Haryana Election 2024: बड़ी जीत के लिए छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करेगी बीजेपी, कई दलों के साथ जल्द लगेगी मुहर
Haryana Election 2024 हरियाणा चुनाव की बिसात बिछ गई है। बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी ने इस बार बड़े दलों के साथ गठबंधन नहीं करेगी। छोटी पार्टियों के साथ लेकर चलेगी। गोपाल कांडा की हलोपा विनोद शर्मा की हजपा और जयंत चौधरी की आरएलडी के साथ गठबंधन संभव है।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन की राजनीति पर आगे बढ़ती दिखाई देगी। एक-एक सीट जीतने की रणनीति तैयार कर रही भाजपा राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) और हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
आरएलडी और हलोपा दोनों ही राष्ट्रीय जनतांत्रित गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के नेतृत्व वाली हरियाणा जनचेतना पार्टी (हजपा) भी इसी गठबंधन का हिस्सा बन सकती है।
जयंत को मिलेगी जाट बाहुल्य सीट
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने वीरवार को इस नये संभावित गठबंधन पर चर्चा की। इस नतीजे पर पहुंची कि तीसरी बार सरकार में वापसी के लिए यह गठबंधन कारगर साबित हो सकता है। इन सभी क्षेत्रीय दलों के साथ भाजपा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
आरएलडी सुप्रीमो जयन्त चौधरी की पसंद की दो से चार सीटों पर भाजपा उनके उम्मीदवार उतार सकती है। ये सीटें जाट बाहुल्य होंगी।
जाट बीजेपी से नाराज
वहीं, सिरसा के विधायक गोपाल कांडा ने पहले दिन से हरियाणा की भाजपा सरकार को बिना शर्त समर्थन दे रखा है। उनके भाई गोबिंद कांडा भाजपा की राजनीति करते हैं। हलोपा के लिए करीब एक दर्जन सीटों पर दावेदारी जताई है।
संभावना है कि भाजपा उन्हें सिरसा व फतेहाबाद जिले की तीन से पांच सीटें दे सकती है। आरएलडी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से सटी हरियाणा की जाट आबादी वाली सीटें देने पर विचार चल रहा है। जाट भाजपा से नाराज बताए जाते हैं।
गैर जाट की राजनीति हवा
इसकी एक बड़ी वजह यह है कि भाजपा ने जाट नेतृत्व से सत्ता छीनते हुए पिछले 10 सालों में गैर जाट की राजनीति को ज्यादा हवा दी है। हालांकि भाजपा सरकार में जाट मंत्रियों की प्रभावी भूमिका रही और उसने जाटों को टिकट भी दिए, लेकिन जाट मुख्यमंत्री नहीं होने का दर्द उन्हें लगातार परेशान कर रहा है।
जाट मतदाता कांग्रेस की तरफ न मुड़ें, इसलिए भाजपा ने एक रणनीति के तहत जयन्त चौधरी को साथ मिलाकर चुनावी रण में नये समीकरणों का खाका बुना है।
गठजोड़ को लेकर धर्मेंद्र प्रधान के आवास पर चर्चा
हजपा की निगाह अंबाला व पंचकूला जिले की पांच से छह सीटों के साथ कुछ ब्राह्मण बाहुल्य सीटों पर है। भाजपा दो से तीन सीटें दे सकती है। मुख्य विवाद अंबाला शहर विधानसभा सीट को लेकर हो सकता है, जहां से भाजपा विधायक असीम गोयल राज्य सरकार में मंत्री हैं। भाजपा असीम और विनोद शर्मा के गिले-शिकवे दूर करवाकर बीच का रास्ता निकाल सकती है।
इस संभावित गठजोड़ को लेकर बुधवार रात केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के निवास पर चर्चा हुई है और वीरवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में इन समीकरणों पर आगे बढ़ने की सहमति दी जा चुकी है। अब सीटों के बंटवारे पर फैसला व गठबंधन की विधिवत घोषणा होनी बाकी है।
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