

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यदि दीपेंद्र चुनाव जीतते हैं तो कांग्रेस की राज्यसभा की एक सीट खराब हो जाएगी, लेकिन हुड्डा ने इस सीट की परवाह नहीं की और भविष्य की राजनीति को देखते हुए अपने बेटे को वह लोकसभा का टिकट दिलाने में कामयाब हो गए। बाक्स

सैलजा ने अपनी पसंद से किया सिरसा का चयन

सिरसा में पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा (Kumari Selja) को छोड़कर जिन सात सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित हुए हैं, वह सभी हुड्डा समर्थक हैं। उन्हें टिकट दिलाने में सारी गोटियां हुड्डा ने ही फिट की हैं। सिरसा में कुमारी सैलजा अपने प्रभाव से टिकट लेने में कामयाब रही हैं। हालांकि हुड्डा गुट की ओर से सैलजा का नाम अंबाला (Ambala Lok Sabha Seat) व सिरसा (Sirsa Lok Sabha Seat) दोनों लोकसभा सीटों (Haryana Lok Sabha Election 2024) से पैनल में भेजा गया था। लेकिन सिरसा का चयन स्वयं सैलजा ने किया है।

करनाल (Karnal Lok Sabha Seat) में युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा के नाम की घोषणा होते ही भाजपा के उम्मीदवार एवं पूर्व सीएम मनोहर लाल (Manohar Lal) के सामने उन्हें इंटरनेट मीडिया पर कमजोर कंडीडेट माना जाने लगा है, लेकिन हुड्डा समर्थकों ने संकेत दिए हैं कि करनाल के चुनावी रण के माध्यम से हुड्डा अपने परम भक्त दिव्यांशु को बड़ी राजनीतिक पहचान दिलाने की कोशिश में हैं।

दिव्यांशु की गिनती दीपेंद्र सिंह हुड्डा के बेहद खास समर्थकों में होती है। दिव्यांशु ने सरकार के विरुद्ध बेरोजगारी व नौकरियों में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कई आंदोलन किए हैं।

एसआरके गुट की नहीं गली दाल

अंबाला, सोनीपत और हिसार (Hisar Lok Sabha Seat) में हुड्डा की पसंद पर मुहर अंबाला में मुलाना के विधायक वरुण मुलाना पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास समर्थक हैं, जिन्हें पार्टी चुनाव लड़वाने जा रही है। यहां एसआरके गुट रेणु बाला को चुनाव लड़वाना चाहता था।

हिसार में जय प्रकाश जेपी कई बार चुनाव लड़कर हार चुके हैं, लेकिन उनकी वहां पकड़ मजबूत बताई जाती है। इसलिए हुड्डा ने जेपी को टिकट दिलाना पार्टी हित में समझा है, जबकि एसआरके गुट उनके नाम पर बिल्कुल भी सहमत नहीं था। हिसार में एसआरके गुट चंद्र मोहन बिश्नोई और बृजेंद्र सिंह का नाम आगे कर चल रहा था।

सोनीपत में सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट देकर कांग्रेस ने ब्राह्मणों का भरोसा जीतने की कोशिश की है। हुड्डा ने करनाल और सोनीपत में पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा के नाम की भी लाबिंग की थी, मगर पार्टी कुलदीप को टिकट देने के लिए राजी नहीं हो पाई है। सोनीपत में बीरेंद्र सिंह अपने बेटे के लिए लाबिंग कर रहे थे।

श्रुति के लिए एसआरके गुट की लाबिंग नहीं आई काम

भिवानी-महेंद्रगढ़ (Bhiwani-Mahendragarh Loksabha Seat) में किरण चौधरी की बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी का टिकट कटवाकर हुड्डा ने एसआरके गुट को बड़ा झटका दिया है। पिछले कई दिनों से किरण चौधरी अपनी बेटी के लिए टिकट की लाबिंग कर रही थी। एसआरके गुट (SRK Faction) भी श्रुति चौधरी की टिकट के लिए अड़ा हुआ था।

दो दिन पहले ही श्रुति चौधरी ने गोलमोल ट्वीट के माध्यम से डी नाम के उम्मीदवार की हार का दावा किया था, लेकिन बाद में उन्होंने डी का मतलब भाजपा उम्मीदवार चौधरी धर्मबीर सिंह बताया, जबकि उन्होंने ट्वीट राव दान सिंह के लिए किया था। ऐसा राजनीतिक गलियारों में बताया जा रहा है।

फरीदाबाद (Faridabad Lok Sabha Seat) में हुड्डा अपने रिश्तेदार पूर्व मंत्री करण सिंह दलाल को टिकट नहीं दिला पाए, जबकि जिन पूर्व मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह (Mahendra Pratap Singh) को टिकट मिला है, वह भी हुड्डा के खास समर्थकों में गिने जाते हैं। करण सिंह को टिकट नहीं मिलने से उनके समर्थकों में नाराजगी बढ़ सकती है।

गुरुग्राम की सीट पर इसलिए फंसा पेंच

गुरुग्राम लोकसभा सीट पर उम्मीदवारी को लेकर अभी टकराव बरकरार है। गुरुग्राम में हुड्डा गुट फिल्म अभिनेता राज बब्बर को टिकट दिलाना चाहता है। राज बब्बर (Raj Babbar) के अलावा हुड्डा गुट की तरफ से राव दान सिंह, जितेंद्र भारद्वाज, चौधरी आफताब अहमद के नाम भी पैनल में भेजे गए थे, लेकिन जब राज बब्बर को चुनाव लड़वाने की बारी आई तो हुड्डा ने उनके सामने बाकी सभी नाम हटा लिए।

राज बब्बर का नाम सामने आने के बाद पूर्व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव सक्रिय हो गए। इससे पहले उन्होंने साफ मना कर दिया था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन राज बब्बर के आने से उन्हें लगा कि भविष्य में कांग्रेस की तरफ उनके और उनके विधायक बेटे चिरंजीव राव की टिकट के रास्ते बंद हो सकते हैं, इसलिए उन्होंने राज बब्बर का पूरी मुखरता के साथ विरोध किया, जिस कारण कांग्रेस हाईकमान को गुरुग्राम (Gurugram Lok Sabha Seat) की सीट लंबित रखनी पड़ गई है।

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