अब शुद्ध हवा में सांस लेंगे हरियाणा के लोग, किसानों समझ गए पराली का महत्व; निस्तारण के लिए 1 लाख रजिस्ट्रेशन
हरियाणा के किसान पराली प्रबंधन के महत्व को समझने लगे हैं। इस सीजन में एक लाख से अधिक किसानों ने पराली निस्तारण के लिए पंजीकरण कराया है। किसानों को प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। पराली को मिट्टी में मिलाने से उर्वरा शक्ति बढ़ती है और प्रदूषण भी कम होता है। किसान पराली की गांठें बनाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के किसानों को पराली (धान के फसल अवशेष) के निस्तारण का महत्व समझ आने लगा है। मौजूदा सीजन में एक लाख एक हजार किसानों ने पराली निस्तारण के लिए कृषि पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।
किसानों ने चार लाख 93 हजार 161 एकड़ में इन-सीटू तो तीन लाख 76 हजार 148 एकड़ में एक्स-सीटू के तहत पराली निस्तारण के लिए पंजीकरण कराया है। इतना ही नहीं, पराली की खपत के लिए 11 उद्योगों ने किसानों से फसल अवशेषों की मांग की है।
30 नवंबर तक पंजीकरण करा सकते हैं किसान
प्रदेश सरकार ने पराली प्रोत्साहन योजना के तहत फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए योजना शुरू की है। आवेदन के लिए किसान 30 नवंबर तक मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण करा सकते हैं।पंजीकृत सभी किसानों को एक हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। धान उत्पादक क्षेत्रों में अभियान चलाकर किसानों का आह्वान किया जा रहा कि वे धान की कटाई के बाद फसल अवशेषों में आग न लगाएं।
पराली को मिट्टी में मिला बढ़ा सकते हैं उर्वरा शक्ति
आग लगाने से वायु प्रदूषण फैलता है और मिट्टी के पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते हैं। फसल अवशेषों को मशीनों की सहायता से मिट्टी में मिलाएं। धान अवशेषों को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी तथा वातावरण को स्वच्छ रखने में सहायता मिलेगी।फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए किसानों को कृषि यंत्र यथा सुपर सीडर, जीरो टिलेज मशीन, स्ट्रा चापर, हैप्पी सीडर, रिवर्सिबल प्लो जैसी मशीनें अनुदान पर दी जा रही हैं। इनकी मदद से किसान पराली को मिट्टी में मिलाकर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं या पराली की गांठें बनाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं।
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