एसीबी और पुलिस की ओर से सरकार के पास 157 ऐसे केस भेजे गए हैं, जिनमें एफआईआर दर्ज करने, पुलिस जांच और अधिकारियों की गिरफ्तारी के बारे में अनुमति देने की मांग की गई है। इनमें से 120 मामलों में प्रदेश सरकार ने एफआईआर दर्ज करने, मामले की तह में जाकर दोषी पाए जाने पर भ्रष्ट अधिकारियों को गिरफ्तार करने तथा उनके विरुद्ध निलंबन से लेकर बर्खास्त तक करने की कार्रवाई अमल में लाने की अनुमति प्रदान कर दी है।
37 मामले किए गए लंबित
एसीबी व पुलिस की ओर से सरकार को भेजे गए 37 मामले ऐसे हैं, जिन पर तरह-तरह की आपत्तियां लगाकर उन्हें लंबित कर दिया गया है। इनमें कई आईएएस अधिकारी, पीडब्ल्यूडी विभाग के भ्रष्ट अधिकारी, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कुछ अधिकारी और कुछ राजस्व व चकबंदी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं, जिन्हें फिलहाल अभयदान दे दिया गया है।
भ्रष्टाचार में लिप्त कई अधिकारी
एंटी करप्शन ब्यूरो ने अपनी प्राथमिक जांच में इन अधिकारियों को भ्रष्टाचार का दोषी माना है तथा कार्रवाई के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है, लेकिन सरकार ने कहा है कि पूरी तरह से जांच पड़ताल करने के बाद उन पर सख्ती से हाथ डाला जाए।
खौफ में भ्रष्टाचारी
हरियाणा सरकार द्वारा 120 मामलों में अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुमति दिए जाने से भ्रष्टाचारियों में भय पैदा हो गया है, जबकि 37 केस ऐसे हैं, जिनमें अधिकतर भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों के सिर पर राजनीतिक लोगों का आशीर्वाद बताया जा रहा है।ॉ
लिखित में देना होगा जवाब
फरीदाबाद एनआईटी के कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने विधानसभा में राज्य सरकार से इस संबंध में जानकारी मांगी थी, जिसका जवाब अब प्रदेश सरकार की ओर से विधायक को भेजा गया है। विधानसभा स्पीकर डॉ. ज्ञानचंद गुप्ता ने विधायकों की मांग पर यह व्यवस्था बनाई हुई है कि विधायक महीने में तीन सवाल किसी भी विभाग को लेकर पूछ सकते हैं। इन सवालों का जवाब संबंधित विभागों को लिखित में देना होगा।
क्या कहती है अधिनियम की धारा 17-ए
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-ए का जिक्र करते हुए विधायक नीरज शर्मा ने सरकार से पूछा था कि कार्रवाई के लिए उनके पास कितने केस आए और कितनों में कार्रवाई की अनुमति दी गई है। अधिनियम की धारा 17-ए में यह प्रविधान है कि किसी भी सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायत होने पर आरोपित अधिकारी के खिलाफ जांच के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होती है।
बिना सरकारी अनुमति के गिरफ्तार नहीं हो सकते भष्ट अधिकारी
बिना सरकारी अनुमति के पुलिस किसी भी भ्रष्ट अधिकारी को गिरफ्तार नहीं कर सकती। उनके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज नहीं कर सकती। सरकार को इस पर तीन महीने में अपना निर्णय देना होता है। कुछ केस में अभी निर्णय लंबित है। प्रदेश सरकार की ओर से प्रत्येक केस के बारे में विधायक नीरज शर्मा को जो जानकारी भेजी गई है, उसके मुताबिक कई केस ऐसे हैं, जिनमें कार्रवाई लंबित है, उनमें से कुछ का राजनीतिक कनेक्शन होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता।
पानीपत, पंचकूला व फरीदाबाद नगर निगमों में भ्रष्टाचार के अधिक मामले
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अनुमति के बाद एचएसवीपी की ओर से एसीबी को सरकारी रिकार्ड में हेराफेरी कर गबन करने के मामले की जांच करने को कहा गया है। पंडित लख्मी चंद्र स्टेट यूनिवर्सिटी आफ परफार्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स रोहतक में लाखों रुपये के गबन की जांच की अनुमति दी गई है।
कई अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लंबित
रोहतक के तक्कालीन भूमि अधिग्रहण अधिकारी संजय राय समेत कई अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने पर निर्णय लंबित है। सीएम के निर्देश पर नागरिक अस्पताल पंचकूला के विस्तार भवन के निर्माण में भ्रष्टाचार पर पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन अमित मलिक, एसडीओ नवीन खत्री, जगविंद्र रंगा, राजेंद्र सिंह, अमरदीप दूरान और रोहताश के विरुद्ध कार्रवाई की अनुमति दी गई है।
इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति मांगी
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा पीडब्ल्यूडी चंडीगढ़ के कार्यालय में की गई स्पेशल चेकिंग के दौरान एक्सईएन अरुण सिंहमार, एसडीओ केके सिहाग और दीपक सिंह समेत करीब आधा दर्जन अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुमति मांगी गई है।आरटीओ कार्यालय गुरुग्राम में दलालों व वाहन मालिकों से मिलीभगत कर रोड टैक्स प्राप्त किए बिना एनओएसी देने की जांच की अनुमति दी गई है। इसी तरह करीब आधा दर्जन आइएएस अधिकारियों व एचसीएस अधिकारियों समेत कई के विरुद्ध कार्रवाई की अनुमति मांगी गई है तो कुछ के विरुद्ध अनुमति मिल गई है। इनमें अधिकतर मामले पानीपत नगर निगम, पंचकूला नगर निगम और फरीदाबाद नगर निगम के हैं, जहां भ्रष्टाचार के काफी मामले सामने आए हैं।
एंटी करप्शन ब्यूरो के निशाने पर यह सरकारी विभाग भी
एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) जिन मामलों की जांच कर रहा है, उनमें हरियाणा शहरी विकास प्राधिकण, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, शहरी स्थानीय निकाय, नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिका, शिक्षा विभाग, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग, माइनिंग, ट्रांसपोर्ट, बिजली के अलावा कई विभागों से जुड़े केस शामिल हैं।
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डीएफओ विजेंद्र सिंह के खिलाफ कार्रवाई जारी
अशोक कुमार नामक एक व्यक्ति की शिकायत पर ब्यूरो ने डीएफओ विजेंद्र सिंह के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। आरोप है कि डीएफओ व लिपिक मनजीत सिंह ने मिली-भगत करके पढ़े-लिखे युवाओं को बैक-डेट में ज्वाइन करवाने की एवज में उनसे रुपये लेकर वन विभाग नूंह में युवाओं को नौकरी लगवाने का भरोसा दिया।
फरीदाबाद के अस्पताल के खिलाफ भी भ्रष्टाचार का केस
फरीदाबाद के एक अस्पताल के खिलाफ भी भ्रष्टाचार का केस चल रहा है। इस अस्पताल ने आयुष्मान भारत कार्ड धारकों, हरियाणा सरकार के कर्मचारियों, अनुसूचित जाति व गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों से उपचार के लिए नकद पैसा ले लिया। इसके बाद इनके नाम के बिल सरकार के पास भी भेज दिए।
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