हरियाणा में OBC और जाटों को साधने की कोशिश, टिकट वितरण पर भाजपा-कांग्रेस ने कैसे बनाया ‘सोशल फॉर्मूला’?
Haryana Assembly Election 2024 हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने ओबीसी तो कांग्रेस ने जाटों पर विशेष रूप से फोकस किया है। टिकट वितरण के समय पार्टियों ने इस बात का बखूबी ख्याल रखा है। भाजपा ने विधानसभा की 90 सीटों में सबसे अधिक 22 पर ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं कांग्रेस ने जाट समुदायों पर फोकस किया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने के लक्ष्य के साथ चुनाव में उतरी भाजपा ने टिकटों के आवंटन में वैसे तो सभी जातियों को साधने का प्रयास किया है, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सर्वाधिक तरजीह दी है। पार्टी ने विधानसभा की 90 सीटों में सबसे अधिक 22 पर ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं।
दस साल बाद राज्य की सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत लगा रही कांग्रेस को ओबीसी के साथ-साथ जाटों पर पूरा भरोसा है। कांग्रेस ने ओबीसी नेताओं को 20 सीटों पर उतारा है, जबकि सर्वाधिक 26 सीटों पर जाट प्रत्याशी उतारे हैं। भाजपा ने ओबीसी के बाद सबसे अधिक 16 सीटों पर जाट उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं।
भाजपा का गैर-जाट के समुदायों पर फोकस
पांच अक्टूबर को होने वाले चुनाव के लिए गुरुवार को नामांकन का आखिरी दिन था। कांग्रेस और भाजपा ने टिकट आवंटन में सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले का पूरा ध्यान रखा है। 17 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं।भाजपा ने इन 17 सीटों पर जाटव समाज के आठ और वाल्मीकि समाज के चार उम्मीदवारों को टिकट प्रदान किए हैं। गैर-जाट मतों के सहारे दो बार सत्ता में आ चुकी भाजपा का पूरा फोकस इस बार फिर गैर जाट मतदाताओं पर है।
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भाजपा के ओबीसी उम्मीदवारों में सबसे अधिक अहीर सात, गुर्जर छह, मुस्लिम व सैनी दो-दो हैं। पार्टी ने खाती, बैरागी, कांबोज, कश्यप और कुम्हार प्रतिनिधियों को भी एक-एक टिकट दिया है। भाजपा ने ब्राह्मणों व पंजाबियों को 11-11 टिकट दिए, जबकि वैश्यों को पांच, बिश्नोई को दो, जाट सिख को एक, राजपूत तीन और रोड समाज के दो उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा गया है।
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