हरियाणा में आज तक लगातार तीसरी बार नहीं बनी किसी दल की सरकार, BJP बदलेगी इतिहास या कांग्रेस करेगी वापसी
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे आने में अब सिर्फ दो दिन बाकी हैं। क्या इतिहास खुद को दोहराएगा या इस बार बदलाव देखने को मिलेगा? जानिए इस आर्टिकल में हरियाणा के चुनावी इतिहास के बारे में विस्तार से। साथ ही जानिए कौन सी पार्टी इस बार जीत का परचम लहराएगी। सिर्फ तीन मुख्यमंत्री ही दो बार सत्ता में लौटे।
सुधीर तंवर, चंडीगढ़। 15वीं विधानसभा के लिए हुए चुनाव के बाद अब दो दिन परिणाम के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। प्रदेश के 58 साल के इतिहास में दो साल ही केंद्र व प्रदेश में अलग-अलग दल की सरकारें रही हैं। 56 साल दोनों जगह एक ही दल की सरकार बनी।
हरियाणवियों ने भरोसा टूटने पर 13 में से 10 चुनावों में सरकार बदली है। दो बार से सरकार बनाती आ रही भाजपा)के रणनीतिकारों को भरोसा है कि हरियाणवी पुरानी परंपरा को बरकरार रखते हुए केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को ही प्रदेश की बागडोर सौंपेंगे।
वहीं, कांग्रेस के रणनीतिकार एक अन्य रिकार्ड को अपने पक्ष में मान रहे हैं। प्रदेश में आज तक लगातार तीसरी बार किसी दल की सरकार नहीं बन पाई है। 1972 में चौधरी बंसी लाल, 2009 में भूपेंद्र हुड्डा और 2019 में मनोहर लाल ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिनके कामों पर मुहर लगाते हुए जनता ने लगातार दूसरी बार उनकी सरकार बनवाई।
भाजपा के वोट बढ़े, घट गए सात विधायक
2014 में भाजपा ने 33.2 % वोट लेकर 47 सीटें जीती। 2019 में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़कर 36.49 प्रतिशत हो गया, लेकिन सीटें 40 रह गईं। 2014 में 20.6 प्रतिशत वोट के साथ 15 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2019 में 28.08 प्रतिशत वोट लेकर 31 सीटें जीत गई। दोनों ही दलों ने इनेलो के वोटों में सेंधमारी की। इनेलो ने 2014 में 24.01 प्रतिशत वोट लेकर 19 सीटें जीती, जो 2019 में 2.44 प्रतिशत वोटों के साथ सिर्फ एक सीट पर सिमट गया। जजपा ने पिछले विस चुनाव में 14.80 प्रतिशत वोट लेते हुए 10 सीटें झटक ली।
बंसी और हुड्डा की दूसरी पारी में बढ़े वोट
1968 में 57.26 प्रतिशत वोट लेकर कांग्रेस सरकार बनाने वाले बंसी लाल को 1972 में हुए चुनाव में 70.46 प्रतिशत वोट मिले। तब पंजाब से अलग होकर पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रहे लोगों ने 13.26 प्रतिशत अधिक वोटों के साथ बंसी लाल को फिर से सत्ता की बागडोर सौंपी।2005 में 71.96 वोटों के साथ कांग्रेस सरकार बनाने वाले हुड्डा को मतदाताओं ने 2009 में 72.29 प्रतिशत वोटों के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया। 2014 में 76.13 प्रतिशत वोट लेकर सरकार बनाने वाले मनोहर को 2019 में भी लोगों ने सीएम चुना, लेकिन वोट बैंक करीब आठ प्रतिशत घटकर 68.20 प्रतिशत रह गया।
इस तरह बंसी और हुड्डा की दूसरी पारी में वोट बढ़े, लेकिन मनोहर की दूसरी पारी में वोट घट गए।
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