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Farmers Protest: 'जमीनी हकीकत जाने बिना कोर्ट ने दिए निर्देश', शंभू बॉर्डर खोलने के HC के आदेश पर हरियाणा सरकार ने उठाए सवाल

हरियाणा सरकार ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश पर सवाल खड़े किए हैं। प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि हाईकोर्ट को किसान संगठनों को शंभू बॉर्डर से धरना हटाने का निर्देश देना चाहिए था न की बॉर्डर को खोलने का। इस विशेष अनुमति याचिका पर 22 जुलाई को सुनवाई होगी।

By Dayanand Sharma Edited By: Deepak Saxena Updated: Tue, 16 Jul 2024 04:32 PM (IST)
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पंजाब-हरियाणा की सीमा पर शंभू बॉर्डर खोलने का मामले पर प्रदेश सरकार ने खड़े किए सवाल।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए हरियाणा सरकार ने कहा कि हाई कोर्ट को किसान संगठनों को शंभू बार्डर से धरना हटाने का निर्देश देना चाहिए था, न कि शंभू बॉर्डर खोलने का।

प्रदेश सरकार ने कहा कि जमीनी हकीकत पर विचार किए बिना हाई कोर्ट ने अपने अधिकारों से परे जाकर शंभू बॉर्डर खोलने का आदेश जारी किया है, जो कि उचित नहीं है। हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका पर 22 जुलाई को सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक हफ्ते में बॉर्डर खोलने के दिए निर्देश

हाई कोर्ट ने 10 जुलाई के अपने आदेश में हरियाणा सरकार को एक सप्ताह के भीतर शंभू बॉर्डर खोलने के लिए कहा था। 18 जुलाई को हाई कोर्ट के आदेश को एक सप्ताह पूरा होगा। लेकिन अभी तक राज्य सरकार की ओर से शंभू बॉर्डर खोलने के लिए किसी तरह की हरकत दिखाई नहीं पड़ रही है। वहां आठ लेयर की सिक्योरिटी है, ताकि पंजाब के किसान दिल्ली की तरफ कूच ना कर सकें। किसान एमएसपी की गारंटी समेत करीब आधा दर्जन मांगों को पूरा करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं।

पंजाब के किसानों की दिल्ली कूच की तैयारी

हाई कोर्ट के बॉर्डर खोलने के आदेश के बाद पंजाब की किसान जत्थेबंदियां शंभू बॉर्डर पर फिर से जुटने लगी थी। उनकी तैयारी दिल्ली कूच की है, ताकि वहां अपने मोडिफाई वाहनों के माध्यम से पहुंचकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके।

प्रदेश सरकार ने कही ये बात

प्रदेश सरकार का मानना है कि यदि किसान दिल्ली जाने में कामयाब हो गए तो कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। ऐसे में उसे फिर से शंभू बॉर्डर को बंद करना पड़ेगा, इसलिए शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका में हरियाणा सरकार ने कहा है कि हाई कोर्ट ने अपने अधिकारों से परे जाकर यह आदेश पारित किया है।

हाईकोर्ट ने स्थिति की गंभीरता समझे बिना पारित किए निर्देश- प्रदेश सरकार

हरियाणा सरकार के अनुसार, हाई कोर्ट ने स्थिति की गंभीरता को समझे बिना ही निर्देश पारित कर दिए। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की इस दलील को भी नहीं माना कि किसान यूनियन बहुत आक्रामक थी और कानून का उल्लंघन नहीं करने की बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद भी उसके आक्रामक रुख में कोई कमी नहीं आ रही थी। हाई कोर्ट को किसान संगठनों को शंभू सीमा से धरना हटाने का निर्देश देना चाहिए था, जबकि उसने हरियाणा सरकार को ही शंभू बॉर्डर खोलने का आदेश दे दिया।

बॉर्डर खोलने पर खतरे की आशंका- प्रदेश सरकार

हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि संविधान के तहत कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है। जमीनी हकीकत बॉर्डर पर खतरे की आशंका है, शांति भंग होने की संभावना और कानून के उल्लंघन का आकलन करना पूरी तरह से राज्य की जिम्मेदारी है। सरकार के पास और भी कई ऐसे इनपुट हैं, जिनसे शांति भंग की पूरी तरह से आशंका बनी हुई है। ऐसे में शंभू सीमा को अवरुद्ध करना अथवा उसे खोलने का निर्णय करना राज्य का काम है।

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शंभू बॉर्डर पर अभी भी मौजूद 500 आंदोलनकारी

हरियाणा सरकार के अनुसार, अनुच्छेद 226 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस तरह के आदेश पारित करना हाई कोर्ट की शक्ति से परे है। राज्य ने अपनी दलील में यह भी कहा है कि 400-500 ट्रालियां और 50-60 अन्य वाहन लगभग 500 आंदोलनकारियों के साथ अभी भी शंभू सीमा पर मौजूद हैं।

हालांकि, इन अवैध रूप से आंदोलन कर रहे समूहों को राजमार्ग खाली करने, असुविधा पैदा करने और कानून अव्यवस्था के मुद्दे पैदा करने से रोकने के लिए कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। हाई कोर्ट ने शंभू सीमा पर डटे इन आंदोलनकारियों द्वारा किए जाने वाले आंदोलन की अनदेखी की है।

22 जुलाई को पीठ करेगी सुनवाई

हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुमति याचिका में दावा किया है कि इस क्षेत्र में खतरे की आशंका बनी हुई है और किसी भी अप्रिय घटना की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। हरियाणा सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की पीठ के सामने यह याचिका मेंशनिंग की थी, जिस पर पीठ ने सुनवाई के लिए 22 जुलाई तय की है। अब पूरे प्रदेश की निगाह की इस याचिका पर होने वाली सुनवाई पर टिकी है।

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