हरियाणा चुनाव 2024: अपनों ने छोड़ा साथ तो भाजपा-कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं पर निगाह, बड़ा दांव खेलने की तैयारी में दुष्यंत
हरियाणा विधानसभा चुनाव इस बार क्षेत्रीय पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती है। खासतौर से जननायक जनता पार्टी के लिए इस चुनाव में खुद का अस्तित्व बचाए रखना एक बड़े चैलेंज के रूप में उभर कर सामने आया है। जजपा के छह विधायक दुष्यंत चौटाला का साथ छोड़ चुके हैं। वहीं दो का और डर है कि कहीं ये भी पार्टी का दामन न छोड़ दें।
अनुराग अग्रवाल, पंचकूला। विधानसभा चुनाव इस बार जननायक जनता पार्टी (जजपा) के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। 10 में से छह विधायकों के साथ छोड़ने के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला अब भाजपा-कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को टिकट देकर सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
बागियों को चुनाव लड़ाने की रणनीति अपनाकर ही 2019 के विधानसभा चुनाव में 10 सीट जीत जजपा साढ़े चार साल तक भाजपा के साथ सत्ता में रही।
फिलहाल, जजपा में स्वयं दुष्यंत चौटाला, उनकी विधायक मां नैना चौटाला, विधायक दल के मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) अमरजीत सिंह ढांडा और विधायक रामकुमार गौतम ही बचे हैं। चर्चा यह भी है कि गौतम और ढांडा भी साथ छोड़ सकते हैं।
भले ही दुष्यंत मजबूती से विधानसभा चुनाव लड़ने का दावा करते हों, लेकिन लोकसभा चुनाव के नजीतों को ध्यान में रखना होगा। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा व जजपा का गठबंधन टूट गया था।
लोकसभा चुनाव में हाथ लगी निराशा
जजपा ने लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 0.87 प्रतिशत मतों में संतोष करना पड़ा। किसी भी उम्मीदवार को पांच से साढ़े पांच हजार मतों से अधिक मत नहीं मिले। सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई। अब विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और प्रत्याशियों की घोषणा से पहले ही पार्टी में जबरदस्त तरीके से भगदड़ मच गई है।
विधायक, कार्यकर्ता और किसान नाराज
- 2019 का चुनाव भाजपा के विरूद्ध लड़ा, लेकिन जजपा ने सत्ता में साझेदारी की
- दुष्यंत चौटाला ने सत्ता की पूरी अपने इर्द-गिर्द ही बनाए रखी, पूरे सिस्टम को अपने ढंग से चलाया
- गठबंधन सरकार में महत्वपूर्ण पद नहीं दिलाने की वजह से नाराज थे जजपा विधायक
- आंदोलन 700 किसान मारे गए। आरोप है कि दुष्यंत किसानों के साथ खड़े नहीं हुए
- किसानों व पार्टी कार्यकर्ताओं के दबाव के बाद भी भाजपा के विरुद्ध कोई बयान नहीं दिया
दुष्यंत और अभय की थी सीएम बनने की इच्छा
2019 के विधानसभा चुनाव में जजपा-इनेलो यदि एकजुट होकर लड़ते तो प्रदेश में इनेलो की सरकार बननी तय थी। इस बात को स्वयं ओपी चौटाला व अभय चौटाला भी मानते हैं।
विवाद इस बात का था कि मुख्यमंत्री अभय चौटाला बनेंगे या दुष्यंत। इसी वजह से दूसरी बार भाजपा सरकार बनी। 2019 के विधानसभा चुनाव में जजपा को 14.9 प्रतिशत वोट मिले थे।
बड़े चौटाला ने बंद कर दिये थे एकजुटता के सारे रास्ते
जननायक जनता पार्टी नौ दिसंबर 2018 को अलग दल के रूप में अस्तित्व में आई थी।राज्यस्तरीय रैली में इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के सामने हूटिंग तथा दुष्यंत के लिए सीएम के नारे लगे थे।
इसके बाद दुष्यंत व उनके भाई दिग्विजय को इनेलो से निकाल दिया गया था, जिसके बाद जजपा बनी। इनेलो व जजपा में एकजुटता के कई बार प्रयास हुए, लेकिन सिरे नहीं चढ़ पाए।
लोकसभा चुनाव में हार के बाद जजपा प्रमुख डॉ. अजय चौटाला ने संकेत दिए कि यदि इनेलो प्रमुख चाहेंगे तो हम गठबंधन को तैयार हैं, लेकिन ओमप्रकाश चौटाला ने साफ इन्कार कर दिया था कि जजपा के साथ न तो कभी गठजोड़ होगा और न ही दुष्यंत, दिग्विजय अथवा अजय चौटाला को इनेलो में वापस लिया जाएगा।
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