Haryana Result 2024: खुद के चिराग से लगी कांग्रेस के घर में आग, हुड्डा पर भारी पड़ी सैलजा की नाराजगी; जानिए कैसे पलटी बाजी
मुख्मयंत्री पद की दौड़ में शामिल रही कुमारी सैलजा स्वयं भी उकलाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन उन्हें कांग्रेस हाईकमान ने टिकट नहीं दिया। चुनाव नतीजों के बाद सैलजा ने अपनी इस पीड़ा को जाहिर भी किया। सैलजा करीब दो दर्जन विधानसभा सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देने के खिलाफ थी जो कांग्रेस की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कांग्रेस को अपने स्वयं के घर के चिराग से आग लग गई। विधानसभा चुनाव से पहले जिस तरह कांग्रेस महासचिव एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रति नाराजगी जताई और कांग्रेस हाईकमान के समक्ष बार-बार मुख्यमंत्री पद की दावेदार की, उससे कांग्रेस को फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है।
भारतीय जनता पार्टी ने भी मौके का फायदा उठाते हुए कुमारी सैलजा की नाराजगी को कैश करने का मौका हाथ से नहीं जाने दिया। भाजपा ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान सैलजा की कांग्रेस में अनदेखी और दलितों व महिलाओं के प्रति अपमानजनक टिप्पणियों को मुद्दा बनाए रखा, जिसका पार्टी को लाभ मिला है। कांग्रेस में हुड्डा और सैलजा के बीच नाराजगी का दौर टिकटों के आवंटन के बाद से ही आरंभ हो गया था।
सैलजा ने इस रणनीति का किया इस्तेमाल
सैलजा के सिर्फ एक दर्जन समर्थकों को टिकट मिले थे, जबकि 70 से ज्यादा टिकट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों को मिले थे। हुड्डा का गेम प्लान यह था कि अपने समर्थकों को अधिक से अधिक टिकटों के आवंटन के बाद उनके जीतने की स्थिति में जब मुख्मयंत्री चुनने की बारी आएगी तो उसमें हुड्डा का पलड़ा भारी रहेगा, लेकिन सैलजा ने टिकट आवंटन में अपनी अनदेखी के साथ-साथ खास समर्थकों को टिकट नहीं मिलने का मुद्दा बार-बार उठाया।
दिल मिलाने में कामयाब नहीं हो सके राहुल
मुख्मयंत्री पद की दौड़ में शामिल रही कुमारी सैलजा स्वयं भी उकलाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन उन्हें कांग्रेस हाईकमान ने टिकट नहीं दिया। चुनाव नतीजों के बाद सैलजा ने अपनी इस पीड़ा को जाहिर भी किया।
सैलजा करीब दो दर्जन विधानसभा सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देने के खिलाफ थी, जो कांग्रेस की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने हरियाणा दौरे के दौरान हालांकि सैलजा व हुड्डा के हाथ मिलवाए और दोनों के मनमुटाव दूर करने की पूरी कोशिश की, लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो सके।
'अपमान ले सकता है दलित समाज'
राहुल गांधी के साथ असंध रैली का मंच साझा करने के बाद कभी हुड्डा व सैलजा को एक साथ एक मंच पर नहीं देखा गया, जिसका दलित समाज के लोगों में यह संदेश गया कि कांग्रेस में उनकी नेता की उपेक्षा हो रही है। कुमारी सैलजा ने अपने विभिन्न साक्षात्कार में इस बात की तरफ इशारा भी किया।
सैलजा ने तो यहां तक कह दिया था कि दलित समाज को यदि लगता है कि उनकी नेता का अपमान हो रहा है तो वह बदला ले सकता है। ऐसे में सैलजा का यह दांव कांग्रेस की हार के रूप में हुड्डा पर जबरदस्त तरीके से भारी पड़ा है।
कांग्रेस आधा दर्जन से अधिक दलित बाहुल्य विधानसभा सीटों पर चुनाव हारी है, जिसका मतलब साफ है कि दलितों ने कांग्रेस के प्रति भरोसा नहीं जताया है।