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Haryana Election 2024: हॉट सीटों पर कांटे की टक्कर, जातीय समीकरण का जादू नहीं, चेहरा देख वोट देने का मन बना रहे मतदाता

Haryana Election 2024 हरियाणा विधानसभा का कल चुनाव है। इस बीच हॉट सीट पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। डेढ़ दर्जन हॉट सीटें हैं। इन विधानसभा सीटों पर राजनीति के बड़े प्रसिद्ध विवादित और अनुभवी चेहरे चुनाव लड़ रहे हैं। गुरुग्राम फरीदाबाद लाडवा हिसार अंबाला छावनी अटेली नूंह गढ़ी सांपला किलोई आदमपुर और करनाल विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां चुनावी मुकाबला काफी चर्चा में है।

By Sushil Kumar Edited By: Sushil Kumar Updated: Fri, 04 Oct 2024 10:34 PM (IST)
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Haryana Election 2024: हॉट सीटों पर जातीय समीकरण का जादू नहीं।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। प्रदेश के चुनाव में काउंट डाउन (उल्टी गिनती) शुरू हो चुकी है। हार जीत के हिसाब से राज्य की हर सीट महत्वपूर्ण है, लेकिन प्रदेश में डेढ़ दर्जन विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन्हें चर्चित और हाट सीटें कहा जा सकता है। इन विधानसभा सीटों पर राजनीति के बड़े, प्रसिद्ध, विवादित और अनुभवी चेहरे चुनाव लड़ रहे हैं।

डेढ़ दर्जन विधानसभा सीटों में आधा दर्जन सीटें ऐसी हैं, जो हॉट हैं, जबकि एक दर्जन सीटें चर्चित विधानसभा क्षेत्रों की श्रेणी में आती हैं। इन विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव जातीय समीकरणों के साथ-साथ चेहरों पर लड़ा जा रहा है। प्रमुख दिग्गजों के विधानसभा क्षेत्रों में मुद्दे ज्यादा असर नहीं कर रहे हैं। चेहरों के आधार पर मतदाता मतदान का मन बना रहे हैं।

चर्चा में ये सीटें

गुरुग्राम, फरीदाबाद, लाडवा, हिसार, अंबाला छावनी, अटेली, नूंह, गढ़ी सांपला किलोई, आदमपुर और करनाल विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां चुनावी मुकाबला काफी चर्चा में है। सिरसा, तोशाम, उचाना कलां, डबवाली, ऐलनाबाद और रानियां हाट सीटें हैं।

इनमें मतदाता पहले दिन से अपने पसंदीदा नेताओं के साथ जुड़े हैं। नौकरीपेशा, व्यापारी और कर्मचारियों ने जरूर खामोशी बनाई हुई है। अब हम एक-एक सीट की स्थिति पर बात करते हैं।

गोपाल कांडा और गोकुल सेतिया में भिड़ंत

सिरसा सीट सबसे ज्यादा हाट बनी हुई है। यहां हलोपा-इनेलो-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार गोपाल कांडा (वैश्य) और कांग्रेस प्रत्याशी गोकुल सेतिया (पंजाबी) में सीधा मुकाबला है।

गोपाल कांडा ने पूरे पांच साल तक भाजपा सरकार को समर्थन दिया। भाजपा से पहले कांग्रेस की सरकार भी गोपाल कांडा के सहयोग से बनी थी। गोकुल सेतिया पूर्व मंत्री लक्ष्मणदास अरोड़ा के नाती हैं।

कांडा चुनाव में कह रहे हैं कि 25 साल तक कांग्रेस से इन लोगों का नाता रहा, मगर विकास नहीं करा सके। पंजाब के लोग यहां आकर सेतिया का मंच साझा कर रहे हैं। पिछले तीन चुनाव में सिरसा में वैश्य विधायक बनते आ रहे हैं।

साल 2009 और 2019 में गोपाल कांडा तथा 2014 में इनेलो के मक्खन लाल सिंगला चुनाव जीते हैं। सेतिया जब कांग्रेस में शामिल हुए थे, तब उनके कुछ विवादित फोटो वायरल हुए थे, जिनका उन्हें जवाब देना पड़ रहा है। गोकुल सेतिया की ताकत कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक है, जबकि कांडा की ताकत वैश्य और गठबंधन के वोट हैं।

तोशाम में भाई-बहन में कड़ा मुकाबला

तोशाम सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बंसीलाल की राजनीतिक विरासत के लिए लड़ाई है। भाजपा ने राज्यसभा सदस्य किरण चौधरी की बेटी और बंसीलाल की पोती पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने बंसीलाल के पोते व रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी को चुनावी रण में उतारा है। यहां दोनों बहन भाइयों में कांटे की टक्कर है।

गुरुग्राम में राष्ट्रीय दलों के लिए बागी चुनौती

गुरुग्राम सीट भी चर्चित है। भाजपा के मुकेश शर्मा और कांग्रेस के मोहित ग्रोवर को भाजपा के बागी नवीन गोयल कड़ी चुनौती दे रहे हैं। नवीन गोयल इस सीट पर खेल बदलने की स्थिति में हैं। वह पूरी मजबूती से चुनावी रण में डटकर राष्ट्रीय पार्टियों के उम्मीदवारों की परेशानी बढ़ा रहे हैं।

