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Haryana Election 2024: कांग्रेस और भाजपा के बीच होगी कांटे की टक्कर, लोकसभा चुनाव के नतीजों से समझें क्या है समीकरण

हरियाणा विधानसभा चुनाव का बिगुल (Haryana Vidhansabha Election 2024) बज चुका है। चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। इसी क्रम में देखना यह है कि इस चुनाव में कौन बाजी मारेगा। लोकसभा चुनाव की बात करें तो 90 विधानसभा सीटों में 42 पर कांग्रेस को बढ़ती मिली। वहीं 44 पर भारतीय जनता पार्टी आगे रही।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Sat, 17 Aug 2024 08:31 PM (IST)
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हरियाणा में कांग्रेस और भाजपा के बीच रहेगी कांटे की टक्कर (जागरण फाइल फोटो)

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में तीसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए चुनावी मैदान में उतरी सत्तारूढ़ भाजपा की राह इस बार आसान नहीं है।

भाजपा को केंद्र में अपनी सरकार होने का फायदा मिलने की उम्मीद है, लेकिन 10 वर्ष की सत्ता विरोधी लहर का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। कुछ माह पहले हुए लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस काफी उत्साह में है।

दोनों पार्टियों ने पांच-पांच लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है। लोकसभा चुनाव में राज्य की 90 विधानसभा सीटों में 42 पर कांग्रेस को बढ़त मिली है तो 44 पर भाजपा आगे रही है।

भाजपा ने लोकसभा चुनाव के समय नायब सैनी को सौंपी बागडोर

चार विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी ने बढ़त बनाई है। ऐसे में मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही होने जा रहा है। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदलकर मनोहर लाल के स्थान पर नायब सिंह सैनी को बागडोर सौंपी थी।

हालांकि, भाजपा को इसका उतना फायदा नहीं मिला, जितनी अपेक्षा की गई थी। बाद में सैनी ने पकड़ बनाई और एक के बाद एक किसान, महिला, युवा तथा पिछड़ा वर्ग के समर्थन में इतने फैसले लिए कि भाजपा की हालत में सुधार महसूस किया जाने लगा। सैनी ने जनता से जुड़ाव मजबूत किया।

सार्वजनिक मंचों पर जितनी भी घोषणाएं की, उनकी तुरंत अधिसूचनाएं जारी कराई, ताकि यह संदेश ना जा सके कि भाजपा सिर्फ घोषणाओं तक सीमित है।

उनकी पूरी कोशिश सत्ता विरोधी लहर को कम करने की रही। लोकसभा चुनाव के नतीजों से बना उत्साह कांग्रेस में साफ दिख रहा है। पार्टी ने हरियाणा मांगे हिसाब अभियान चलाकर सत्तारूढ़ भाजपा पर दबाव बनाए हुए है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा हाईकमान में पैठ मजबूत करने के साथ पार्टी के चुनावी अभियान के अगुवा बने हुए हैं।

हालांकि, गुटों में बंटने के कारण कांग्रेस को नुकसान होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता, लेकिन जिस तरह से कुछ दिन पहले राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने हरियाणा के नेताओं को एकजुट होकर चलने का संदेश दिया है, उससे लग रहा है कि आने वाला समय में सभी धड़े एक मंच पर दिखाई दे सकते हैं।

क्षेत्रीय दलों के लिए विधानसभा चुनाव की राह आसान नहीं

लोकसभा चुनाव के दौरान जननायक जनता पार्टी, इनेलो और आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है। इन दलों के उम्मीदवारों की जमानत तक नहीं बच पाई है। इसका असर विधानसभा चुनाव पर पड़ने की पूरी संभावना है। लोकसभा चुनाव के बाद इनेलो व बसपा का गठबंधन हुआ है।

इनेलो 53 और बसपा 37 विधानसभा सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ेंगे। वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को 40, कांग्रेस को 31, जननायक जनता पार्टी को 10, इनेलो व हलोपा को एक-एक सीट मिली थी।

सात सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते थे। जजपा के 10, सात निर्दलीय और एक हलोपा विधायक के समर्थन से ही राज्य में दूसरी बार भाजपा की सरकार बन पाई थी।

अब जजपा द्वारा भाजपा से समर्थन वापस लिया जा चुका है और जजपा पूरी तरह से बिखर चुकी है। सात निर्दलीय विधायकों में से तीन कांग्रेस के साथ आ चुके हैं।

दो जजपा विधायक भाजपा के मंच पर दिखाईदेते हैं। ऐसे में क्षेत्रीय दलों के लिए इस बार के विधानसभा चुनाव में राह बिल्कुल भी आसान नहीं है।

साल 2019 में भाजपा ने जीती थी सभी दस सीटें

इस तरह समझिए 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के नतीजे 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी तथा कांग्रेस को बुरी पराजय का सामना करना पड़ा था।

उस समय भाजपा ने 79 सीटों पर बढ़त बनाई थी, जबकि कांग्रेस को सिर्फ 10 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी। जजपा को सिर्फ एक सीट पर बढ़त मिल पाई थी।

लोकसभा चुनाव के पांच महीने बाद हुए विधानसभा के चुनाव में तब कांग्रेस को अच्छे नतीजों की उम्मीद नहीं थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40, कांग्रेस को 31 और जजपा को 10 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। उसके बाद से कांग्रेस राज्य में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए पूरी कोशिश में लगी हुई है।

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