चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं, पूर्व MLA राम किशन गुर्जर की अपील पर HC की टिप्पणी; बताया क्यों नहीं लड़ सकते चुनाव
Haryana Assembly Elections हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कानून का पालन करने वाले नागरिकों की कोई कमी नहीं है। इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने नारायणगढ़ के पूर्व विधायक राम किशन गुर्जर की सजा को निलंबित करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। गुर्जर को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में चार साल की सजा सुनाई गई थी।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कानून का पालन करने वाले नागरिकों की कोई कमी नहीं है। नारायणगढ़ के पूर्व विधायक राम किशन गुर्जर द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में मिली सजा को निलंबित करने की मांग को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।
हाई कोर्ट ने यह भी माना कि चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है, बल्कि यह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत विशुद्ध रूप से वैधानिक अधिकार है। सबसे बढ़कर हरियाणा राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कानून का पालन करने वाले नागरिकों की संख्या बहुत है, इसलिए आवेदक राम किशन गुर्जर जिसे चार साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है, इस उद्देश्य के लिए अपरिहार्य व्यक्ति नहीं होगा।
जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु ने नारायणगढ़ के पूर्व विधायक और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राम किशन गुर्जर द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किए हैं।
कोर्ट ने सुनाई थी चार साल की सजा
राम किशन गुर्जर के वकील ने यह दलील देने की कोशिश की कि गुण-दोष के आधार पर भी आवेदक का मामला मजबूत है, लेकिन रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री की सरसरी जांच से प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्ष काफी हद तक विश्वसनीय हैं।
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इसके अलावा इस स्तर पर लंबित अपील के गुण-दोष पर गहन विश्लेषण/टिप्पणी दोनों पक्षों के मामले को प्रभावित कर सकती है। इसलिए इस संबंध में इस न्यायालय द्वारा आगे कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। दो मार्च 2017 को अंबाला की एक ट्रायल कोर्ट ने गुर्जर को चार साल की सजा सुनाई थी।
सजा पर लगाई रोक लेकिन निलंबित नहीं किया
कोर्ट ने गुर्जर को पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने को भी कहा था। इसके खिलाफ गुर्जर की अपील हाई कोर्ट में विचाराधीन है। हाई कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी थी। लेकिन सजा को निलंबित नहीं किया था।
अपनी सजा को निलंबित करने की याचिका में गुर्जर ने दलील दी थी कि वह हरियाणा विधानसभा के लिए आगामी चुनाव लड़ना चाहते हैं, जो पांच अक्टूबर को होने वाला है, लेकिन उनकी सजा के कारण वह जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के तहत अयोग्यता का सामना कर रहे हैं।
इसलिए अपील के लंबित रहने तक उनकी सजा पर रोक लगाई जाए। उन्होंने हाई कोर्ट को यह भी बताया कि 2005 से 2009 के दौरान वह नारायणगढ़ (हरियाणा) से विधायक रहे और फिर वर्ष 2009 में उसी निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए, जो उन्होंने 2014 तक जारी रखा।
राम किशन गुर्जर के अनुसार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के तहत अयोग्यता के कारण वह वर्ष 2019 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सके और फिर 2024 के विधानसभा चुनाव के लिए इसी तरह की दुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
उनके वकील ने तर्क दिया कि यदि आवेदक की सजा को निलंबित नहीं किया जाता है, तो उन्हें अपूरणीय क्षति होगी, जिसकी किसी भी तरह से भरपाई नहीं की जा सकती है बल्कि, इससे क्षेत्र के निवासियों के साथ घोर अन्याय होगा।
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