नवीन भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक रहे हैं। गुरुग्राम में भाजपा के प्रत्याशी मुकेश शर्मा पहलवान बादशाहपुर से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं।

फरीदाबाद में विपुल की ताकत बने गुर्जर, गौड़ और गुप्ता, केंद्रीय राज्य मंत्री का भी साथ फरीदाबाद में भाजपा ने पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल को चुनावी रण में उतारा है, जिनके सामने कांग्रेस से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे लखन सिंगला टिक नहीं पा रहे हैं।

फरीदाबाद सीट इसलिए चर्चा में है, क्योंकि साल 2019 में भाजपा ने मंत्री रहते हुए भी विपुल गोयल को टिकट नहीं दिया था। निवर्तमान भाजपा विधायक नरेंद्र गुप्ता और फरीदाबाद से टिकट के प्रबल दावेदार रहे सीएम के पूर्व राजनीतिक सचिव अजय गौड़ अपनी लोकप्रियता का फायदा विपुल गोयल को पहुंचा रहे हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का साथ भी विपुल गोयल की ताकत बना हुआ है।

उचाना-हिसार में कांटे का हुआ मुकाबला

उचाना सीट पर दुष्यंत चौटाला और बृजेंद्र सिंह में आमने-सामने की टक्कर है। यहां नतीजा कुछ भी आ सकता है। हिसार सीट पूरे देश में चर्चित है। यहां देश की सबसे अमीर महिला एवं सांसद नवीन जिंदल की माता पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल निर्दलीय लड़ रही हैं। भाजपा के डॉ. कमल गुप्ता और कांग्रेस के रामनिवास राड़ा के लिए सावित्री जिंदल के साथ तरुण जैन परेशानी खड़ी कर रहे हैं।

लाडवा, अटेली और रानियां में बदले समीकरण

लाडवा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का हलका है, जहां उनके लिए किसी तरह की राजनीतिक परेशानी नहीं है। मुख्यमंत्री की स्थिति काफी अच्छी है। लोगों के मन में है कि वह मुख्यमंत्री का चुनाव कर रहे हैं। कांग्रेस के मेवा सिंह, भाजपा के बागी संदीप गर्ग और इनेलो-बसपा की सपना बड़शामी मुकाबले को रोचक बना रहे हैं।

अटेली में राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव भाजपा की प्रत्याशी हैं, जिन्हें कांग्रेस की अनीता यादव से टक्कर मिल रही है। रानियां में रणजीत सिंह चौटाला को अपने पोते इनेलो-बसपा-हलोपा गठबंधन के उम्मीदवार अर्जुन चौटाला, कांग्रेस के सर्वमित्र कांबोज और भाजपा के शीशपाल से टक्कर मिल रही है।

डबवाली, ऐलनाबाद, आदमपुर में सीधी टक्कर

डबवाली सीट भी हाट है। चौटाला परिवार के तीन सदस्य दिग्विजय चौटाला, आदित्य देवीलाल चौटाला और अमित सिहाग में त्रिकोणीय टक्कर है। भाजपा के बलदेव सिंह मुकाबले में आने की कोशिश में हैं। ऐलनाबाद सीट पर अभय सिंह चौटाला को यहां के लोगों ने चार बार जिताया है।

कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल व भाजपा के अमीर चंद मुकाबले को रोचक बना रहे हैं। आदमपुर में भाजपा के भव्य बिश्नोई को कांग्रेस के रिटायर्ड आइएएस चंद्र प्रकाश से इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है।

किलोई, अंबाला छावनी और अंबाला शहर में चुनाव रोचक

गढ़ी सांपला किलोई से भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनावी रण में हैं। भाजपा ने यहां मंजू हुड्डा को उतारा है। लोग सोच बनाए हुए हैं कि वे मुख्यमंत्री चुनेंगे। हुड्डा को इतना भरोसा है कि नामांकन के बाद वह यहां नहीं आए। अंबाला छावनी में मुकाबला रोचक होने के आसार हैं। 

जहां भाजपा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज को कांग्रेस की बागी चित्रा सरवारा से टक्कर मिल रही है। चित्रा के पिता पूर्व मंत्री निर्मल सिंह अंबाला शहर में कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जो भाजपा के निवर्तमान राज्य मंत्री असीम गोयल के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं।

करनाल, गोहाना, पंचकूला, रेवाड़ी पर निगाहें

करनाल 10 साल तक सीएम सिटी रहा है। भाजपा के जगमोहन आनंद और कांग्रेस की सुमिता सिंह के बीच कांटे की टक्कर है। सोनीपत के गोहाना में डा. अरविंद शर्मा की राह आसान है। कांग्रेस के जगबीर मलिक के लिए बागी हर्ष छिकारा परेशानी खड़ी कर रहे हैं।

पंचकूला में चंद्रमोहन ने भाजपा के डा. ज्ञानचंद गुप्ता का पसीना छुड़ा रखा है। रेवाड़ी में चिरंजीव राव कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिन्हें कोसली से रेवाड़ी में आए भाजपा के लक्ष्मण यादव से चुनौती मिल रही है।

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