Haryana: मंडियों में आज शुरू होगी धान-बाजरे की सरकारी खरीद, कुमारी सैलजा बोलीं- एक-एक दाना खरीदे सरकार
दुष्यंत ने कहा कि फसल खरीद के दौरान किसी किसान को कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी। किसानों के भुगतान के लिए 13 हजार करोड़ रुपये रखे गए हैं। बिना देरी किसानों के खातों में भुगतान होगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार लाखों एकड़ फसल का डाटा मिसमैच होने के बहाने फसल को खरीदने से बचना चाहती है।
By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Mon, 25 Sep 2023 05:00 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ः हरियाणा में सोमवार को 92 मंडियों में बाजरे और 211 खरीद केंद्रों पर धान की सरकारी खरीद शुरू होगी। पिछले साल जहां साढ़े 58 लाख टन धान की खरीद हुई थी, वहीं इस बार 60 लाख टन धान की खरीद होने की संभावना है। ढाई लाख टन बाजरा खरीदा जाएगा।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि धान और बाजरे की बिना देरी खरीद, उठान और भुगतान के लिए सभी मंडियों में पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। भावांतर भरपाई योजना के तहत भी बाजरा के किसानों को कवर किया जाएगा। इस साल बाढ़ के बावजूद बंपर फसल की आवक का अनुमान है। सभी किसानों का रजिस्ट्रेशन कार्य पूरा हो चुका है।
किसी किसान को कोई समस्या नहीं आने दी जाएगीः दुष्यंत
अगर कोई किसान वेरिफिकेशन करवाना चाहता है तो सरकार ने उसके लिए भी विकल्प दिया है। दुष्यंत ने कहा कि फसल खरीद के दौरान किसी किसान को कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी। किसानों के भुगतान के लिए 13 हजार करोड़ रुपये रखे गए हैं। बिना देरी किसानों के खातों में भुगतान होगा।
रजिस्ट्रेशन हो या नहीं, एक-एक दाना खरीदे सरकार
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार लाखों एकड़ फसल का डाटा मिसमैच होने के बहाने फसल को खरीदने से बचना चाहती है।यह भी पढ़ेंः IND vs AUS: भारत ने सीरीज पर जमाया कब्जा, दूसरे वनडे मैच में ऑस्ट्रेलिया को 99 रन से रौंदा
चाहे किसी किसान ने मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया हो या नहीं, उनकी फसल का एक-एक दाना खरीदा जाए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अप्रैल में भी गेहूं की फसल की खरीद से पहले भी इस तरह का डेटा मिसमैच का मामला सामने आया था।इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने किसी तरह का सबक नहीं लिया। जिन किसानों को सरकारी खरीद शुरू होने से पहले व्यापारियों को मजबूरी में कम दाम पर फसल बेचनी पड़ी है, उनकी भरपाई भावांतर योजना के तहत की जाए।
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